International Epilepsy Day 2025: कैसे होते हैं मिर्गी के लक्षण और इसे मैनेज करने के लिए क्या कर सकते हैं
इस साल 10 फरवरी को International Epilepsy Day 2025 मनाया जा रहा है। इस दिन मर्गी के बारे में लोगों को जागरूक बनाने की कोशिश की जाती है। मिर्गी के लक्षणों की पहचान करके इसका वक्त पर इलाज शुरू करवाया जा सकता है। आइए डॉक्टर से जानें मिर्गी के लक्षण कैसे होते हैं और किन तरीकों से एपिलेप्सी को मैनेज किया जा सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Epilepsy Day 2025: एपिलेप्सी, जिसे मिर्गी भी कहा जाता है, एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो दिमाग में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होता है। यह स्थिति बार-बार दौरे (सीजर्स) का कारण बनती है, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।
एपिलेप्सी किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह अक्सर बचपन या वृद्धावस्था में शुरू होता है। यह समस्या दिमाग की चोट, इन्फेक्शन, बर्थ डिसऑर्डर या जेनेटिक कारणों से हो सकती है। इस बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार के मनाया जाता है। इस साल 10 फरवरी को इंटरनेशनल एपिलेप्सी डे (International Epilepsy Day 2025) मनाया जाता है।
आइए इसके लक्षण (Epilepsy Symptom) और मैनेज करने के तरीकों (How to Manage Epilepsy) के बारे में डॉ. अमित कुमार (अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद, के न्यूरोसाइंसेज, न्यूरोलॉजी और स्ट्रोक मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट) से जानते हैं।
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एपिलेप्सी के प्रकार
- जनरलाइज्ड टॉनिक-क्लोनिक सीजर्स- इसमें व्यक्ति बेहोश हो जाता है, शरीर अकड़ जाता है, और झटके आते हैं। यह सबसे आम और गंभीर प्रकार का दौरा है।
- एब्सेंस सीजर्स- इसमें व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए चेतना खो देता है और एकटक देखता रहता है। यह अक्सर बच्चों में देखा जाता है।
- फोकल सीजर्स- इसमें दौरे दिमाग के एक हिस्से से शुरू होते हैं। व्यक्ति को अजीब सनसनी, भ्रम, या शरीर के एक हिस्से में झटके महसूस हो सकते हैं।
- मायोक्लोनिक सीजर्स- इसमें अचानक और तेज झटके आते हैं, जो शरीर के खास हिस्सों को प्रभावित करते हैं।
- एटोनिक सीजर्स- इसमें मांसपेशियों पर कंट्रोल खो जाता है, जिससे व्यक्ति अचानक गिर सकता है।
एपिलेप्सी मैनेज कैसे करें?
हालांकि, मिर्गी का स्थायी इलाज मुमकिन नहीं है, लेकिन इसे कई तरीकों से कंट्रोल किया जा सकता है।
- दवाएं- डॉक्टर द्वारा सुझाई गई एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं दौरे की फ्रीक्वेंसी और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती हैं। इन्हें नियमित रूप से लेना जरूरी होता है।
- लाइफस्टाइल में बदलाव- तनाव, नींद की कमी और शराब पीना मिर्गी के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं। एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
- कीटोजेनिक डाइट- कुछ मामलों में, हाई फैट और कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट मिर्गी के दौरे को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
- सर्जरी- यदि दवाएं असरदार नहीं होतीं और दौरे दिमाग के किसी खास हिस्से से शुरू होते हैं, तो सर्जरी एक ऑप्शन हो सकता है।
- शिक्षा और सहयोग- मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति और उनके परिवार को इस स्थिति के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और दौरों को संभालने के तरीके मालूम होने चाहिए।
- नियमित जांच- डॉक्टर से नियमित जांच और दवाइयों के असर का आकलन मिर्गी के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है।
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