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    Type-2 Diabetes Symptoms: ज़रूर जान लें टाइप-2 डायबिटीज़ के सबसे आम 3 लक्षणों के बारे में!

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Thu, 11 Nov 2021 04:18 PM (IST)

    Diabetes Symptoms एक व्यक्ति उस वक्त डायबिटीज़ से पीड़ित माना जाता है जब पैनक्रियाज़ यानी अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन (एक हार्मोन) का उत्पादन नहीं करता है या फिर जब कोशिकाएं जब इसका उपयोग भोजन से उत्पादित ग्लूकोज़ को ऊर्जा में बदलने का काम नहीं कर पाती हैं।

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    ज़रूर जान लें टाइप-2 डायबिटीज़ के सबसे आम 3 लक्षणों के बारे में!

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diabetes Symptoms: टाइप-2 डायबिटीज़ तब होती है जब ब्लड शुगर का स्तर हाई हो जाता है, जिसे सिर्फ दवाइयों की मदद से ही मैनेज किया जा सकता है। एक व्यक्ति उस वक्त डायबिटीज़ से पीड़ित माना जाता है, जब पैनक्रियाज़ यानी अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन (एक हार्मोन) का उत्पादन नहीं करता है या फिर जब कोशिकाएं जब इसका उपयोग भोजन से उत्पादित ग्लूकोज़ को ऊर्जा में बदलने का काम नहीं कर पाती हैं। इससे रक्त में ग्लूकोज़ बना रहता है जिससे शरीर के विभिन्न काम प्रभावित होते हैं। डायबिटीज़ के संकेत और लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं और यह हर इंसान में अलग तरह से दिखते हैं। हालांकि, कुछ ऐसे संकेत हैं जो आम हैं और डायबिटीज़ के ज़्यादातर मामलों में देखे जाते हैं। इन्हें डायबिटीज़ की तीन 'P' के नाम से जाना जाता है- पॉलीडिप्सिया (polydipsia), पॉल्यूरिया (polyuria) और पॉलीफैगिया (polyphagia)।

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    पॉलीडिप्सिया

    पॉलीडिप्सिया एक मेडिकल शब्द है, जिसका उपयोग ज़रूरत से ज़्यादा प्यास का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो मधुमेह के रोगियों में आम है। इस स्थिति में व्यक्ति को अत्यधिक प्यास लगती है या उसका मुंह सूखा लगता है। डायबिटीज़ के मामले में व्यक्ति हर थोड़ी देर में बाथरूम जाता है। रक्तप्रवाह में अत्यधिक ग्लूकोज की उपस्थिति के कारण, हमारे गुर्दे को उन्हें हमारे सिस्टम से निकालने के लिए अतिरिक्त काम करना पड़ता है। इसकी वजह से बार-बार पेशाब आता है और शरीर की पानी की ज़रूरत भी बढ़ती है।

    पॉल्यूरिया

    पोलुरिया एक चिकित्सीय स्थिति है जिसका उपयोग अत्यधिक पेशाब को परिभाषित करने के लिए किया जाता है, जो मधुमेह का एक और बड़ा संकेत है। अनियंत्रित या उच्च रक्त शर्करा का स्तर गुर्दे को रक्तप्रवाह में अप्रयुक्त ग्लूकोज और विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए अधिक काम करने के लिए मजबूर करता है। गुर्दे अत्यधिक ग्लूकोज़ को फिल्टर करते हैं जो पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं। ज़्यादातर लोग प्रति दिन लगभग 1-2 लीटर पेशाब करते हैं, लेकिन पॉल्यूरिया के मामले में, यह एक दिन में 3 लीटर से अधिक बढ़ जाता है। अन्य स्थितियां जो पॉलीयूरिया की ओर ले जाती हैं, वे हैं गर्भावस्था, गुर्दे की बीमारी, उच्च कैल्शियम का स्तर और मूत्रवर्धक दवाएं।

    पॉलीफैगिया

    जब भोजन के अवशोषण से प्राप्त ग्लूकोज का उपयोग कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए नहीं किया जाता है, तो इससे व्यक्ति को भूख लगती है। एनर्जी की कमी की वजह से लगने वाली अत्यधिक भूख को पॉलीफैगिया के रूप में जाना जाता है। जो भूख डायबिटीज़ से जुड़ी होती है, वह खाना खाने से दूर नहीं होती।

    एक व्यक्ति जितना ज़्यादा खाता है उसका ब्लड शुगर स्तर उतना ही ज़्यादा बढ़ता है। खाना खाने के बाद भी वे थकावट और कमज़ोर महसूस करते हैं। पॉलीफैगिया, ओवरएक्टिव थायरॉइड, PMS या तनाव का कारण भी बन सकता है।

    डायबिटीज़ को कैसे मैनेज करें?

    पॉलीडिप्सिया, पॉल्यूरिया और पॉलीफैगिया डायबिटीज़ के तीन आम लक्षण हैं, जो ज़्यादातर मरीज़ों में देखे जाते हैं। हालांकि, इसके कई और लक्षण भी हैं, जिनका लोग अनुभव करते हैं। इसके लिए आपको डॉक्टर से ही सलाह लेनी होगी। आपकी डायबिटीज़ की जांच कर ही डॉक्टर आपको सही दवाइयां दे सकेंगे। इसके साथ आपको अपनी लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव करने होंगे, जिससे ब्लड शुगर स्तर को सही तरीके से मैनेज किया जा सके। याद रखें कि अगर डायबिटीज़ को सही तरीके से मैनेज न किया जाए, तो ये समय के साथ दूसरे अंगों को प्रभावित कर सकती है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

    Disclaimer:लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।