Navratri 2025: तन-मन दोनों के लिए फायदेमंद है उपवास, बस ध्यान में रखने होंगे ये जरूरी नियम
नवरात्र उपवास आध्यात्मिक चेतना बढ़ाने के साथ हमारे तन-मन की सेहत के लिए बहुत लाभकारी है बशर्ते उपवास का नियम और संयम से पालन हो। आइए डॉ. मृदुल चित्रकार (प्रोफेसर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान गोआ) से जानते हैं उपवास करने की सही प्रक्रिया क्या है और इसके फायदों के बारे में।

सीमा झा, नई दिल्ली। वर्षा ऋतु और शरद ऋतु के बीच के इस अवधि को संधि काल कहते हैं। यह शुद्धि काल भी है और इसी समय नवरात्र पर्व मनाया जाता है। इस समय ज्यादातर लोग डिटॉक्स यानी तन ही नहीं मन के शुद्धिकरण के लिए व्रत रखते हैं।
आयुर्वेद में उपवास को अग्नि (पाचन अग्नि) और अमा (विषाक्त पदार्थों) के बीच एक स्वस्थ संतुलन विकसित करने के सिद्धांत से जोड़ा जाता है, पर इसके लिए कुछ नियम व तरीके निर्धारित किए गए हैं। ध्यान रहे उपवास का अर्थ शरीर को देर तक भूखा रखना या कष्ट देना नहीं है। शरीर की प्रकृति (वात, पित्त या कफ), स्वास्थ्य स्थिति के साथ ऋतु के अनुसार आहार-विहार का ध्यान रखा जाए तो उपवास अधिक फलदायी माना जाता है।
प्रकृति के अनुरूप रहे ध्यान
- वात प्रकृति यानी जिन्हें गैस, कब्ज की समस्या रहती है, वे पके फल, पपीता आदि का सेवन करें। मूंग दाल सूप जैसे सुपाच्य आहार से व्रत खोलें। आपको सूखे फल नहीं लेना चाहिए। व्रत में लंबे समय तक भूखा न रहें, इससे कमजोरी या घबराहट हो सकती है।
- पित्त दोष वालों को गर्मी अधिक महसूस होती है। इनकी भूख तेज होती है, पर एसिडिटी व जलन भी रहती है। व्रत में नाशपाती, अमरूद के साथ नारियल पानी आदि का सेवन करना चाहिए। अनार भी अच्छा है। चिप्स, साबूदाना खिचड़ी, बड़ा आदि अधिक लेने से बचना चाहिए।
- कफ प्रकृति वाले अक्सर ठंडा मौसम पसंद करते हैं। इनका पाचन धीमा होता है और खाने के बाद भारीपन का अनुभव होता है। यह अग्नि को लंबे समय तक शांत रख सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को अक्सर उपवास सूट करता है। व्रत में सेब, अनार, अमरूद लेना चाहिए। ये काली मिर्च, अदरक आदि का सेवन भी कर सकते हैं, पर दूध, मिठाई, दही अधिक मात्रा में नहीं लें, इससे नींद या सुस्ती अधिक हो सकती है।
इन नियमों का हो पालन
- व्रत के एक दिन पहले अधिक भोजन करने से बचें।
- व्रत में भी स्वस्थ चुनें। जैसे, आलू की जगह शकरकंद का सेवन उचित है।
- देर रात भोजन के बजाय सूर्यास्त से पूर्व उपवास का अंतिम भोजन लें।
- उपवास के दौरान अधिक भारी, गरिष्ठ व अधिक ठंडा भोजन न करें।
- खिचड़ी, ताजे फल, दही, मूंग दाल की दलिया ऐसे हल्के सुपाच्य भोजन के साथ उपवास तोड़ें। व्रत खोलने के बाद
- एकदम से भारी खाना, चिकनाई वाले पदार्थ न खाएं।
- मौसमी का रस, मूंग की दाल जैसे हलके भोजन व्रत खोलने के बाद करें।
- केवल भूख लगने पर ही भोजन करें।
- फलों का अधिक लाभ एक बार में एक फल लेने से मिल सकता है।
- लचीले बनें, शरीर की सुनें
- उपवास के दौरान शरीर को आराम दें।अधिक समय प्रार्थना या डायरी लेखन में लगाएं।
उपवास के लाभ
- प्राकृतिक निष्कासन के माध्यम से ऊतकों के साथ-साथ अंगों से अमा (विषाक्त पदार्थों) को निकालने में मदद।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार।रोगों से लड़ने में बनाता है अधिक सक्षम।
- मानसिक स्थिरता, आंतरिक शांति।
- प्राकृतिक रूप से वसा जलाने में मदद |
- बेहतर नींद, अनिद्रा से राहत आदि।
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