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    कम सोने से ज्यादा खतरनाक है ज्यादा सोना की आदत, डिप्रेशन की बन सकता है वजह

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 10:50 AM (IST)

    सोना हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी है ये तो आप जानते ही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप अगर जरूरत से ज्यादा सो रहे हैं तो यह आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। एक स्टडी में यह बात सामने आई है। आइए जानें कैसे ज्यादा सोना पहुंचा सकता है नुकसान।

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    ज्यादा सोना भी है खतरनाक (Picture Courtesy: Freepik)

    प्रेट्र, नई दिल्ली। अक्सर कहा जाता है कि पर्याप्त नींद न लेना मस्तिष्क, हृदय और से सीधा संबंध है। समग्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन क्या आपको पता है कि ज्यादा नींद लेना तो कम सोने से भी ज्यादा घातक है।

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    कैसे ज्यादा सोना है खतरनाक?

    हाल ही में किए गए एक प्रतीकात्मक अध्ययन में सामने आया है कि नौ घंटे से अधिक सोने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, यहां तक कि निराशा और अवसाद की स्थिति तक पैदा हो सकती है। आस्ट्रेलिया के नींद स्वास्थ्य फाउंडेशन की ओर से किए गए इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने 79 मामलों की समीक्षा की जिनकी उन्होंने एक साल तक निगरानी की और पाया कि नींद की अवधि का स्वास्थ्य या मृत्यु के जोखिम से सीधा संबंध है।

    प्रमुख शोधकर्ता गैब्रिएल रिग्नी ने कहा कि पोषण और शारीरिक गतिविधि के साथ, नींद स्वास्थ्य का एक आवश्यक स्तंभ है। नींद के दौरान, शारीरिक प्रक्रियाएं होती हैं जो हमारे शरीर को जागने पर प्रभावी ढंग से कार्य करने की अनुमति देती हैं। इनमें मांसपेशियों की पुनर्प्राप्ति और भावनात्मक नियंत्रण से संबंधित प्रक्रियाएं शामिल हैं।

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    उन्होंने कहा कि अध्ययन वयस्कों को प्रति रात सात से नौ घंटे की नींद लेने की सिफारिश करता है। हालांकि कुछ लोग थोड़ा कम सोकर भी उतनी ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं और उन पर कभी कभी सात घंटे से कम सोने का अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है जैसे कम ऊर्जा, खराब मूड, अधिक तनाव और काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई इत्यादि। आगे कहा कि लगातार ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक तौर पर घातक हो सकता है जिसमें हृदय रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, कैंसर और मृत्यु का उच्च जोखिम इत्यादि शामिल है।

    अधिक वजन और धूम्रपान से भी प्रभावित होती है नींद

    शोधकर्ताओं के मुताबिक, अध्ययन की एक साल की अवधि में जो लोग प्रति रात सात घंटे से कम समय के लिए सो रहे थे, उनके मरने का जोखिम 14 प्रतिशत अधिक था जबकि जो लोग नौ घंटे से बहुत अधिक सो रहे थे, उनका मरने का जोखिम 34 प्रतिशत तक ज्यादा था। शोध ने यह भी दिखाया कि बहुत अधिक सोना अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे पुराने दर्द, वजन बढ़ने और मेटाबालिक विकारों से भी जुड़ा है।

    विज्ञानियों ने कहा कि पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग उच्च गुणवत्ता वाली नींद नहीं ले रहे होते हैं बल्कि सिर्फ बिस्तर पर अधिक समय बिताते हैं। उन्होंने संतुलित नींद लेने पर जोर दिया और इसके कारणों के बारे में जाना । कहा कि धूम्रपान और अधिक वजन होना भी खराब नींद से जुड़े होते हैं। इसका मतलब है कि जीवनशैली में सुधार करके भी इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। इन आदतों से सिर्फ ज्यादा नहीं बल्कि कुछ लोगों को कम नींद की समस्या से जूझना पड़ सकता है।

    उम्र से होता है संबंध

    शोध में यह भी सामने आया कि नींद की आवश्यकताएं उम्र से संबंधित हो सकती हैं जैसे किशोर अक्सर अधिक सोना चाहते हैं और शारीरिक रूप से इसकी आवश्यकता भी हो सकती है। लिहाजा किशोरों के लिए नींद की सिफारिश वयस्कों की तुलना में थोड़ी अधिक होती है, जो आठ से दस घंटे तक की हो सकती है। वहीं बुजुर्ग लोग बिस्तर में अधिक समय बिताना चाहते हैं। हालांकि, जब तक उनके पास नींद का कोई विकार नहीं है, तब तक उनके सोने की आवश्यकता युवाओं के समान ही होगी।

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