मौत के खतरे को 91% तक बढ़ा देती है Intermittent Fasting, ताजा स्टडी में हुआ हैरान करने वाला खुलासा
आजकल कई लोगों की जुबां पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का नाम चढ़ा हुआ है। अगर आप भी इसे धड़ल्ले से फॉलो कर रहे हैं या जल्द अपनाने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए। दरअसल एक स्टडी में ये दावा किया गया है कि तरह की फास्टिंग दिल की बीमारी से मौत के जोखिम को 91% तक बढ़ा सकती है। आइए जानें इसके बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Intermittent Fasting: आजकल युवाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर काफी क्रेज है। अगर आप भी इसे अपनाए हुए हैं, या जल्द ही फॉलो करने जा रहे हैं, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए है। फास्टिंग के इस तरीके पर हाल ही में एक शोध के नतीजे सामने आए हैं, जो इसपर बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं। बता दें, स्टडी में बताया गया है कि ये हैबिट आपको दिल से जुड़ी बीमारी दे सकती है, और इससे मौत का खतरा 91 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। आइए जान लीजिए क्या कुछ कहती है रिसर्च।
हार्ट के लिए खतरनाक है इंटरमिटेंट फास्टिंग
इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े इस अध्ययन के नतीजे हाल ही में शिकागो में जारी किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि खाने के समय को दिन में केवल आठ घंटे तक सीमित करने से हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम 91 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ऐसे में अब वजन घटाने के मकसद से फास्टिंग के यह तरीका अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की स्टडी के बाद शक के घेरे में आ गया है। बता दें, शिकागो में हुई एक मेडिकल मीटिंग में इस स्टडी से जुड़े नतीजे पेश किए गए हैं। एसोसिएशन के मुताबिक, रिलीज से पहले अन्य विशेषज्ञों द्वारा इस स्टडी की समीक्षा की गई थी।
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क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
'इंटरमिटेंट फास्टिंग' एक ऐसा ईटिंग प्लान है, जिसमें पूरे दिन में एक फिक्स टाइम पर खाना खाया जाता है और बाकी के वक्त फास्टिंग की जाती है। इसका सबसे लोकप्रिय तरीका 16:8 का है, यानी 16 घंटे उपवास और बाकी के वक्त खाना-पीना। इन 16 घंटे में फास्टिंग के दौरान आप कुछ सॉलिड नहीं ले सकते हैं। ऐसे में सिर्फ चाय, पानी, या कॉफी या नींबू पानी जैसे लिक्विड लिए जा सकते हैं। कई लोग यह साइकिल डेली दोहराते हैं और कई लोग एक दिन छोड़कर एक दिन इसे फॉलो करते हैं।
स्टडी पर कुछ डॉक्टरों ने उठाए सवाल
इस अध्ययन के नतीजों पर कुछ डॉक्टरों ने सवाल उठाते हुए कहा कि ये नतीजे हकीकत से इतर भी हो सकते हैं। कहा गया है, कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वाले लोगों और तुलना किए जाने वाले लोगों की हार्ट हेल्थ में फर्क हो सकता है।
व्यापक अध्ययन की है जरूरत
इस बीच यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में मेटाबॉलिज्म के प्रोफेसर कीथ फ्रेन ने कहा है, कि फास्टिंग का यह तरीका कैलोरी कम करने के लिए फेमस है, लेकिन ये स्टडी इस वजह से जरूरी है क्योंकि यह 'इंटरमिटेंट फास्टिंग' के लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स को जानने के लिए किए जाने वाले व्यापक शोध की जरूरत को बताती है। उन्होंने कहा, कि फिलहाल इस अध्ययन में कई सवालों के जवाब सामने आना अधूरा रह गया है।
20 हजार वयस्कों पर हुआ अध्ययन
शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विक्टर झोंग के नेतृत्व में हुई इस स्टडी में 20,000 वयस्क शामिल थे। इसमें 2003 से 2019 के बीच हुई मौत के आंकड़ों को लिया गया है। बता दें, शोधकर्ता इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं, कि इस स्टडी में गलती की संभावना नहीं है, लेकिन फिर भी 'इंटरमिटेंट फास्टिंग' पर किया गया इतना खतरनाक दावा अनदेखा नहीं किया जाता है। ऐसे में अभी इसे लेकर और अधिक शोध की जरूरत है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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