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    एशिया में ज्यादा है जानवरों से फैलने वाली बीमारियों का रिस्क, बचने के लिए करें ये काम

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 09:16 AM (IST)

    जूनोटिक डिजीज (Zoonotic Disease) जानवरों से फैलने वाली बीमारियों को कहा जाता है। ये न सिर्फ आवारा जानवरों से फैल सकते हैं बल्कि आपके पेट्स के जरिए भी आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक एशिया में जूनोटिक डिजीज का रिस्क अमेरिका से ज्यादा है। आइए जानें इस बारे में।

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    एशिया में अमेरिका से ज्यादा जूनोसिस का जोखिम (Picture Courtesy: Freepik)

    प्रेट्र, नई दिल्ली। विश्व में नौ प्रतिशत क्षेत्र उच्च जोखिम की स्थिति में ,है जिसमें प्रकोप होने की अधिक संभावना है। यह चौंकाने वाला तथ्य एक अध्ययन के बाद सामने आया है। वैज्ञानिक पत्रिका साइंस एडवांसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या का लगभग तीन प्रतिशत अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में निवास करता है और लगभग एक पांचवां हिस्सा मध्यम जोखिम वाले क्षेत्रों में है।

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    क्या होता है जूनोसिस?

    जूनोटिक रोग या जूनोसिस, ऐसे संक्रमण हैं जो जानवरों और मनुष्यों के बीच फैलते हैं। ये रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनकों जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवियों के कारण हो सकते हैं। बता दें, यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक विकास कार्यक्रम इकाई के शोधकर्ताओं ने ग्लोबल इंफेक्शंस डिजीज एंड एपिडेमियोलाजी नेटवर्क डाटासेट और विश्व स्वास्थ्य संगठन की उन बीमारियों की सूची का विश्लेषण किया जिन्हें महामारी या प्रकोप का कारण बनने की क्षमता के अनुसार प्राथमिकता दी गई है।

    क्यों कुछ जगहों पर है ज्यादा रिस्क?

    विश्लेषण से पता चला कि जलवायु परिवर्तन से प्रेरित परिस्थितियां जैसे उच्च तापमान, बारिश और पानी की कमी जूनोसिस के जोखिम को बढ़ाती है। लेखकों ने यह भी बताया कि एशिया के लगभग सात प्रतिशत और अफ्रीका के करीब पांच प्रतिशत भूमि क्षेत्र में प्रकोप का उच्च और बहुत उच्च जोखिम है जबकि लैटिन अमेरिका और ओशिनिया इसके बाद हैं।

    विज्ञानियों के मुताबिक, अध्ययन निरंतर निगरानी और जलवायु अनुकूलन को सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना में एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इससे पहले भी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि 2018 से 2023 के बीच देश के संक्रामक रोग निगरानी प्रणाली के तहत रिपोर्ट किए गए प्रकोपों में से आठ प्रतिशत से अधिक जूनोटिक थे। कुल 6,948 प्रकोपों में से 583 जानवरों से मानव में फैले थे। वहीं प्रकोपों का लगातार जून, जुलाई और अगस्त में पीक पर पहुंचना भी पाया गया।

    आइए जानें जूनोटिक डिजीज से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

    • स्वच्छता का ध्यान रखें- जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन और पानी से धोएं। अगर साबुन उपलब्ध न हो, तो अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
    • पालतू जानवरों को नियमित टीका लगवाएं- अगर आपके घर में कुत्ता, बिल्ली या कोई अन्य पालतू जानवर है, तो उसे समय-समय पर वैक्सीन लगवाएं। रेबीज जैसी घातक बीमारी से बचाव के लिए यह बहुत जरूरी है।
    • जंगली या आवारा जानवरों से दूर रहें- जंगली जानवर (जैसे चमगादड़, बंदर, गिलहरी) या आवारा कुत्ते-बिल्लियां कई बीमारियों के कैरियर हो सकते हैं। इनके संपर्क में आने से बचें और बच्चों को भी सावधान करें।
    • कीटों के काटने से बचाव करें- मच्छर, टिक्स और पिस्सू जैसे कीट भी जूनोटिक डिजीज फैलाते हैं। डेंगू, मलेरिया, लाइम डिजीज और जीका वायरस जैसी बीमारियां इन्हीं के कारण होती हैं। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, इंसेक्ट रिपेलेंट क्रीम लगाएं और घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
    • लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें- अगर जानवरों के संपर्क में आने के बाद बुखार, सिरदर्द, चकत्ते, उल्टी या थकान जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। समय पर इलाज से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

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