बच्चे कम उम्र में ही हो जाते हैं ऑटिज़्म के शिकार, जानें इसके लक्षण
विशेषज्ञों की मानें तो यह एक मानसिक रोग है। इस रोग के शिकार बच्चे अधिक होते हैं। एक बार आटिज्म के चपेट के आने के बाद बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आटिज्म एक मानसिक विकार है। इस विकार की शुरुआत बचपन में होती है। इसमें व्यक्ति को भूलने की बीमारी होती है। साथ ही व्यक्ति को किसी काम करने में रूचि नहीं रहती है, बल्कि तन्हा रहने का दिल करता है। आटिज्म का इलाज संभव है। अगर आपके बचपन में अगर भूलने की बीमारी है और उसका मन किसी भी चीज़ों में नहीं लगता है। साथ ही वह अकेला रहना चाहता है, तो आपको डॉक्टर की मदद लेने की जरूरत है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका प्रौढ़ावस्था में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलता है। आइए इस विकार के बारे में विस्तार से जानते हैं-
आटिज्म क्या है
विशेषज्ञों की मानें तो यह एक मानसिक रोग है। इस रोग के शिकार बच्चे अधिक होते हैं। एक बार आटिज्म के चपेट के आने के बाद बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है। इस वजह से बच्चा परिवार और समाज से दूर रहने लगता है। इसका दुष्प्रभाव बड़े लोगों में अधिक देखने को मिलता है। आटिज्म ऑटिस्टिक डिसऑर्डर, एस्पर्गर सिंड्रोम, और परवेसिव डेवलपमेंटल डिसऑर्डर तीन प्रकार के होते हैं।
आटिज्म के लक्षण
इस विकार में व्यक्ति या बच्चा आंख मिलाने से कतराता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बात को इग्नोर करना या न सुनने का बहाना करता है। आवाज देने पर भी कोई जवाब नहीं देता है। अगर जवाब भी देता है, तो अव्यवहारिक रूप में देता है। माता-पिता की बात पर सहमति नहीं जताता है। अगर आपके बच्चे में इस प्रकार के लक्ष्ण हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है।
आटिज्म के लिए आवश्यक सावधानियां
जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह एक मानसिक रोग है। इसलिए, आटिज्म विकार में चिकित्सा ही सहारा है। इसके लिए आप अपने बच्चे के एक्टिविटी में बदलाव लाने की कोशिश करें। उसके खानपान, रहन-सहन और जीवनशैली पर अधिक ध्यान दें। अपने बच्चे को संकुचित न होने दें। उसे रोजाना नए लोगों से परिचय कराएं, ताकि उसके जेहन से झिझक दूर हो सके। इसके बाद लगतार काउंसलिंग से बच्चे की सेहत में अवश्य सुधार देखने को मिल सकता है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।