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    सावधान! हाई-फैट Keto Diet बढ़ा सकती है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा; वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 08:23 AM (IST)

    वजन कम करने के लिए कीटो डाइट (Keto Diet) इन दिनों काफी चर्चा में है। यह डाइट फैट की मात्रा बहुत ज्यादा रखती है, जबकि कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) को काफी कम कर देती है। लोग इसे तेजी से वजन घटाने के लिए अपनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पॉपुलर डाइट आपके शरीर को एक बड़े खतरे की ओर धकेल सकती है?

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    हाई फैट वाले कीटो आहार बढ़ा सकते हैं स्तन कैंसर का खतरा (Image Source: Freepik) 

    आइएएनएस, नई दिल्ली। आजकल वजन घटाने के लिए लोग तरह-तरह के डाइट प्लान अपनाते हैं। उनमें से एक सबसे चर्चित डाइट है- कीटो डाइट। यह डाइट फैट यानी वसा पर आधारित होती है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट (जैसे रोटी, चावल, चीनी) की मात्रा बेहद कम रखी जाती है, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस लोकप्रिय डाइट को लेकर चिंताजनक जानकारी सामने रखी है।

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    क्या कहता है नया शोध?

    अमेरिका में हुए एक हालिया शोध के अनुसार, ज्यादा फैट लेने वाली कीटो डाइट स्तन कैंसर के एक आक्रामक प्रकार के खतरे को बढ़ा सकती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि जब शरीर में लिपिड या फैटी एसिड का स्तर बढ़ता है, तो यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने के लिए अनुकूल वातावरण देता है।

    इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर अवस्था में, कैंसर कोशिकाएं वसा पर बहुत अधिक निर्भर होती हैं। यानी, जितनी ज्यादा मात्रा में लिपिड शरीर में मौजूद होंगे, उतना ही अधिक यह कैंसर सक्रिय और आक्रामक हो सकता है।

    मोटापा और कैंसर का गहरा संबंध

    शोध में यह भी सामने आया कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में इस तरह के कैंसर का खतरा और बढ़ जाता है। दरअसल, मोटापे में शरीर में लिपिड की मात्रा पहले से ही अधिक होती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को पनपने में आसानी होती है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि मोटे लोगों और कैंसर रोगियों को ऐसे आहारों से बचना चाहिए जिनमें अत्यधिक वसा मौजूद हो। इसके बजाय, उन्हें ऐसी चिकित्सा या डाइट अपनानी चाहिए जो शरीर में लिपिड के स्तर को नियंत्रित रखे।

    शोधकर्ताओं की चेतावनी

    अध्ययन से जुड़ी विशेषज्ञ केरेन हिलगेंडोर्फ ने बताया कि मोटापे और कैंसर के बीच के इस संबंध को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने कहा, “कई लोग समझते हैं कि वसा केवल वजन बढ़ाती है, लेकिन असल में यह कैंसर कोशिकाओं को ‘ईंधन’ देने का काम भी करती है।”

    यानी, अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक हाई-फैट डाइट लेता है, तो वह अनजाने में अपने शरीर में ऐसे वातावरण को बढ़ावा दे सकता है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म दे सके।

    हर किसी के लिए नहीं बनी है कीटो डाइट

    यह कहना गलत नहीं होगा कि कीटो डाइट हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि इससे कुछ लोगों को शुरुआती समय में वजन घटाने में मदद मिलती है, लेकिन यह शरीर के मेटाबॉलिज्म पर गहरा असर डालती है।

    विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसी भी वजन घटाने की डाइट को अपनाने से पहले डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है- जो एक के लिए फायदेमंद है, वही दूसरे के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।

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