Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या है इंटीग्रेटिंग पैलिएटिव केयर, जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए बन सकती है 'आशा की किरण'

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 10:34 AM (IST)

    जब कोई व्यक्ति लाइलाज या गंभीर बीमारी से जूझ रहा होता है, तो उसका जीवन असहनीय दर्द और दुख से भर जाता है। ऐसे समय में, केवल बीमारी का इलाज ही काफी नहीं होता, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना सबसे जरूरी होता है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक नई और उभरती हुई चिकित्सा पद्धति सामने आई है, जिसे 'इंटीग्रेटिंग पैलिएटिव केयर' कहा जाता है।

    Hero Image

    गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए क्यों जरूरी है 'पैलिएटिव केयर' (Image Source: Freepik)

    आइएएनएस, नई दिल्ली। किसी गंभीर या लाइलाज बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए इलाज सिर्फ दवाइयों तक सीमित नहीं होता, बल्कि उन्हें जरूरत होती है ऐसे सहारे की, जो उनके दर्द को कम करे, मन को शांत रखे और परिवार को भी इस कठिन समय में संभाल सके। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए आज दुनिया भर में 'इंटीग्रेटिंग पैलिएटिव केयर' पर जोर दिया जा रहा है। यह कोई अंतिम विकल्प नहीं, बल्कि एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो मरीज का जीवन बेहतर और सहज बनाने पर ध्यान देती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Hope for Serious Illness

    क्या है इंटीग्रेटिंग पैलिएटिव केयर?

    यह ऐसी स्वास्थ्य सेवा है जिसका उद्देश्य गंभीर और घातक बीमारियों से पीड़ित मरीजों को शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से राहत देना है। इसमें दर्द कम करने से लेकर भावनात्मक समर्थन तक सब शामिल होता है, ताकि मरीज और उनके परिवार, दोनों के जीवन की गुणवत्ता सुधर सके।

    भारत में जरूरत बहुत, पहुंच बेहद कम

    शोध के अनुसार भारत में करीब 70 लाख से 1 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें पैलिएटिव केयर की आवश्यकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि चार प्रतिशत से भी कम मरीज तक यह सुविधा पहुंच पाती है। यह अंतर बताता है कि देश की बड़ी आबादी इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा से वंचित है।

    शोध क्या कहता है?

    यह अध्ययन पुणे के एसोसिएशन फॉर सोशल्ली अप्लीकेबल रिसर्च (ASAR) द्वारा किया गया और इसका निष्कर्ष ई कैंसर मेडिकल साइंस में प्रकाशित हुआ।

    अध्ययन का मुख्य उद्देश्य था- भारत में पैलिएटिव केयर की भौगोलिक पहुंच का आकलन करना और यह समझना कि यदि इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के हर स्तर में शामिल कर दिया जाए, तो इसकी पहुंच कितनी बढ़ सकती है

    ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़ा अंतर

    अध्ययन में पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच शहरी क्षेत्रों की तुलना में कहीं कमजोर है। राज्यों के बीच भी काफी असमानता देखी गई- कुछ राज्यों में यह सेवा बेहतर रूप से उपलब्ध है, जबकि कई राज्यों में इसकी पहुंच बेहद सीमित है।

    एकीकरण से बदल सकती है तस्वीर

    शोध का महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि जब पैलिएटिव केयर को स्वास्थ्य प्रणाली के हर स्तर- जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर आदि में शामिल किया गया, तो इसकी पहुंच में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई। इसका मतलब है कि अगर सरकार और स्वास्थ्य संस्थान मिलकर इसे स्वास्थ्य ढांचे का हिस्सा बना दें, तो पूरे देश में अधिक समान और सुलभ देखभाल सुनिश्चित की जा सकती है।

    क्यों है पैलिएटिव केयर का विस्तार जरूरी?

    • मरीजों को बेहतर जीवन गुणवत्ता मिलती है
    • दर्द और मानसिक तनाव में कमी आती है
    • परिवारों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग मिलता है
    • स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव कम होता है
    • समय रहते सही देखभाल मिलने से मरीज की स्थिति सुधरती है

    इंटीग्रेटिंग पैलिएटिव केयर उन लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह सिर्फ एक चिकित्सा सेवा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से भरा एक ऐसा प्रयास है, जिसके माध्यम से मरीजों को सम्मानजनक, सहज और बेहतर जीवन जीने में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है। अगर इसे पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल कर दिया जाए, तो भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदलना बिल्कुल संभव है।

    यह भी पढ़ें- अब देश की राजधानी से भी पलायन! जहरीली हवा ने 80% लोगों को किया बीमार, दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर डरावनी रिपोर्ट

    यह भी पढ़ें- सर्दियों के मौसम में ठंडी और शुष्क हवा बढ़ा रही आंखों की समस्या, डाक्टर की सलाह भूलकर भी न करें इग्नोर