5 बीमारियों में वरदान से कम नहीं है Kilmora, ऐसे करें डाइट में शामिल; बनी रहेगी तंदरुस्ती
सेहतमंद रहने के लिए कई जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में हम हेल्दी डाइट लेते हैं। पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले औषधीय वनस्पति किलमोड़ा के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। ये कांटेदार पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। ये कई बीमारियों में वरदान है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सेहतमंद रहने के लिए हम कई उपाय करते हैं। पौष्टिक आहार लेते हैं। एक्सरसाइज करते हैं और न जाने क्या-क्या करते हैं। उन्हीं में से एक है किलमोड़ा जो कि पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और उत्तराखंड सिर्फ अपने खानपान के लिए ही नहीं, बल्कि औषधीय पेड़ पौधों के लिए भी जाना जाता है। आज हम आपको पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले औषधीय वनस्पति किलमोड़ा के बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि ये कांटेदार पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे बवासीर यानी कि पाइल्स के इलाज में कारगर माना गया है। इसके फल, पत्तियां और जड़ें औषधीय तत्वों से भरपूर होती हैं। ये पाचन को बेहतर बनाने का काम करती हैं, साथ ही शरीर को भी सेहतमंद रखती हैं।
कई बीमारियों में वरदान है किलमाेड़ा
किलमोड़ा में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें बीटा कैरोटिन, एस्कार्बिक एसिड और फेनोलिक कंपाउंड जैसे तत्व होते हैं, जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर रोजाना इसे अपनी डाइट में शामिल कर लिया गया तो बवासीर, कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है। ये लिवर और डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं में भी मदद कर सकता है।
बवासीर के इलाज में कैसे मददगार है किलमोड़ा?
किलमोड़ा की जड़ और छाल से मिलने वाले औषधीय अर्क सूजन कम करते हैं। इसके अलावा ये अंदर के घावों को जल्दी ठीक करने में सक्षम होते हैं। इसका काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है। साथ ही इसका पाउडर बनाकर गुनगुने पानी में मिलाकर पी सकते हैं। इससे डाइजेशन बेहतर होता है। कब्ज की समस्या भी दूर होती है। आपकाे बता दें कि कब्ज बवासीर का एक मुख्य कारण होता है। यही कारण है कि किलमोड़ा इसके इलाज में बेहद कारगर साबित हो सकता है।
कई दवाओं में हो रहा इस्तेमाल
आयुर्वेद और हर्बल चिकित्सा में जड़ी-बूटियों से बनीं दवाओं की डिमांड ज्यादा हो रही है। इस कारण किलमोड़ा का इस्तेमाल भी औषधीय दवाओं में किया जाने लगा है। हर्बल कंपनियां अब इसे बवासीर के इलाज के लिए दवाओं में शामिल कर रही हैं। वैज्ञानिक भी इस पौधे पर शोध कर रहे हैं ताकि इसके अधिक से अधिक स्वास्थ्य लाभों को उजागर किया जा सके।
बढ़ रही है किलमोड़ा की खेती
ज्ञात हो कि किलमोड़ा केवल जंगली क्षेत्रों में पाया जाता था, लेकिन अब इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसान इसकी खेती भी कर रहे हैं। इससे न केवल यह औषधीय पौधा आसानी से उपलब्ध होगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
यह भी पढ़ें: कांटेदार किलमोड़ा का जूस बना रोजगार का जरिया, देश-विदेश से आ रही मांग NAINITAL NEWS
यह भी पढ़ें: देसी घी और काली मिर्च का कॉम्बिनेशन सेहत के लिए फायदेमंद, रोज सुबह खाने से दूर होंगी 5 परेशानियां
Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।