थकान, बदन दर्द और झड़ते बाल... कहीं आपके शरीर में 'माइक्रोन्यूट्रिएंट्स' की कमी तो नहीं?
शरीर के विकास व प्रतिरक्षा के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) अल्प मात्रा में ही सही, पर अति आवश्यक होते हैं। इनकी कमी सेहत के लिए गंभीर ...और पढ़ें

शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Image Source: AI-Generated)
ब्रह्मानंद मिश्र, नई दिल्ली। बालों का झड़ना, हाथों-पैरों में जलन महसूस होना, बार-बार बीमार पड़ना, घाव का धीरे-धीरे भरना, हड्डियों में दर्द होना आदि शरीर में कम या असंतुलित होते विटामिंस और मिनरल्स के संकेत हैं। अगर समय रहते इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की भरपाई नहीं की जाए, तो सामान्य जीवन भी मुश्किल होने लगता है।
हालांकि, स्वस्थ और संतुलित भोजन का थोड़ा सा भी खयाल रखा जाए तो इससे न केवल सभी आवश्यक सूक्ष्म पोषकों को भरपाई हो जाएगी, बल्कि लंबे समय तक हम सेहतमंद जीवन का आनंद भी उठा पाएंगे। प्रत्येक विटामिन और मिनरल की शरीर के विकास में खास भूमिका होती है।

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और उनके सोर्स
- बी1, बी2, बी 12 आदि दूध, साबुत अनाज, अंडे, मीट, मछली, मशरूम, अवाकाडो आदि ।
- विटमिन-सी (एस्कार्बिक एसिड) : खट्टे फल, शिमला मिर्च, स्प्राउट्स आदि ।
- विटामिन-ए : डेरी उत्पाद, मछली, शकरकंद, गाजर, पालक,
- विटामिन-डी: सूर्य की रोशनी, फिश आयल, दूध आदि।
- विटामिन-ई: सूरजमुखी बीज अंकुरित गेहूं, वादाम,
- विटामिन-के: हरी सब्जियां, सोयाबीन, कद्दू
माइक्रोमिनरल्स के सोर्स
- कैल्शियम : दूध उत्पाद, पत्तेदार सब्जियां और ब्रोकली आदि ।
- फास्फोरस : साल्मन मछली, दही।
- मैग्नीशियम : बादाम, काजू, काली वींस
- सोडियम : नमक, प्रोसेस्ड फूड, डिब्बाबंद सूप आदि ।
- पोटेशियम : दाल, केला आदि।
- सल्फर : लहसुन, प्याज, स्प्राउट्स, अंडे, मिनरल वाटर।

क्यों जरूरी हैं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स?
विटामिंस और मिनरल्स (खनिज तत्व) ऐसे सूक्ष्म पोषक (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) तत्व होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग सामान्य गतिविधियों के लिए अतिआवश्यक हैं। विटामिन-डी को छोड़कर सभी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के लिए हम आहार पर निर्भर होते हैं। हालांकि, शरीर को इनकी जरूरत बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में ही होती है, पर शरीर सेहतमंद रहे, इसमें इनकी भूमिका बहुत बड़ी होती है। विटामिंस जहां शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने, प्रतिरक्षा को मजबूत रखने, रक्त संचरण को सुचारु रखने में सहायक होते हैं, तो वहीं मिनरल्स शरीर के विकास, हड्डियों की मजबूती और द्रव संतुलन के लिए अनिवार्य हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी दुनियाभर में विटामिंस और मिनरल्स की अल्पता से होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए अनेक स्तरों पर प्रयास कर रहा है।
भारतीयों में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी
ज्यादतर वयस्क सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरपाई संतुलित आहार के जरिये कर लेते हैं, लेकिन कुछ खास तरह के न्यूट्रिएंट्स की भरपाई के लिए अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होती है ।
- विटामिन-डी: आइसीएमआर के मुताबिक, 70 से 90 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन-डी का स्तर कम पाया जाता है। विटामिन-डी यानी सनसाइन विटामिन हमारे मूड, हड्डियों और इम्युनिटी को प्रभावित करता है।
- विटामिन-बी 12: नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ के मुताबिक, 47 प्रतिशत भारतीय आबादी में विटामिन बी12 की कमी देखी गई है। केवल 26 प्रतिशत भारतीयों में ही यह पर्याप्त होता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं, डीएनए को सिंथेसाइज करने और न्यूरोलाजिकल हेल्थ के लिए आवश्यक है।
- विटामिन-ए: सही पोषण नहीं होने के कारण बच्चों और महिलाओं में इसकी कमी होने की आशंका रहती है। आंखों की सही रोशनी और अलग-अलग संक्रमण से बचाव के लिए यह आवश्यक सूक्ष्म पोषक है।
- आयरन: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, 15-49 वर्ष आयु वर्ग की भारतीय महिलाओं और पुरुषों में एनीमिया (आयरन की कमी) की प्रचलन दर क्रमशः 57 और 25 प्रतिशत है। इसकी कमी होने के कारण थकान, कमजोरी, शरीर का पीलापन, नाखून टूटने, सांस फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लिए अंडे, मछली, दलों, हरी पत्तेदार सब्जियों, रागी, गुड़ आदि का सेवन लाभकारी होता है।
- कैल्शियम: हड्डियों की सघनता बनाए रखने और फ्रैक्चर से बचाने में कैल्शियम की बड़ी भूमिका होती है। कैल्शियम की कमी होने के चलते रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस की आशंका बढ़ जाती है। कैल्शियम की कमी होने के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

