प्रेग्नेंसी के हार्मोन्स का बच्चे के दिमाग और ऑटिज्म से जुड़ा है कनेक्शन, नई रिसर्च में हुआ खुलासा
एक नए शोध में पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान सेक्स हार्मोन का स्तर बच्चे के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन जो गर्भावस्था में निकलते हैं बच्चे की सोचने-समझने की क्षमता और व्यवहार पर असर डालते हैं। गर्भनाल के जरिए पहुंचने वाले ये हार्मोन बच्चे में ऑटिज्म की संभावना को भी दर्शा हैं।

एजेंसी, नई दिल्ली। मां बनने का सपना भला किसका नहीं होता है। एक मां अपने बच्चे को 9 महीने पेट में रखती है। इस दोरान उसे कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है। मूड स्विंग्स से लेकर चिड़चिड़ेपन की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा इन महीनों में महिलाओं के शरीर में भी कई बदलाव होते हें। दरअसल, इस समय शरीर में कुछ खास तरह के हार्मोन निकलते हैं, जिन्हें सेक्स हार्मोन कहा जाता है।
इन हार्मोन का असर सिर्फ मां के शरीर पर नहीं, बल्कि पेट में पल रहे बच्चे के दिमाग के विकास पर भी पड़ता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि एक रिसर्च बता रही है। आपको बता दें कि एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि गर्भ में सेक्स हार्मोन का लेवल ये संकेत दे सकता है कि बच्चे के दिमाग का विकास कैसा होगा। साथ ही ये संकेत भी मिलता है कि क्या उसमें ऑटिज्म (एक मानसिक स्थिति) की कोई संभावना है या फिर नहीं।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च
आपको बता दें कि ये अध्ययन ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) और एस्ट्रोजन (Astrogen) जैसे सेक्स हार्मोन, जो प्रेग्नेंसी में निकलते हैं, बच्चे के सोचने-समझने की क्षमता, व्यवहार और दिमाग की बनावट पर असर डालते हैं।
प्लेसेंटा के जरिए पहुंचता है हार्मोन
ये हार्मोन शरीर में प्लेसेंटा यानी कि गर्भनाल के जरिए पहुंचते हैं। यही गर्भनाल मां से बच्चे तक पोषक तत्व पहुंचाने का काम भी करती है। शोध में ये भी बताया गया है कि गर्भनाल सिर्फ पोषण देने का ही काम नहीं करती, बल्कि ये तय करने में भी मदद करती है कि गर्भावस्था कितनी चलेगी और बच्चे का दिमाग कैसे विकसित होगा।
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ये तय करते हैं बच्चे का दिमागी विकास
इस पर शोध करने वाले वैज्ञानिक ग्राहम बर्टन का कहना है कि गर्भनाल और सेक्स हार्मोन मिलकर ये तय करते हैं कि बच्चे का दिमाग कितना बड़ा और जुड़ाव से भरा होगा। वहीं एक अन्य शोधकर्ता एलेक्स त्सोम्पानिडिस ने बताया कि गर्भ में पलते समय अगर सेक्स हार्मोन का स्तर बहुत अधिक या कम हो जाता है तो इससे बच्चे में न्यूरोडाइवर्सिटी यानी कि दिमाग के विकास से जुड़ी अलग-अलग विशेषताएं देखने को मिल सकती हैं।
पहले पता चल जाता है ऑटिज्म का खतरा
इसका मतलब ये हुआ कि गर्भ के समय हार्मोन के स्तर से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे चलकर बच्चे में ऑटिज्म जैसी स्थिति बनने की संभावना है भी या नहीं। ये शोध 'इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी' नाम की जानी-मानी जर्नल में प्रकाशित की गई है।
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