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    कैंसर बढ़ने के नए तरीके का चला पता, दवाओं के दुष्प्रभाव को किया जा सकेगा कम

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2022 03:38 PM (IST)

    अब हम यह जान चुके हैं कि कैंसर कोशिकाओं में टेलोमिरेज को किस प्रकार से निशाना बनाया जा सकता है। ऐसे में यह अध्ययन कैंसर को बढ़ने से रोकने की दिशा में अगली पीढ़ी की दवाएं विकसित करने में मार्गदर्शक का काम कर सकता है।

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    कैंसर के इलाज की नई आस। प्रतीकात्मक

    सिंगापुर, एएनआइ : कई अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कैंसर का बहुत तेजी से फैलता है। इसका कारण रोगग्रस्त कोशिकाओं का तेज विभाजन माना जाता है। लेकिन यह तेज विभाजन क्यों और कैसा होता है, यदि उसकी सटीक जानकारी हो और उसकी रोकथाम की जा सके तो कैंसर के फैलाव को रोकना या सीमित करना संभव हो सकेगा। इसी संदर्भ में एक नए शोध में कैंसर कोशिकाओं के तेजी बढ़ने के नए तरीके का पता लगाया गया है, जो करीब 90 प्रतिशत कैंसर कोशिकाओं में होता है। विज्ञानियों का कहना है कि यदि इस शोध के आधार पर कैंसर की दवा विकसित की जाए तो उसके दुष्प्रभाव (साइड-इफेक्ट) को सीमित या कम किया जाना भी संभव हो सकेगा। यह शोध निष्कर्ष न्यूक्लिक एसिड्स रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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    सामान्य और स्वस्थ कोशिकाओं के जीवनकाल का निर्धारण टेलोमीयर्स से होता है। यह क्रोमोसोम (गुणसूत्र) के छोर पर एक तरह की सुरक्षा टोपी (प्रोटेक्टिव कैप) होता है। कोशिका जितनी बार विभाजित होती जाती है, यह टेलोमीयर्स छोटा होता चला जाता है। इस तरह से यह डीएनए को सुरक्षा देने में छोटा पड़ जाता है और कोशिका की प्राकृतिक मृत्यु हो जाती है। इसके उलट कैंसर कोशिकाएं टेलोमीयर्स को पुन: सक्रिय करते हुए लंबे समय तक जीवित रहती हैं। इसमें एक एजांइम होता है, जो टेलोमीयर्स को लंबा रखता है, लेकिन अधिकांश वयस्क कोशिकाओं में यह निष्क्रिय रहता है।

    कैंसर कोशिकाएं ह्यूमन टेलोमिरेज रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (एच टीईआरटी) जीन को सक्रिय कर शरीर में लगातार और अनंत समय तक विभाजित होती रहती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि 90 प्रतिशत कैंसर कोशिकाओं में टेलोमिरेज पुन:सक्रिय हो जाता है, इसलिए एच टीईआरटी, जिसके जरिये टेलोमिरेज सक्रिय होता है, को कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाने के लिए सटीक लक्ष्य बनाया जा सकता है।

    टेलोमिरेज को रोकने के लिए उपलब्ध मौजूदा दवाओं का रोगियों की स्वस्थ कोशिकाओं पर काफी दुष्प्रभाव भी पाया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने एक विशिष्ट डीएनए संरचना की पहचान की है, जो सिर्फ कैंसर कोशिकाओं में बनती है तथा एच टीईआरटी जीन को सक्रिय करने को उचित स्थिति में लाने के लिए जरूरी मालीक्यूलर मशीनरी बनाता है। इस अध्ययन के वरिष्ठ शोधकर्ता सेमिह अकिंसिलार ने बताया कि टेलोमिरेज का सक्रिय होना कैंसर रोगियों में कोशिकाओं को एक तरह से अमरत्व प्रदान करता है। 

    इस अध्ययन में रोगियों से निकाले गए कोलोरेक्टल कैंसर की कोशिका लाइन का इस्तेमाल एच टीईआरटी के सक्रिय होने की अभिव्यक्ति तथा उसकी फिजियोलाजिकल उपयोगिता की पहचान के लिए किया गया। यह माडल भविष्य में कैंसर के इलाज के की दिशा में टेलोमिरेज को बाधित करने के लक्ष्य को साधने में अहम साबित होगा। इसके आधार पर शोध टीम अब औद्योगिक और क्लीनिकल पार्टनर के साथ मिलकर टेलोमिरेज इन्हीबिटर दवा विकसित करने के लिए काम करेगी।