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    National Epilepsy Day 2023: क्या मुमकिन है एपिलेप्सी का इलाज, जानें एक्सपर्ट की राय

    By Swati SharmaEdited By: Swati Sharma
    Updated: Fri, 17 Nov 2023 02:01 PM (IST)

    एपिलेप्सी एक गंभीर समस्या है जिसकी वजह से व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। इस बीमारी की वजह से कोई परेशानी न हो इसलिए इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। एपिलेप्सी का कोई इलाज नहीं है। इसे बस दवाइयों और सही इलाज से मैनेज किया जा सकता है। इसे कैसे कंट्रोल कर सकते हैं यह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की। जानें उनका क्या कहना है।

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    एपिलेप्सी के दौरे को कैसे कर सकते हैं मैनेज

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। National Epilepsy Day 2023: एपिलेप्सी एक ऐसी ब्रेन कंडिशन है, जिसमें व्यक्ति को दौरे पड़ने की समस्या होने लगती है। यह काफी गंभीर समस्या है क्योंकि यह दौरे कहीं भी और कभी भी पड़ सकते हैं। इसलिए इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। एपिलेप्सी व्यक्ति के सामान्य जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। एपिलेप्सी ब्रेन इन्फेक्शन, सिर पर चोट लगने, स्ट्रोक, डिमेंशिया आदि की वजह से हो सकती है। इसलिए इसका सही उपचार होना बहुत जरूरी है।

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    क्या इस बीमारी का कोई इलाज है? क्या एपिलेप्टिक दौरों को कम किया जा सकता है? अगर हां, तो कैसे? इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढ़ने के लिए हमने साइबरनाइफ, आर्टिमिस हॉस्पिटल, गुरूग्राम के निर्देशक डॉ. आदित्य गुप्ता से बात की। आइए जानते हैं उन्होंने हमें क्या बताया।

    यह भी पढ़ें: एपिलेप्टिक दौरा पड़ने पर कैसे कर सकते हैं मरीज की मदद, जानें एक्सपर्ट से

    क्या एपिलेप्सी का इलाज संभव है?

    डॉ गुप्ता के अनुसार, एपिलेप्सी का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है। जैसे, सीएनएस संक्रमण, इन्फेक्शन, इन्फेसटेशन, ट्यूमर या मेटाबॉलिक कारणों के लिए इलाज उपलब्ध हैं। इसके अलावा, दौरों को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ दवाएं दी जाती हैं, जिनसे इन्हें मैनेज तो किया जा सकता है, लेकिन ये इलाज नहीं है। आमतौर पर, पहला दौरा पड़ने के बाद, दो साल तक दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें बाद में समय के साथ धीरे-धीरे कम किया जाता है। दौरे दोबारा न पड़ें, इसके लिए डॉक्टर ने जो भी इलाज बताया है, उसे फॉलो करना बेहद जरूरी है। दवा लेने का एक निश्चित समय निर्धारित करें और इसे नियमित रूप से लेने का प्रयास करें। अगर कभी गलती से एक खुराक छूट जाती है, तो जितनी जल्दी हो सके उसे लें। लेकिन दो डोज कभी भी साथ में न लें। अगर गलती से कभी दवाई ओवरडोज हो जाए, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हर दवाई के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जो हर दवा के लिए अलग होते हैं। हालांकि, इसमें सबसे आम साइड इफेक्ट नींद आना है, जो समय के साथ बेहतर होने लगता है।

    एपिलेप्टिक सीजर के ट्रिगर क्या हो सकते हैं?

    ट्रिगर उन फैक्टर्स को कहते हैं, जिनकी वजह से दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

    • स्ट्रेस
    • नींद का पूरा न होना
    • बहुत अधिक रोशनी
    • शराब पीना
    • अधिक थकावट
    • दवाई की डोज मिस करना
    • समय से खाना न खाना
    • अनहेल्दी डाइट फॉलो करना
    • जरूरत से ज्यादा कैफीन लेना
    • सिर पर चोट
    • ड्रग अब्यूज
    • शरीर में पानी की कमी होना
    • पीरियड्स की वजह से हार्मोनल इम्बैलेंस
    • बुखार के कारण

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    Picture Courtesy: Freepik