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    डायबिटीज के घाव भरने का मिला 'प्राकृतिक' इलाज! शोधकर्ताओं ने खोजा सस्ता और असरदार तरीका

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 09:48 AM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि जब किसी डायबिटीज पेशेंट को चोट लगती है, तो उसका घाव ठीक होने में सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा समय लेता है? कई बार तो यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि नसों को नुकसान पहुंचता है, ब्लड सर्कुलेशन कम होता है और इन्फेक्शन के कारण अंग काटने तक की नौबत आ जाती है। यह डायबिटिक रोगियों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है।

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    नगालैंड के शोधकर्ताओं ने खोजा डायबिटीज के घाव भरने का अचूक 'प्राकृतिक' इलाज(Image Source: Freepik) 

    एजेंसी, नई दिल्ली। मधुमेह यानी डायबिटीज आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती बीमारियों में से एक है। यह केवल ब्लड शुगर को ही नहीं, बल्कि शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को भी प्रभावित करता है। डायबिटीज के रोगियों को अगर कोई छोटा-सा घाव भी लग जाए, तो वह ठीक होने में काफी समय लेता है। कई बार संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि स्थिति गंभीर हो जाती है और मरीज को पैर या प्रभावित अंग कटवाने तक की नौबत आ जाती है।

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    लेकिन अब इसी समस्या का हल शायद प्रकृति ने अपने अंदर ही छिपाकर रखा था। नगालैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा प्राकृतिक पौध-आधारित यौगिक सिनैपिक एसिड (Sinapic Acid) खोजा है, जो मधुमेह रोगियों में घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करने में सक्षम पाया गया है।

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    क्या है सिनैपिक एसिड और यह कैसे काम करता है?

    सिनैपिक एसिड एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट यौगिक है, जो कई तरह के पौधों, अनाजों, फलों और सब्ज़ियों में पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं और सूजन कम करने में मदद करते हैं।

    शोधकर्ताओं के अनुसार, जब मधुमेह रोगियों को सिनैपिक एसिड को मुंह के जरिए दिया गया, तो उनके घाव सामान्य से कहीं तेजी से भरने लगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह यौगिक SIRT1 नामक एक जैविक मार्ग को सक्रिय करता है। यह मार्ग टिश्यूज की मरम्मत, नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण और सूजन नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    कम खुराक ज्यादा असरदार निकली

    इस अध्ययन की एक दिलचस्प बात यह भी रही कि शोधकर्ताओं ने पाया कि कम मात्रा (20 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम) में दिया गया सिनैपिक एसिड, उच्च मात्रा (40 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम) की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ। वैज्ञानिक इसे 'इनवर्टेड डोज रिस्पॉन्स' कहते हैं, यानी कभी-कभी कम मात्रा में दी गई दवा ज्यादा असर दिखाती है।

    यह खोज भविष्य की दवा निर्माण रणनीति के लिए भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इससे पता चलता है कि प्राकृतिक यौगिकों को सही मात्रा में इस्तेमाल कर के उन्हें सुरक्षित और सस्ती चिकित्सा में बदला जा सकता है।

    डायबिटिक फुट अल्सर से अम्पुटेशन तक

    डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, फुट अल्सर यानी पैरों में घाव। यह संक्रमण कई बार इतनी तेजी से फैलता है कि पैर काटने की नौबत आ जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर सिनैपिक एसिड को एक प्राकृतिक ओरल थेरेपी के रूप में विकसित किया जाए, तो यह न केवल घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करेगा बल्कि अम्पुटेशन के मामलों को भी कम कर सकता है।

    इस खोज का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह उपचार सस्ता और सुलभ हो सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण या संसाधन-सीमित इलाकों में रहने वाले मधुमेह रोगियों के लिए यह एक बड़ी राहत बन सकता है, जहां महंगे उपचार या आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं।

    भविष्य के लिए नया रास्ता

    वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह पहला अध्ययन है जिसने वैश्विक स्तर पर यह सिद्ध किया है कि सिनैपिक एसिड जैसे प्राकृतिक यौगिक का प्रि-क्लीनिकल स्तर पर डायबिटिक घावों में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आगे चलकर इस पर और अध्ययन किए जाएंगे, ताकि इसे मानव उपयोग के लिए सुरक्षित दवा के रूप में विकसित किया जा सके। अगर आने वाले वर्षों में यह सफल होता है, तो यह खोज उन लाखों मधुमेह रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण साबित हो सकती है, जो हर दिन घावों और संक्रमण से जूझते हैं।

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