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    नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाने से लेकर शरीर की कमजोरी दूर करने तक, कई परेशानियों का आसान इलाज है योग

    योग दुनिया के लिए भारत का एक तोहफा है। कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि स्वस्थ व खुशहाल जीवन के लिए यह एक जरूरत है। आइए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2025) (21 जून) पर ईश्वर बी. बासवरेड्डी से जानें क्यों योग को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनना चाहिए किस तरह योग जीवन के संजोग बढ़ा रहा है।

    By Jagran News Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 16 Jun 2025 09:18 AM (IST)
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    सेहत की कई परेशानियों का रामबाण इलाज है योग (Picture Courtesy: Freepik)

    ईश्वर बी. बासवरेड्डी, नई दिल्ली। सुकून और शांति की खोज के लिए पहाड़ों में भीड़ बढ़ रही है। प्रकृति के बीच रहकर भी उसकी निकटता महसूस नहीं हो पाती। विचारों का टकराव भीतर भी है और बाहर भी। आधुनिक सुख-सुविधाओं के बाद भी खुशी नहीं मिल रही है। निरंतर एक बेतहाशा दौड़ ने बर्नआउट, मानसिक थकान व बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसे में एक सहज समाधान हो सकता है योग। इसके लिए भारी-भरकम प्रयासों की जरूरत नहीं, बल्कि ठोस संकल्प चाहिए। इसके लिए योग दिवस (Yoga Day 2025) से बेहतर दिन नहीं हो सकता। आइए वर्तमान जीवन की दिशा बदलें। एक स्वस्थ, सचेत और उद्देश्यपूर्ण जीवन की ओर मुड़ जाएं।

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    नर्वस सिस्टम को मजबूती

    एक स्वस्थ मन में स्वस्थ शरीर का वास होता है। यह एक कहावत नहीं बल्कि योग का सार है। विचारों की स्पष्टता, आंतरिक स्वतंत्रता, संतोष महसूस करना स्वस्थ जीवन का आधार है। आज यह दुर्लभ होता जा रहा है। हर वक्त दबाव महसूस करना, एकाग्रता बनाए रखने के लिए जूझते रहना या चुनौती सामने देखते ही घबरा जाना यह सब तनावपूर्ण जीवनशैली के संकेत हैं। वास्तव में ऐसे लोगों का सिंपेथेटिक व पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम सही तरीके से काम नहीं करता है। योग इसमें बड़ी मदद कर सकता है।

    डॉ ईश्वर बी. बासवरेड्डी

    इससे आपात स्थितियों से उपजने वाली परिस्थितियों में हृदय गति संतुलित रहती है, पाचन तंत्र सही रहता है। तनावपूर्ण स्थितियों में भी आप उचित प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो पाते हैं। बता दें कि योग अभ्यास से न्यूरोट्रांसमीटर्स और गाबा, सेरोटोनिन और डोपामाइन हार्मोन शरीर में संतुलित मात्रा में बनाए रखने में भी मदद मिलती हैं। इन हार्मोन को प्राकृतिक रूप से शरीर में मौजूद एंटी-डिप्रेशन दवाइयां भी कहा जाता है। योग से मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर बेहतर होता है जो कि गुणवत्तापूर्ण नींद बहुत जरूरी है।

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    ठहराव का महत्व

    प्रकृति और इंसान का स्वाभाविक रिश्ता है। इस अनिवार्य संबंध पर आधुनिकता ने तेज प्रहार किया है। योग इस संबंध को बेहतर करने के लिए है। नियमित योग से प्रकृति के निकटता महसूस कर सकते हैं। जैसे, आकाश को निहारना, बादलों की अठखेलियां हो या नदी का कलकल करना, पानी की पारदर्शिता हो या खाने का स्वाद आप सचमुच उसका आनंद महसूस कर पाते हैं। पहले जो अनिद्रा या ऊर्जा की कमी महसूस होती रही वह धीरे धीरे गायब हो जाती है। योग आपकी हर उलझन को दूर कर सकता है। आप समझ सकते हैं कि जीवन में सक्रियता जरूरी है और ठहराव भी इसका एक जरूरी अंग है।

    वैश्विक कल्याण के लिए योग

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की मानें तो हृदय रोग से बचाव में योग का बड़ा योगदान है। यह हृदय व फेफड़े की क्षमता को बेहतर कर देता है जिससे भविष्य में संबंधित बीमारियों का जोखिम कम होता जाता है। हालांकि इस समय दुनिया कई समस्याओं से जूझ रही है। पर्यावरण से जुड़ी आपदाएं हों या सामाजिक व वैश्विक टकराव। इस समय योग की अनिवार्यता निरंतर बढ़ गई है। इसके लिए हमें पहल करनी होगी। छोटी उम्र से ही बच्चों को इस ओर प्रेरित करना चाहिए। चाहे घर पर रहकर करें या योग स्टूडियो में, योग आपके जीवन का जरूरी हिस्सा बनना चाहिए। योग का कौन सा आसन पसंद आता है या आपको कैसे आराम महसूस होता है, यह अलग विषय है। मुख्य चीज है आप योग अपनाने का संकल्प लेकर इस पर टिके रहने का प्रयास करते हैं या नहीं!

    बनी रहे प्राण ऊर्जा

    प्राण ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जा है। यह ऊर्जा क्षीण हो जाए तो आंतरिक शक्ति कमजोर पड़ने लगती है। रोग निरोधक शक्ति में कमी आने लगती है। प्राणायाम करने से कई समस्याओं का निराकरण संभव है। इससे शरीर के सभी भागों में आक्सीजन पहुंचाने की क्रिया में सुधार होता है व रक्तचाप नियमित रहता है। मानसिक स्पष्टता व तनाव से बचने में यह बड़ा कारगर है। प्राणायाम के बाद ध्यान जरूर करें। हां, इस दौरान सांस स्वाभाविक गति में रखें। बलपूर्वक यह अभ्यास न करें।

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