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    डर से क‍िडनी ताे गुस्‍से से ल‍िवर होता है खराब, कुछ यूं शरीर के अंगों को प्रभावि‍त करते हैं इमोशंस

    हमारी भावनाएं हमारे सेहत पर भी गंभीर असर डालती हैं। अगर आप चाहते हैं क‍ि ऐसा न हो तो इससे बचने का सबसे अच्‍छा तरीका है क‍ि आप अपने इमोशंस (Emotional impact on organs) को पहचानें। उन्हें सही तरीके से बाहर निकालें। गुस्से को शांति से संभालें डर लग रहा हो तो किसी अपने से बात करें और चिंता हो तो योग या ध्यान करें।

    By Vrinda Srivastava Edited By: Vrinda Srivastava Updated: Thu, 17 Apr 2025 02:21 PM (IST)
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    शरीर के अंगों को भी प्रभाव‍ित करती हैं भावनाएं।

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां हम खुद को समय नहीं दे पा रहे हैं। इससे हमारे अंदर कई तरह की भावनाएं उमड़ने लगी हैं। ऐसे में हमारा शरीर भी कई तरह से रिएक्ट करता है। हम जैसा महसूस करते हैं, वैसा ही हमारा शरीर भी जवाब देने लगता है। खुशी, गुस्सा, डर, चिंता, उदासी, ये सब सिर्फ हमारे मन को नहीं, बल्कि हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों (How Emotions Impact Organs) को भी प्रभावित करते हैं।

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    अगर आपने कोई भी बात या भावनाओं को बहुत लंबे समय तक अपने अंदर दबा कर रखा है तो ये हमारे अंगों को कमजोर कर सकती है। इससे हम गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। क्‍या आपने कभी सोचा था क‍ि हमारी भावनाएं भी हमें प्रभाव‍ित कर सकती हैं? इसके ल‍िए हमने डॉ. नीतू त‍िवारी (सीन‍ियर रेज‍िडेंट, एमडी साइकेट्रिस्ट, एमबीबीएस, नोएडा इंटरनेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेड‍िकल साइंस) से बात की। उन्‍होंने बताया क‍ि हमारी भावनाएं इस तरह से हमारे शरीर के अंगों पर असर डालती हैं-

    गुस्सा- लि‍वर

    आज कल के लोगों को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। दरअसल इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों में इतनी फ्रस्ट्रेशन है कि लोग छोटी-छोटी बातों पर भी तुरंत नाराज हो जाते हैं। जब हम बहुत ज्यादा गुस्सा करते हैं तो उसका सीधा असर हमारे लिवर पर होता है। इससे सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, पाचन की परेशानी और हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।

    डर- किडनी

    लगातार डर या घबराहट से किडनी (fear affects kidneys) पर असर पड़ता है। इससे थकान, कमर दर्द, नींद न आना और बार-बार पेशाब की समस्या हो सकती है।

    दुख- फेफड़े

    अगर आप लंबे समय तक दुखी रहते हैं तो इसका असर लंग्स (grief weakens lungs) पर होता है। ऐसे में आपको सांस लेने में परेशानी, सीने में भारीपन और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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    चिंता- स्प्लीन

    हर छोटी-बड़ी बात की चिंता करने से तिल्ली कमजोर हो जाती है। इसका असर हमारे पेट पर पड़ता है। इससे भूख न लगना, खाना हजम न होना और पेट में भारीपन महसूस होता है।

    उदासी- दिल

    लंबे समय तक मायूस रहने से हमारे दिल की सेहत पर असर पड़ता है। इससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, थकान और कमजोरी बनी रहती है।

    जलन- लि‍वर और पित्त की थैली

    अगर आपने किसी के लिए ईर्ष्या की भावना रखते हैं ताे उसका असर भी लिवर और पित्त की थैली पर होता है। इससे पाचन खराब हो सकता है और मन बेचैन रहता है।

    कैसे बचें?

    डॉक्‍टर नीतू ति‍वारी ने बताया क‍ि जब मन खुश होता है, तब शरीर भी स्वस्थ रहता है। भावनाओं को दबाना नहीं, समझकर जाहिर करना सीखना चाह‍िए। गुस्सा, डर, चिंता और दुख को दिल में रखने से द‍िक्‍कतें बढ़ सकती हैं। जबक‍ि मुस्कराने, खुलकर जीने और सच्चे दिल से बात करने से जीवन को सुंदर और सेहतमंद बनाया जा सकता है।

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