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    बच्चों में दिखें ये लक्षण, तो न करें अनदेखी, हो सकती है स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रॉफी की बीमारी

    एसएमए एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। एक अध्‍ययन के अनुसार भारत में जन्‍म लेने वाले 7744 शिशुओं में से एक को एसएमए होता है। किसी भी अन्‍य आनुवांशिक बीमारी की तुलना में एसएमए के कारण दुनियाभर में सबसे ज्‍यादा शिशुओं की मौत हो जाती है। हालांकि लक्षणों की समय पर पहचान कर इसे काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है।

    By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Tue, 28 Nov 2023 07:40 AM (IST)
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    Spinal Muscular Atrophy: स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के लक्षण

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रॉफी (एसएमए) एक दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी है, जो स्‍पाइन कॉर्ड (रीढ़ की हड्डी) में मोटर न्‍यूरॉन्‍स को प्रभावित करती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी होने लगती हैं और धीरे-धीरे उनकी मूवमेंट कम होने लगती है। यह सर्वाइवल मोटर न्‍यूरॉन 1 (एसएमएन1) जीन में म्‍युटेशन की वजह से होता है, जिसमें सर्वाइवल मोटर न्‍यूरॉन प्रोटीन (एसएमएन) की कमी होने लगती है, जो मोटर न्‍यूरॉन्‍स को नॉर्मली काम करने के लिए जरूरी होता है। किसी भी दूसरे आनुवांशिक बीमारी की तुलना में एसएमए की वजह से दुनियाभर में शिशुओं की सबसे ज्यादा मौत होती है। एक अध्‍ययन के अनुसार, भारत में जन्‍म लेने वाले 7744 शिशुओं में से एक को एसएमए होता है, जिसका मतलब हर साल लगभग 3200 बच्‍चों इससे प्रभावित होते हैं।

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    स्‍पाइन मस्‍कुलर एट्रॉफी (एसएमए) की गंभीरता उसके प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकती है, जैसे कि टाइप 1 को बीमारी का आमतौर पर सबसे खतरनाक और गंभीर रूप माना जाता है। एसएमए के हर वैरिएंट/प्रकार के लक्षण अलग होते हैं।

    एसएमए की बीमारी के लक्षण जन्‍म लेने के छह माह से लेकर एक साल के बीच उभरते हैं। एसएमए के लक्षणों को जल्‍दी पहचान लेना जरूरी होता है, जिससे सही समय पर इसका उपचार हो सके।

    स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रॉफी के आम लक्षण 

    मांसपेशियों की कमजोरी

    एसएमए एक आनुवांशिक बीमारी है, जो स्‍पाइन कॉर्ड के मोटर न्‍यूरॉन्‍स को मुख्‍य रूप से प्रभावित करती है, जिन पर मसल्स की एक्टिविटी को कंट्रोल करने की जिम्‍मेदारी होती है। इससे पीड़ित की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। यह कमजोरी पहले शरीर के निचले अंगों से शुरू होती है और फिर दूसरी अंगों में फैलने लगती है। एसएमए के साथ जन्‍मे बच्चों को अंगों को हिलाने में परेशानी के साथ समझने में भी परेशानी हो सकती है।

    चलने-फिरने में कठिनाई

    एसएमए में अंगों को हिलाने-डुलाने में कठिनाई हो सकती है। मसल्स इतनी कमजोर हो जाती हैं कि चलना-फिरना तक दूभर हो जाता है। एसएमए से पीड़ित छोटे बच्‍चों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे- बैठना, क्रॉलिंग और चलना। बीमारी बढ़ने के साथ, एसएमए पीड़ितों को मूवमेंट के लिए व्‍हीलचेयर्स की जरूरत भी पड़ सकती है। 

    श्‍वसन-तंत्र की समस्‍याएं

    श्‍वसन-तंत्र की समस्‍याएं एसएमए के आम और महत्‍वपूर्ण लक्षणों में शामिल हैं। एसएमए सांस लेने में उपयोगी मांसपेशियों पर असर डाल सकती है। जिससे कमजोरी, खांसी, फेफड़ों का संक्रमण जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। 

    निगलने में कठिनाई (डिस्‍फेजिया)

    एसएमए, निगलने के लिए जरूरी मांसपेशियों पर भी असल डाल सकती है, जिससे खाने में कठिनाई हो सकती है या खाने-पीने की चीजों के सांस की नली में खिंच जाने का जोखिम बढ़ सकता है।  

    स्‍कोलियोसिस

    स्‍कोलियोसिस एसएमए के पीडि़तों को होने वाला सबसे आम लक्षण है और इसकी गंभीरता को एसएमए टाइप 1 से जोड़ा जाता है। स्‍कोलियोसिस से सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, क्‍योंकि फेफड़ों को फैलने और गहरी सांस लेने के लिए कम जगह मिलती है।  

    मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट

    एसएमए के मरीजों के लिए सही चिकित्‍सकीय देखभाल और फिजिकल थेरेपी लेना बहुत जरूरी है, जिससे एक्टिविटीज को कंट्रोल किया जा सके और एक अच्छी जिंदगी जी सकें। 

    (डॉ. कौशिक मंडल, एडिशनल प्रोफेसर मेडिकल जीनेटिक्‍स डिपार्टमेंट, संजय गांधी पोस्‍ट-ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ से बातचीत पर आधारित)

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    Pic credit- freepik