सावधान! सिर्फ धूम्रपान करने वालों तक ही सीमित नहीं है Lung Cancer, लैंसेट की नई स्टडी में हुआ खुलासा
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और फेफड़ों का कैंसर उनमें से एक है। अब तक आप भी यह मानते होंगे कि लंग कैंसर का खतरा (Lung Cancer Risk) सिर्फ उन लोगों में होता है जो धूम्रपान करते हैं। हालांकि लैंसेट की नई स्टडी ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है यानी यह उन लोगों में भी तेजी से बढ़ रहा है जो कभी धूम्रपान नहीं करते थे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Lung Cancer Risk: दुनियाभर में हर साल 4 फरवरी का दिन विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day 2025) के तौर पर मनाया जाता है। फेफड़ों का कैंसर आज दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों की बड़ी वजहों में से एक है। आमतौर पर इसे धूम्रपान करने वालों की बीमारी माना जाता रहा है।
हालांकि, हाल ही में मेडिकल जर्नल 'लैंसेट' में पब्लिश एक नई स्टडी (Lancet study 2025) ने इस धारणा को चुनौती दी है। इस अध्ययन के अनुसार, फेफड़ों का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों तक ही सीमित नहीं है (Non-Smokers And Lung Cancer), बल्कि यह उन लोगों को भी प्रभावित कर रहा है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। यह खुलासा फेफड़ों के कैंसर को लेकर हमारी समझ को पूरी तरह से बदलने वाला है और इसके बचाव एवं इलाज के तरीकों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत को बताता है।
धूम्रपान और लंग कैंसर का कनेक्शन
धूम्रपान को फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण माना जाता रहा है। तंबाकू में मौजूद हानिकारक रसायन, जैसे निकोटिन और कार्सिनोजेन्स, फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर के 85% मामले धूम्रपान से जुड़े हुए हैं।
इस वजह से, धूम्रपान न करने वाले लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता कम रही है। हालांकि, लैंसेट की नई स्टडी ने इस धारणा को तोड़ते हुए बताया है कि धूम्रपान न करने वाले लोग भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
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लंग कैंसर पर लैंसेट की ताजा स्टडी
लैंसेट की नई स्टडी के मुताबिक, जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, उनमें भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण को माना जा रहा है। यह अध्ययन इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है।
वैज्ञानिकों ने 2022 के वैश्विक कैंसर आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि "एडेनोकार्सिनोमा" नामक फेफड़ों का कैंसर उन लोगों में सबसे ज्यादा पाया जा रहा है जो धूम्रपान नहीं करते हैं। अध्ययन में यह भी सामने आया कि 2022 में दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर के जितने भी मामले सामने आए, उनमें से 53-70% ऐसे लोग थे जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था।
प्रदूषण बन रहा कैंसर की वजह
वैज्ञानिकों का मानना है कि वायु प्रदूषण, खासतौर से PM2.5 जैसे कणों के कारण दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। ये कण फेफड़ों के अंदर तक जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। 2022 में, महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के 80,378 मामले वायु प्रदूषण से जुड़े थे।
इन लोगों को ज्यादा खतरा
स्टडी की मानें, तो लंग कैंसर से होने वाली टोटल डेथ में नॉन-स्मोकर्स पांचवें नंबर पर हैं। ये प्रॉब्लम महिलाओं और एशियाई देशों में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। एक वैज्ञानिक फ्रेडी ब्रे के अनुसार, आजकल लंग कैंसर के केस बढ़ने के दो कारण हैं - लोगों की स्मोकिंग की आदतें बदल गई हैं और दूसरा वायु प्रदूषण बढ़ गया है।
Sources:
- लैंसेट: https://www.thelancet.com/journals/lanres/article/PIIS2213-2600(24)00428-4/abstract
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