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    इस कारण फ‍िट रहते थे पुराने जमाने के लोग, उनके खानापान की ये आदतें आपको भी रखेंगी हेल्‍दी

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:21 AM (IST)

    Mindful Eating माइंडफुल ईटिंग सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि एक हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल है। अगर हम रोजाना खाने को थोड़ा ध्यान और समय देकर खाएं तो ना सिर्फ हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि मन भी शांत रहेगा। आपने देखा होगा क‍ि पुराने जमाने के लोगों की सेहत का राज ही उनके खाने का तरीका था। यही आदतें उन्‍हें स्‍वस्‍थ रखती थीं।

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    इस कारण फ‍िट रहते थे पुराने जमाने के लोग।

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। आजकल के लोग खाना सिर्फ पेट भरने के लिए खाते हैं, न कि आनंद लेने के लिए। दरअसल, उनके पास इतना समय नहीं होता है क‍ि वो पर‍िवार के साथ में बैठकर खाना खाएं। ये तो बस एक रूटीन बनकर रह गया है। लेक‍िन आपने कभी पुराने जमाने के लोगों को देखा है या फ‍िर दादी नानी से कहान‍ियां सुनी हैं क‍ि लोग पहले क‍िस तरह से खाना खाते थे? अगर नहीं, तो हम आपको बता दें क‍ि पहले के लाेग जमीन पर चटाई ब‍िछाते थे या पीढ़े पर बैठकर खाना खाते हैं। साथ खाने से जहां र‍िश्‍ते मजबूत होते थे, वहीं सेहत को भी कई फायदे म‍िलते थे।

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    डॉ. करुणा चतुर्वेदी (हेड ऑफ क्‍ल‍िन‍िकल न्‍यूट्र‍िशन, मैक्‍स सुपर स्‍पेशल‍िटी हाॅस्‍प‍िटल, नोएडा) ने बताया क‍ि जमीन पर बैठने से शरीर की मुद्रा सुधरती है। खाना आसानी से डाइजेस्‍ट हो जाता है। इससे घुटनों की ताकत भी बनी रहती है। उन्‍होंने बताया क‍ि जब सब लोग मिलकर बैठते थे, तो आपस में बातचीत होती थी, हंसी-मजाक चलता था। इससे भावनात्मक जुड़ाव गहरा होता था। यह परंपरा न केवल शरीर को स्वस्थ रखने वाली थी, बल्कि रिश्तों में भी गर्माहट घोलने वाली थी। लेक‍िन आज लोग जल्‍दी-जल्‍दी खाते हैं। टीवी या मोबाइल देखते हुए खाना, खाते समय बातें करना, ये सभी आदतें हमारे शरीर और मन पर बुरा असर डालती हैं। ऐसे में माइंडफुल ईटिंग यानी सजगता से खाना खाने की आदत हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। आइए जानते हैं खाना खाते समय क‍िन बातों का ध्‍यान रखना चाह‍िए-

    माइंडफुल ईटिंग क्या है?

    माइंडफुल ईटिंग का मतलब होता है क‍ि हर न‍िवाले को ध्यान से और आनंद लेते हुए खाना। जब आप खाने की खुशबू, स्वाद, रंग और बनावट को महसूस करके खाना खाते हैं तो ये माइंडफुल ईट‍िंग कहलाता है। इसका उद्देश्य सिर्फ पेट भरना नहीं, बल्कि खाने से जुड़ी पूरी प्रक्रिया का आनंद लेना होता है।

    बैठकर और शांत मन से खाना

    आपने घरों में अपनी दादी-नानी को कहते सुना होगा क‍ि खाना हमेशा बैठकर और शांति से खाना चाहिए। खड़े-खड़े या चलते-चलते खाने से न तो खाना पचता है, न ही हम उसका स्वाद ले पाते हैं। इससे हम कई बीमार‍ियों का श‍िकार हो जाते हैं।

    हर निवाले को चबा-चबाकर खाएं

    पुराने जमाने के लोग हर एक निवाले को कम से कम 32 बार चबाकर खाते थे। इससे खाना आसानी से डाइजेस्‍ट हो जाता है। शरीर को पोषण भी अच्छे से मिलता है।

    स्‍क्रीन से दूर रहें

    टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर फ‍िल्‍में या कुछ भी देखकर खाने से मन भटकने लगता है। इससे हम ना तो यह समझ पाते हैं कि कितना खा लिया और ना ही खाना एंजॉय कर पाते हैं। कभी-कभार ओवरईट‍िंग भी हो जाती है।

    कृतज्ञता के साथ भोजन करना

    आज भी आप कई लोगों को देख सकते हैं क‍ि वे खाना शुरू करने से पहले भगवान को समर्पित करते हैं। इससे हमारे मन में खाने के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव आता है। ये मानसिक रूप से भी बहुत फायदेमंद होता है।

    पीढ़े पर बैठकर खाएं

    दादी-नानी के जमाने के लोग पीढ़े पर बैठकर भोजन करना पसंद करते थे। इससे पेट भी बाहर नहीं न‍िकलता था और वजन भी कंट्रोल में रहता था।

    माइंडफुल ईटिंग के फायदे

    • वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
    • डाइजेशन बेहतर होता है।
    • तनाव कम होता है।
    • खाने का स्वाद और अनुभव बेहतर होता है।
    • खाने की बर्बादी कम होती है।

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।