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    High Body Fat Content के कारण टीम से बाहर हुए Prithvi Shaw, जानें क्या है यह कंडीशन और कैसे है हानिकारक

    Updated: Fri, 25 Oct 2024 04:59 PM (IST)

    जाने-माने भारतीय क्रिकेटर पृथ्वी शॉ को हाल ही में आगामी रणजी ट्रॉफी मैच से पहले मुंबई टीम से बाहर कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वजन ज्यादा होने की वजह से उन्हें टीम से बाहर किया गया है। दरअसल शॉ का बॉडी फैट कंटेंट 35% था जो तय 15 प्रतिशत फैट से काफी ज्यादा है। आइए जानते हैं क्या होता है High Body Fat Content।

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    क्या है high body fat content (Picture Credit- Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट प्रेमियों के लिए हाल ही में एक खबर सामने आई है। लंबे समय से भारतीय टीम से बाहर चल रहे पृथ्वी शॉ को अब मुंबई टीम से बाहर कर दिया गया है। इस खबर के सामने आने के बाद से ही उनके फैंस के बीच मायूसी छा गई है। जानकारी के मुताबिक शॉ को उनकी फिटनेस के चलते टीम से बाहर किया गया है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार 24 साल के शॉ नियमित रूप से टीम के ट्रेनिंग सेशन में भाग नहीं ले रहे और उनका वजन भी बढ़ गया है।

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    रिपोर्ट्स में पता चला कि पृथ्वी शॉ के शरीर में 35 प्रतिशत फैट है, जो बल्लेबाजों और विकेटकीपर्स के लिए तय 15 प्रतिशत फैट से काफी ज्यादा है, जिसके चलते हाई बॉडी फैट कंटेंट (high body fat content) होने की वजह से उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे क्या है high body fat content और कैसे हो सकता है सेहत के लिए हानिकारक-

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    क्या होता है बॉडी फैट कंटेंट

    शरीर में 35% फैट कंटेंट लीन मास (मांसपेशियों, हड्डी, आदि) की तुलना में शरीर में फैट की ज्यादा मात्रा को दर्शाता है। महिलाओं के लिए, 35% शरीर में फैट "एवरेज" से "ओवरवेट" की कैटेगरी में आता है, जबकि पुरुषों के लिए, इसे ज्यादातर हेल्थ स्टैंडर्ड द्वारा "मोटा" माना जाता है। शरीर में फैट की यह मात्रा पूरे स्वास्थ्य पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डाल सकती है। आइए जानते हैं शरीर में 35% फैट होने पर क्या- क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

    हाई बॉडी फैट के नुकसान

    35% बॉडी फैट होने पर, व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम जैसी क्रोनिक कंडीशन के विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है। एक्स्ट्रा फैट विशेष रूप से पेट के आसपास विसेरल फैट (आंत की चर्बी), हार्मोन रेगुलेशन को प्रभावित करके, सूजन को बढ़ाकर और मेटाबॉलिज्म को बाधित करके इन हेल्थ कंडीशन के खतरे को बढ़ाती है।

    इसलिए भी है हानिकारक

    हाई बॉडी फैट की वजह से मोबिलिटी, फिजिकल फिटनेस और एनर्जी लेवल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हाई बॉडी फैट वाले लोगों को शरीर, विशेषकर हार्ट और जोड़ों पर तनाव के कारण थकान, जोड़ों में दर्द और शारीरिक गतिविधि की क्षमता में कमी का अनुभव हो सकता है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार के लिए बॉडी फैट को कंट्रोल में रखना जरूरी है। इसके लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और जीवनशैली में कुछ बदलाव मददगार साबित होंगे।

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