बहुत ज्यादा फोन का इस्तेमाल बना सकता है आपको Phantom Vibration Syndrome का शिकार
आज के जमाने में बिना फोन के जिंदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। कॉल करने के अलावा खाना ऑर्डर करने टिकट बुक करने पेमेंट करने जैसी कई चीजों को फोन ने आसान बना दिया है लेकिन साथ ही साथ अपनी लत भी लगा दी है। इस लत के चलते लोगों में फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम (Phantom Vibration Syndrome) होने पर व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे उसका फोन या कोई अन्य गैजेट वाइब्रेट कर रहा है, जबकि असल में ऐसा नहीं होता है, न तो कोई कॉल आ रही होती है, न ही मैसेज और न ही कोई नोटिफिकेशन। यह सिंड्रोम अक्सर उन लोगों को होता है, जो फोन या दूसरे गैजेट्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो इस स्थिति को ‘‘सिंड्रोम’’ कहते हैं, लेकिन यह कोई मेडिकल बीमारी नहीं है, यह केवल कई लोगों को होने वाला बस एक कनफ्यूजिंग एहसास है। इसे लेकर हमने गुरुग्राम के मनीपाल हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. अपूर्व शर्मा से बात की। जिन्होंने कई जरूरी बातें बताई। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
क्यों होता है फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम?
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम कई कारणों से हो सकता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है-
आदत
हमारे दिमाग को फोन से मिलने वाले नोटिफिकेशंस और वायब्रेशंस की आदत पड़ जाती है। दिमाग उनकी अपेक्षा करना सीख लेता है और कभी-कभी यह दूसरी संवेदनाओं को भी वाइब्रेशन समझकर रिएक्ट करने लगता है।
चिंता
हमेशा ऑनलाइन रहना एक लत की तरह होता है। यह लत एक चिंता बन जाती है और वायब्रेशंस के प्रति हमारे सेंसेज को सेट करने लगती है, यह खासकर तब ज्यादा होता है, जब हमें किसी जरूरी कॉल या मैसेज का इंतजार रहता है।
पीवीएस कितना फैला हुआ है?
रिसर्च में सामने आया है कि मोबाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने वाले 89% लोगों को कभी न कभी फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम होता है।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के नुकसान
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम से नुकसान तो कोई नहीं है, पर इससे कई तरह की परेशानियां होती हैं। अगर आपको अक्सर वाइब्रेशन महसूस हो रहा है, तो इससे क्लियर है कि आप अपने फोन के साथ बहुत ज्यादा समय गुजार रहे हैं। जो तनाव और एंग्जाइटी की वजह बन सकता है। अप्रत्यक्ष रूप से फोन की लत शारीरिक रूप से भी नुकसानदेह है। दिन भर बैठकर फोन चलाने से मोटापा, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम को कैसे नियंत्रित करें?
1. फोन पर कम समय बिताएं
फोन से पूरी तरह दूर नहीं रहा जा सकता है, पर उसके साथ कम समय बिताना बिल्कुल पॉसिबल है। मैसेज और अपडेट देखने का टाइम तय करें। इससे पूरे दिन फोन में घुसे रहने की आदत धीरे-धीरे कम होने लगेगी।
2. नोटिफिकेशंस को एडजस्ट करें
काम के बाद फोन को वाईब्रेशन या साइलेंट मोड में डाल दें। फोन में मौजूद अलग-अलग ऐप्स के लिए कस्टमाइज्ड नोटिफिकेशन सेट करें।
3. ब्रेक लें
फोन को थोड़ी देर के लिए आराम दें। ऐसे काम करें, जिनके लिए फोन की जरूरत नहीं, जैसे किताब पढ़ें, वॉक पर जाएं या दोस्तों से मिलें-जुलें।
4. मेडिटेशन करें
माइंड को रिलैक्स करने के लिए मेडिटेशन करें। ध्यान लगाने से चिंता, तनाव जैसी परेशानियां तो दूर होती ही हैं, साथ ही फोकस और याददाश्त बढ़ती है।
5. फोन से दूर रहें
अगर पॉसिबल हो, तो अपने फोन को जेब के बजाय बैग या डेस्क पर रखें। इससे फोन के वाइब्रेशन या नोटिफिकेशन को लेकर कन्फ्यूजन नहीं रहेगी।
ये भी पढ़ेंः- बच्चों को 13 साल की उम्र तक न दें स्मार्टफोन, जानिए क्या कहती है फ्रांस की ये रिपोर्ट
मदद की जरूरत कब पड़ती है?
फोन की लत और इस सिंड्रोम की वजह से अगर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर इलाज, थेरेपी या जो भी पॉसिबल चीजें हैं, सुझा सकते हैं और इस परेशानी को जल्द से जल्द ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम क्यों होता है और फोन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इस बारे में जागरुकता बढ़ाकर फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के लक्षणों को आसानी से कम किया जा सकता है। ध्यान रखें कि एक स्वस्थ मस्तिष्क और सेहतमंद शरीर के लिए कनेक्टिविटी और फोन से दूरी बनाने में बैलेंस बहुत जरूरी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।