आपकी थाली में ही मौजूद हैं सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन्स, जानें कैसे करें इनसे बचाव
सेहतमंद रहने के लिए हम कई सावधानियां बरतते हैं फिर भी कुछ हानिकारक तत्व खाने में प्रवेश कर जाते हैं। टॉक्सिन्स इन्हीं तत्वों में से एक है जो कई बार नेचुरली खाने में आ जाते हैं। वहीं कुछ मानव निर्मित भी होते हैं। ऐसे में हेल्दी रहने के लिए इनकी पहचान कर बचाव बेहद जरूरी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। खुद को हेल्दी रखने के लिए कई सारी सावधानियां बरतते हैं। हालांकि, कई बार लाख सावधानियों के बाद भी कुछ तरह के टॉक्सिन्स हमारी थाली में पहुंच ही जाते हैं। WHO (world health organization) के अनुसार कुछ टॉक्सिन्स नेचुरली मोल्ड या फफूंद बनाते हैं और आपके फूड आयटम में भी आ जाते हैं।
हालांकि, कुछ टॉक्सिन्स इंसानों द्वारा बनाए गए हैं, जो आपके खाने-पीने की चीजों में घुसपैठ कर जाते हैं। चिंता की बात यह है कि आपको इसकी खबर तक नहीं होती। ऐसे में इन टॉक्सिन्स के स्रोतों के बारे में जानकर आप इससे बचाव कर सकते हैं।
किन फूड्स में मिलते है टॉक्सिन्स?
बीते कुछ समय से लोगों के बीच सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी है और इसलिए वह अपने खानपान को लेकर सतर्क भी हो रहे हैं। लेकिन कई बार हम अनजाने में ऐसी चीजें खा या पी रहे होते हैं, जो टॉक्सिक होते हैं। आपके खाने-पीने की चीजों में आखिर ये टॉक्सिन्स कैसे पहुंच रहे हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है, आइए जानते हैं।
ये टॉक्सिन्स आपकी फूड आइटम्स में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं-
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- पेस्टीसाइड्
- बिस्फेनॉल ए (BPA)
- थैलेट्स
- हैवी मैटल्स
- नाइट्रेट एंट नाइट्रेट
- पीएफए
खेतों से थाली तक का सफर
आमतौर पर काफी सारी फसलों पर पेस्टीसाइड या कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। हमारी फल और सब्जियों में भी इसका पाया जाना आम है, इसलिए ऑर्गेनिक चीजें खरीदें और हमेशा उन्हें धोकर इस्तेमाल करें। पेस्टीसाइड्स की वजह से एंडोक्राइन सिस्टम में गड़बड़ी पैदा होती है, हॉर्मोनल एक्ने और कई बार गंभीर प्रभाव की वजह से कैंसर या न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो सकती है।
प्लास्टिक में पाया जाता है
BPA एक ऐसा केमिकल है जोकि प्लास्टिक और रेजिन में पाया जाता है। यह आपके प्लास्टिक फूड कंटेनर और कैन में बंद फूड आयटम व पेय पदार्थों के पैकेज में पाया जा सकता है। इसमें पाया जाने वाला जेनोएस्ट्रोजन नाम केमिकल एस्ट्रोजेन की तरह एक्ट करता है, जिससे एंडोक्राइन सिस्टम में रुकावट आती है। इससे पीसीओएस, मोटापा, फर्टिलिटी और थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। BPA से बचने के लिए कांच या फिर स्टेनलेस स्टील के कंटेनर इस्तेमाल करना बेहतर है। साथ ही कैन फूड खाने से भी बचना चाहिए।
मिट्टी और पानी से पहुंचता है
लेड, मरक्यूरी, आर्सेनिक और कैडमियम जैसे हैवी मैटल्स आमतौर पर खाने की चीजों को टॉक्सिक बना देते हैं। दरअसल, ये मैटल्स हमारे पर्यावरण में ही मौजूद हैं और मिट्टी या पानी के जरिए आपके खाने तक पहुंच जाते हैं। सीफूड, हरी पत्तेदार सब्जियां, चावल और चॉकलेट के इनसे दूषित होने का खतरा रहता है। ऐसे में बेबी फूड ब्रांड और सीफूड को सावधानी से चुनने की जरूरत है। इन मैटल्स के शरीर में ज्यादा मात्रा में हो जाने से हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है, डिटॉक्स की प्रक्रिया धीमी हो सकती है और लिवर या किडनी डैमेज हो सकती है।
ये आपके बर्तनों में पाया जाता है
PFA एक ऐसा तत्व है, जिसका इस्तेमाल नॉनस्टिक कुकवियर बनाए जाने में किया जाता है। इस कैटेगरी में काफी सारे केमिकल आते हैं और इसके ब्रेक डाउन की कम स्पीड की वजह से फूड ऑर्डरिंग कंटेनर में इसका काफी इस्तेमाल होता है। यह केमिकल थायरॉइड, एंडोक्राइन फंक्शन और सेक्स हॉर्मोन को प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से फर्टिलिटी, लिवर और इम्युनिटी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
इन्हें ज्यादा रहता है खतरा
- छोटे बच्चों
- किशोर (Teen)
- प्रेग्नेंट महिलाएं
नेचुरल भी होते हैं टॉक्सिन्स
कुछ नेचुरल टॉक्सिन्स का निर्माण पौधे कीड़े-मकौड़ों से बचाव के दौरान करते हैं। ये नेचुरल टॉक्सिन्स इंसानों के साथ-साथ जानवरों की सेहत के लिए भी खतरा होते हैं। इस तरह के कुछ टॉक्सिन्स तो बेहद ही खतरनाक होते हैं, जिसकी वजह से एलर्जिंक रिएक्शन, पेट दर्द और डायरिया की समस्या हो सकती है।
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