Fish And Milk Relation: दूध और मछली का एक साथ सेवन, ज़हर या मिथ, ऐसे समझिए वैज्ञानिक कारण
Fish And Milk Relation हमारी संस्कृति में दूध और मछली का एक साथ सेवन वर्जित है। आयुर्वेद में इसकी मनाही है। दूसरी ओर कुछ संस्कृतियों में तेजी से सुधार के लिए यह एक साथ भी दिया जाता है लेकिन वैज्ञानिक सच्चाई कुछ और कहती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। मछली और दूध के कंबीनेशन को बैरी या जहर की तरह माना जाता हैं लेकिन क्या हमारे लिए सच में इन दोनों का एक साथ सेवन ज़हर है या फिर सिर्फ मिथ है। दूध और मछली दोनों पोष्टिक तत्वों से भरपूर है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन पौटैशियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी पाए जाते हैं, वहीं मछली में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कई तरह के विटामिन, ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि पाया जाता हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक रूप से अब तक सिर्फ इतना कहा गया है कि अगर दोनों में से किसी एक चीज से भी एलर्जी है तो मछली और दूध का सेवन एक साथ नहीं करें। इसके अलावा कोई अलग से ऐसी स्टडी नहीं आई है जिसमें कहा जाए कि दोनो के एक साथ सेवन करने का शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। अगर दोनों में मौजूद तत्व को देखें तो दोनों में समृद्ध पोष्टिक तत्व पाए जाते हैं। विदेश के कई देशों में बीमार व्यक्ति की जल्दी रिकवरी के लिए दोनों का सेवन एक साथ करने की भी प्रथा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर मछली को सही तरीके से नहीं पकाया जाए या लैक्टोज को ग्रहण करने में शरीर को दिक्कत होती है तो दोनों का एक साथ सेवन करने से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है लेकिन इससे ज़हर नहीं बनता।
क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेद में दूध और मछली का एक साथ सेवन पूरी तरह से वर्जित है। इसके कई कारण है। पहला तो आयुर्वेद में नन वैजेटेरियन चीजों से किसी चीज का इलाज नहीं किया जाता। दूसरा मछली और दूध दोनों दो अलग-अलग तरह के डाइट स्टाइल हैं। इस कारण आयुर्वेदिक फिलोसफी के अनुसार दोनों का विपरीत असर शरीर पर पड़ता है। दूसरा आयुर्वेद के अनुसार दूध का कूलिंग इफेक्ट है जबकि मछली का हीटिंग इफेक्ट। इसलिए दोनों का कंबीनेशन असंतुलन पैदा करता है जिससे शरीर में कई तरह के रासायनिक परिवर्तन हो सकते हैं।
इम्युन सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका
कई जगहों पर जिस व्यक्ति का इम्युन सिस्टम वीक रहता उसे मछली और दूध एक साथ सेवन करने की मनाही होती है। जब एक साथ कई फूड शरीर के अंदर जाते हैं तो इम्युन सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालांकि दूध और मछली दोनों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन मौजूद रहता है लेकिन दोनों में प्रोटीन का कंपोजिशन अलग-अलग रहता है। इसलिए दोनों के डाइजेशन में अलग-अलग तरह की प्रक्रिया होती है। दोनों तरह के प्रोटीन को पचाने में डाइजेस्टिव सिस्टम को अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। साफ शब्दों में कहे तो डाइजेस्टिव सिस्टम पर ज्यादा भार आ जाता है। इससे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जिसका इम्युन सिस्टम कमजोर रहता वह इतने रासायनिक बदलाव को सहन नहीं कर पाता। कुछ लोग इस कारण भी दूध और मछली को वर्जित मानते हैं।
तो क्या निष्कर्ष निकाला जाए
पहली बात तो यह है कि अब तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने नहीं आया है जिसमें कहा जाए कि दूध और मछली का एक साथ सेवन करने से शरीर में जहर बनता है। वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार अगर दोनों में से किसी एक के साथ भी एलर्जी है तो दूध और मछली का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि आयुर्वेद दोनों का एक साथ सेवन वर्जित मानता है लेकिन कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
Written by : Shahina Noor
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