कैसे करें भरपाई?
विटामिन बी 12: अगर शाकाहारी हैं तो बी-12 की भरपाई बहुत मुश्किल हो जाती है। यह थोड़ा-बहुत दूध या इससे संबंधित उत्पादों में ही पाया जाता है। कुछ लोग मांसाहारी हैं, फिर भी उन्हें एंजाइम की कमी, पेट में एंटीबाडीज जैसे कारणों से दिक्कत हो सकती है। डायबिटीज की दवाई मेटफार्मिन के चलते भी बी12 का अवशोषण बाधित होता है। बैरियाटिक सर्जरी या आंतों की सर्जरी के चलते भी समस्या आ सकती है।
विटामिन-डी: इसके लिए एक ही प्राकृतिक स्रोत है सूर्य की रोशनी। इनडोर एक्टीविटी और प्रदूषण अधिक होने के चलते लोग सूर्य की पर्याप्त रोशनी से वंचित हो रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए जरूरी है कि पहले जांच कराएं, भोजन की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें और चिकित्सक से परामर्श करें।
कमी को न करें नजरअंदाज, सतर्कता बढ़ाएं
डॉ. आकांक्षा रस्तोगी (सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन, मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम) का कहना है कि आमतौर पर लोगों में पांच तरह की समस्याएं देखी जाती हैं, डिहाइड्रेशन, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-डी और विटामिन बी12 की कमी। कुछ लोगों में पोटैशियम की कमी हो जाती है। ऐसे लोग पानी खूब पिएं, फल खाएं और विटामिन डी बी 12, आयरन, मैग्नीशियम की जांचें कराते रहें। कुछ लोग मल्टीविटामिंस सप्लीमेंट लेते हैं। ऐसे में अगर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज या व्यायाम नहीं करते हैं, तो केवल मल्टी विटामिन खाने से इसका अवशोषण सही ढंग से नहीं होता।

किस तरह के होते हैं लक्षण?
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स कम होने पर कमजोरी, जल्दी थकान, बाल झड़ने जैसी समस्याएं होती हैं। इससे नाखून सफेद और टूटने लगते हैं व संक्रमण की आशंका रहती है।
- विटामिन-डी : हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
- विटामिन-ए : रात में देखने में परेशानी होती है। दृष्टि कमजोर हो जाती है।
- विटामिन सी : मसूढ़ों की समस्या होने लगती है, उसमें सूजन आने लगती है।
- आयरन : महिलाओं में आयरन की कमी भारत में आम समस्या है।
- विटामिन बी12 : नसों की परत को बनाने में सहायक होता है। कमी होने पर हाथों-पैरों में सुई चुभने जैसा एहसास होने लगता है।
कुछ उपयोगी सुझाव
- भोजन में हरी सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट, संतुलित आहार रखें।
- प्रोटीन, फैट और कार्य का संतुलन रखना आवश्यक है।
- केवल सेंधा नमक खाने से थायराइड की कमी हो जाती है।
- हीमोग्लोबिन की जांच कराएं, जरूरत होने पर आयरन लें।
- अगर बाहर का खाना अधिक खाते हैं, तो डाक्टर के परामर्श पर कीड़े मारने की दवाएं खाएं।
- चुकंदर, अंजीर, काले चने, सेव, अनार खाएं। लोहे के बर्तन में बना भोजन अच्छा होता है।
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