एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर ने बताए 5 टिप्स, आप भी कर लें नोट
बीमारियों के निदान में एंटीबायोटिक की बड़ी भूमिका होती है, पर इसके दुरुपयोग के चलते एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance) का जोखिम बढ़ रहा है। आजकल लोग बिना डॉक्टर से सलाह लिए खुद ही एंटीबायोटिक ले लेते हैं या बीच में एंटीबायोटिक का कोर्स छोड़ देते हैं। इसके कारण यह परेशानी बढ़ रही है। आइए इस बारे में डॉ. यतिन मेहता (चेयरमैन, क्रिटिकल केयर, मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम) से समझते हैं।
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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से बचने के लिए क्या करें? (Picture Courtesy: Freepik)
ब्रह्मानंद मिश्र, नई दिल्ली। सेहत से जुड़ी परेशानी होने पर कुछ लोग डाक्टर से परामर्श करने के बजाय सीधे केमिस्ट से दवा लेकर खुद से ही सेवन करने लगते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो एंटीबायोटिक का कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं। इस तरह की लापरवाही हमारी सेहत के लिए जोखिम भरी हो सकती है। इसी तरह नीम-हकीम या अप्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल के कई सारे उदाहरण अक्सर हम देखते हैं।
जिस तरह बैक्टीरिया पहले से अधिक प्रभावी हो रहे हैं और उपचार को लेकर चुनौतियां बढ़ रही हैं, उससे यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। यही कारण है कि इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एएमआर के लिए थीम रखी है- सक्रिय बनें, वर्तमान की रक्षा और भविष्य को सुरक्षित करें।
एएमआर के लक्षण
इससे प्रभावित व्यक्ति को बार- बार संक्रमण होता है, जो लोग स्थानीय अप्रशिक्षित डाक्टर से या खुद से जो दवाएं लेकर खाते हैं, वे इस समस्या का शिकार हो सकते हैं। एएमआर की एडवांस टेस्टिंग होती है और उसी के आधार पर इसके प्रभाव को जांचा जाता है। सामान्य तौर पर एएमआर के लेवल को मापना आसान नहीं होता।
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(Picture Courtesy: Freepik)
रोजाना की पांच आदतों में करें बदलाव
- खुद से एंटीवायोटिक का प्रयोग- इसे डाक्टर की निगरानी में ही लें । इसके दुरुपयोग से एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस विकसित हो सकता है।
- पोल्ट्री इंडस्ट्री से जोखिम- चिकन को एंटीबायोटिक देने से इंसानों में एएमआर हो सकता है।
- संक्रमण और सेहत समस्या- जिन्हें डायबिटीज या कोई अन्य समस्या है, उन्हें डाक्टर से परामर्श कर टाइफाइड, हेपेटाइटिस वैक्सीन अवश्य लेनी चाहिए । बार-बार संक्रमण हो रहा है या इम्युनिटी कमजोर है तो एएमआर के जोखिम को लेकर सतर्क रहना चाहिए ।
- दूषित पेयजल- आरओ या उबले पानी का प्रयोग करना चाहिए। घर से पानी लेकर निकलें। दूषित पेयजल से भी एएमआर होने की प्रबल आशंका रहती है।
- अस्वच्छ आहार- घर का स्वच्छ भोजन ही करें। अस्वच्छ भोजन से टाइफाइड यापेट की समस्या हो सकती है।
जानें बचाव के उपाय
- हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- भारत में पानी के कारण इसका संक्रमण अधिक होता है, इसलिए पानी स्वच्छ रखें।
- यह एक मरीज से दूसरे मरीज में जाता है, इसलिए सतर्क रहें ।
- बुखार में पैरासीटामोल या क्रोसिन ले सकते हैं, पर एंटीबायोटिक खुद से नहीं लेना चाहिए ।
- परेशानी होने पर डाक्टर से मिलना चाहिए।
- संक्रमित होने पर मास्क पहनें और लोगों के संपर्क में आने से बचें।

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