दिल की बीमारियों का इलाज होगा और भी आसान, प्रयागराज के वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियां एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। इनमें से कई बीमारियों का सबसे बड़ा कारण धमनियों का संकरा होना है जिसे मेडिकल भाषा में स्टेनोसिस कहते हैं। जब हमारी धमनियां सिकुड़ जाती हैं तो खून को दिल तक पहुंचने में जोर लगाना पड़ता है जिससे हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है और गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।

मृत्यंजय मिश्र, नई दिल्ली। हृदयाघात और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों के पीछे सबसे बड़ा कारण धमनियों का संकरा हो जाना यानी स्टेनोसिस है। जब खून का रास्ता बंद होने लगता है तो हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय धमनियों के संकरा हो जाने की प्रक्रिया पर आधारित प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के गणित विभाग के विज्ञानियों ने नई राह खोजी है। उन्होंने नैनोपार्टिकल यानी बेहद छोटे कणों की मदद से दवा को सीधे बंद धमनियों तक पहुंचाने का तरीका विकसित करना शुरू किया है।
शोध में गणितीय गणना और कंप्यूटर सिमुलेशन से (किसी वास्तविक दुनिया की प्रणाली या प्रक्रिया को दर्शाने वाला कृत्रिम या नकली माडल बनाकर- अध्ययन करना) यह जांचा गया कि हल्की रुकावट के दौरान रक्त का वेग कैसे बदलता है और नैनोपार्टिकल्स किस दिशा में बहते हैं। परिणाम उत्साहजनक रहे, जिसमें पाया गया कि नैनोपार्टिकल्स दवा को सही स्थान तक पहुंचा सकते हैं और रक्त में थक्कों को कम करने में सहायक हैं। शोधकर्ता मानते हैं नैनो-ड्रग डिलिवरी तकनीक स्टेनोसिस और हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित होगी। हालांकि, अभी यह शोध प्रयोगशाला और कंप्यूटर माडल तक सीमित है और क्लिनिकल ट्रायल के बाद चिकित्सकों को मरीजों की नसों में दवा पहुंचाने का नया और असरदार तरीका मिल जाएगा।
इस परिणाम के बाद अब शोधकर्ता अगला कदम बढ़ाते हुए चुंबकीय शक्ति का उपयोग कर लक्षित उपचार देने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए एआइ और मशीन लर्निंग आधारित माडल तैयार किया जा रहा है, जो उपचार के साथ-साथ रोग की स्थिति का पूर्वानुमान भी कर सकेगा। यह शोध हृदय और दिमाग से जुड़ी बीमारियों के इलाज में सटीक उपचार देने में मदद करेगा।
एमएनएनआइटी गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बी वासु के निर्देशन में शोधार्थी गोबिंदा देवनाथ, अनुज शर्मा, हरिकेश व यतिन मिश्र ने यह शोध पूरा किया जिसे यूके के अंतरराष्ट्रीय जर्नल कंप्यूटर्स इन बायोलाजी मेडिसिन, नैनो साइंस एंड टेक्नोलाजी ने प्रकाशित किया है। प्रो. बी वासु कहते हैं कि अनुसंधान में देखा गया कि खून की गति, उसका दबाव, गर्मी और कणों की गति एक-दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने धमनियों का एक वर्चुअल माडल तैयार किया और फाइनाइट एलीमेंट मेथड तथा फाइनाइट डिफरेंस मेथड जैसी उन्नत गणितीय तकनीकों का उपयोग किया।
एआइ कंप्यूटर माडल करेगा धमनियों में रुकावट का पूर्वानुमान
दवा पहुंचाने में नैनो पार्टिकल यानी नैनो कणों की प्रभावशीलता से उत्साहित विज्ञानी नैनो दवाओं को चुंबकीय शक्ति की मदद से सीधे बीमार धमनियों तक पहुंचाने की तकनीक पर काम कर रहे हैं। अगले चरण में, शोधकर्ता एआइ और मशीन लर्निंग का उपयोग करके एक अधिक यथार्थवादी गणितीय माडल तैयार कर रहे हैं, जो धमनियों में रुकावट की पूर्व पहचान कर सकेगा।
डॉ. वासु के अनुसार, लक्षित नैनो दवाओं की तकनीक अब लोकप्रिय हो रही है, जिससे उपचार के दौरान निर्णय लेने की डाक्टरों की क्षमता में सुधार होगा। अभी दवाएं पूरे शरीर में फैल जाती हैं, जिससे असर कम होता है और दुष्प्रभाव बढ़ते हैं। चुंबकीय शक्ति के प्रयोग से दवाएं जरूरी जगह पहुंचकर प्रभावी असर दिखाएंगी।
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