सिर्फ कैल्शियम से नहीं बनेगी बात, आंतों की सूजन कर रही हड्डियों को खोखला; एम्स के डॉक्टर ने किया खुलासा
मेनोपाजल आस्टियोपोरोसिस यानी मेनोपाज की अवस्था में पहुंच चुकी महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी परेशानी होती है, पर एम्स के नए शोध के अनुसार, इसका कारण आंत ...और पढ़ें

हड्डियों के दर्द का है पेट से कनेक्शन (Picture Courtesy: Freepik)
स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। सीढ़ियां चढ़ते वक्त घुटनों में दर्द, कमर में लगातार जकड़न और हल्की सी ठोकर में हड्डी टूट जाने का डर। ऐसा माना जाता रहा है कि मेनोपाज के बाद यह सब स्वाभाविक है, पर एम्स ने इस समस्या के समाधान पर नए पहलुओं पर ध्यान दिलाया।
इस नए अध्ययन के अनुसार, हड्डियों में यह दर्द और कमजोरी केवल हार्मोन की कमी की वजह से नहीं, इसकी असल जड़ इसकी असल जड़ आंत यानी गट में छिपी होती है । मेनोपाज के बाद जब शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होता है तो इसका असर आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। इससे आंतों में सूजन बढ़ती है, यही सूजन धीरे-धीरे हड्डियों को खोखला कर कमजोर कर देती है। संबंधित शोध के 'लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस' (अच्छे बैक्टीरिया, जो आंतों को स्वस्थ रखते और पाचन सुधारते हैं) जैसे प्रोबायोटिक जीवाणु इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
कम हो सकती है फ्रैक्चर की आशंका
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की ट्रांसलेशन आस्टियोइम्यूनोलाजी एंड इम्यूनोपोरोसिस लैब के एडीशनल प्रोफेसर डॉ. रूपेश कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह शोध किया गया। डॉ. रूपेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि आंत में सूजन नियंत्रित नहीं रहने से शरीर, हड्डियों के क्षरण की प्रक्रिया रोक नहीं पाता । मामूली चोट या गिरने तक से फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन अगर आंतों की सूजन को नियंत्रित कर लिया जाए तो हड्डियों की टूटने वाली प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।
ऐसा ही कुछ ऑस्टियोपोरोसिस के मामलों में भी होता है। उन्होंने इसे इम्योनोपोरोसिस यानी ऑस्टियोपोरोसिस की इम्यूनोलॉजी नाम दिया है। इस तरह भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज केवल कैल्शियम, हार्मोन या दवाओं तक सीमित नहीं रहेगा | गट माइक्रोबायोम और प्रतिरक्षा संतुलन भी इसके उपचार की अहम कड़ी बनेंगे। डॉ. रूपेश श्रीवास्तव के अनुसार, प्रोबायोटिक्स आंत में प्रतिरक्षा कोशिकाओं के संतुलन को सुधारते हैं । हम आंत को स्वस्थ रखेंगे, तो उसका असर हड्डियों, प्रतिरक्षा व समग्र स्वास्थ्य पर भी दिखेगा ।
बचाव के कुछ उपाय
- सुबह की धूप में 15-20 मिनट बैठें। (विटामिन-डी के लिए)
- तिल, रागी, सोयाबीन, मूंगफली को आहार में शामिल करें।
- दही जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ ग्रहण करें।
- रोजाना दूध, छाछ व पनीर का सेवन करें।
- रोजाना हल्का व्यायाम करें।
- हल्दी वाला दूध सूजन और दर्द में लाभकारी होता है ।
- नमक, चीनी का सेवन कम करें ।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
- पर्याप्त पानी पिएं।
इन बातों का रहे ध्यान
- 50 वर्ष के बाद हड्डियों की जांच कराना जरूरी दर्द को उम्र का असर मानकर अनदेखा न करें
- घर में गिरने से बचाव के उपाय अपनाएं
- संतुलित आहार के साथ नियमित दिनचर्या अपनाएं

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।