क्यों रात होते ही छाने लगती है उदासी और दिल होने लगता है ना उम्मीद; क्या है Night Depression की वजह
कई लोगों को रात के समय ज्यादा अकेलापन महसूस होता है। उन्हें अच्छा नहीं लगता और वे डिप्रेशन महसूस करने लगते हैं। ऐसा क्यों होता है (Night Depression Causes)? क्यों व्यक्ति को दिनभर अच्छा महसूस होता है लेकिन रात होते ही उनके मन में उदासी घर बनाने लगती है। इस आर्टिकल में हम रात के डिपेशन के कारणों के बारे में ही जानने की कोशिश करेंगे।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Night Depression Causes: रात का समय अक्सर अकेलेपन और शांति का समय माना जाता है, लेकिन कई लोगों के लिए यह समय उदासी, चिंता और डिप्रेशन जैसे इमोशन्स को बढ़ा देता है (Night Depression Symptoms)।
यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है कि आखिर रात के समय व्यक्ति ज्यादा डिप्रेस्ड क्यों महसूस करता है (Why Sadness Increase At Night)? इसके पीछे कई साइकोलॉजिकल और फिजिकल कारण हो सकते हैं। आइए इनके बारे में अच्छे से समझते हैं।
अकेलापन
रात के समय जब आसपास का वातावरण शांत हो जाता है और लोग आराम करने लगते हैं, तो व्यक्ति अक्सर अपने ख्यालों के साथ अकेला रह जाता है। दिनभर बिजी रहने के कारण हम अपने विचारों और इमोशन्स को दबा देते हैं, लेकिन रात को जब हम शांत होते हैं, तो यही विचार और भावनाएं बाहर आने लगती हैं। अकेलापन और नेगेटिव ख्यालों का बोझ व्यक्ति को डिप्रेस्ड महसूस करा सकता है।
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थकान और एनर्जी की कमी
दिनभर की थकान के बाद शरीर की एनर्जी कम हो जाती है, जिससे साइकोलॉजिक रूप से भी व्यक्ति कमजोर महसूस करता है। थकान के कारण दिमाग में पॉजिटिव बातें भी कम ही आती हैं और नेगेटिव ख्यालों पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। इससे व्यक्ति को रात के समय ज्यादा डिप्रेस्ड महसूस हो सकता है।
मेलाटोनिन हार्मोन का असर
रात के समय शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जो नींद को कंट्रोल करता है। यह हार्मोन शरीर को सोने के लिए तैयार करता है, लेकिन साथ ही यह मूड को भी प्रभावित करता है। मेलाटोनिन का लेवल बढ़ने से व्यक्ति को उदासी और डिप्रेशन जैसे इमोशन्स महसूस हो सकते हैं।
सोशल मीडिया
आजकल लोग रात के समय सोशल मीडिया और इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सोशल मीडिया पर दूसरों की जिंदगी की तस्वीरें देखकर व्यक्ति अपनी तुलना करने लगता है, जिससे मन में नेगेटिव भावनाएं आने लगती हैं और व्यक्ति डिप्रेस्ड महसूस कर सकता है। इसके अलावा, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट दिमाग को एक्टिव रखती है, जिससे नींद की क्वालिटी प्रभावित होती है और स्ट्रेस बढ़ता है।
नींद की कमी
इनसोम्निया और नींद की कमी डिप्रेशन का अहम कारण है। जो लोग रात को सो नहीं पाते या उनकी नींद बार-बार टूटती है, उन्हें अक्सर नेगेटिव ख्याल आते हैं। नींद की कमी से दिमाग पर भी असर पड़ता है, जिससे व्यक्ति को डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
लाइफस्टाइल और स्ट्रेस
मॉडर्न लाइफस्टाइल में स्ट्रेस और एंग्जायटी का लेवल बढ़ गया है। काम का दबाव, फाइनेंशियल परेशानियां, रिश्तों में तनाव जैसी समस्याएं रात के समय और भी गहरा जाती हैं। जब व्यक्ति इन समस्याओं के बारे में सोचता है, तो उसका मेंटल स्ट्रेस बढ़ जाता है, जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
बायोलॉजिकल क्लॉक
हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक (सर्केडियन रिदम) हमारे मूड और एनर्जी लेवल को कंट्रोल करती है। रात के समय इस क्लॉक के कारण शरीर की एक्टिविटीज धीमी हो जाती हैं और दिमाग के फंक्शन भी प्रभावित होते हैं। इससे व्यक्ति को उदास और डिप्रेस्ड महसूस हो सकता है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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