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    प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है Gut Health, समझें इन दोनों का कनेक्शन

    प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए हेल्दी डाइट के साथ पर्याप्त नींद लेना तनाव से दूर रहने और योग व एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करने की सलाह दी जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं आंतों का स्वास्थ्य भी प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है? जी हां गट हेल्थ और फर्टिलिटी का आपस में बहुत ही गहरा कनेक्शन है।

    By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Mon, 08 Jul 2024 03:57 PM (IST)
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    गट हेल्थ से कैसे फर्टिलिटी पर डालता है असर (Pic credit- freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हममें से कई लोग इस बात से अनजान होंगे आंतों की सेहत और प्रजनन स्वास्थ्य के बीच बहुत ही महत्वपूर्ण रिश्ता होता है। वैसे तो आंतों की सेहत ओवरऑल हेल्थ के लिए ही बेहद जरूरी है। गट हेल्थ से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का प्रभाव पाचन से लेकर इम्युनिटी और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। आंतों में मौजूद बैक्टीरिया शरीर के कई सारे फंक्शन्स को प्रभावित करते हैं, जिसमें से एक प्रजनन स्वास्थ्य भी है। 

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    प्रजनन पर गट हेल्‍थ का प्रभाव

    डॉ. पारुल गुप्ता, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, वसंत विहार बताती हैं कि, 'प्रजजन हॉर्मोन, एस्ट्रोजन के निर्माण में गट हेल्थ काफी अहम भूमिका निभाती है। उम्र के साथ योनि के सूक्ष्मजीवों में अंतर पाया जाता है, लेकिन प्रजनन की उम्र वाली ज्यादातर सेहतमंद महिलाओं में सबसे ज्यादा लैक्टोबैसिलस प्रजाति पाई जाती है। ये बैक्टीरिया योनि में एस्ट्रोजेन की डेंसिटी को बढ़ाते हैं। जिससे वजाइना से गाढ़ा स्राव होता है और पीएच का लेवल भी सही रहता है। ये दोनों ही स्पर्म के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं।' 

    वहीं आंतों के हेल्दी बैक्टीरिया का असंतुलन मेटाबॉलिज्म से जुड़ी परेशानियां पैदा कर सकता है। इस असंतुलन से महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस या पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, तो पुरुषों के स्पर्म निर्माण पर प्रभाव पड़ सकता है।

    ये भी पढ़ेंः- खराब गट हेल्थ होने पर नजर आते हैं ये लक्षण, इन तरीकों से रखें इनका ख्याल

    मां के स्वास्थ्य पर प्रभाव

    गर्भावस्था का सफर आसान हो इसके लिए गर्भावस्था के दौरान आंतों के गुड बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। ये बैक्टीरिया पाचन को बेहतर बनाते हैं, पोषक तत्वों को अवशोषित करने और इम्यून सिस्टम को दुरुस्त बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही सूजन को भी कम करते हैं, जिससे गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज और प्रीएक्लेम्पसिया समस्याओं की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।

    इम्यून का नियंत्रण

    इम्यून सिस्टम को नियंत्रित रखने के लिए आंतों के सूक्ष्मजीव बेहद अहम होते हैं। आंतों में संतुलित सूक्ष्मजीवों के होने से इम्युन सिस्टम को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, जोकि प्रजनन यात्रा में बाधा उत्पन्न नहीं करता। वहीं आंतों में असंतुलन से सूजन बढ़ती है और इम्युन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज): अध्ययनों से पता चलता है कि आंतों के अस्वस्थकर सूक्ष्मजीवों की वजह से गर्भकालीन मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। गट माइक्रोबायोटा का असंतुलन इंसुलिन प्रतिरोध और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म़ को प्रभावित कर सकता है, जोकि इस समस्या को जन्म देने के अहम कारक माने जाते हैं।

    प्रीएक्लेम्पसिया

    प्रीएक्लेम्पसिया को गर्भावस्था के दौरान उच्च ब्लड प्रेशर और अंगों के क्षतिग्रस्त होने के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका संबंध गट डिस्बायोसिस से हो सकता है। इम्युन और सूजन के नियंत्रण में आंतों की भूमिका प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।

    प्रजनन स्वास्थ्य

    आपकी आंत और प्रजनन मार्ग, आपस में जुड़ी हुई प्रणालियां हैं। लैक्टोबैसिलस प्रजाति के लाभकारी जीवाणु, गट और योनि दोनों में ही मौजूद होते हैं। आंतों के असंतुलित सूक्ष्मजीव योनि के वातावरण में अवरोध पैदा कर सकते हैं, जिसका गंभीर प्रभाव प्रजनन पर पड़ सकता है। बार-बार छाले या संक्रमण जैसे संकेत, आपको अपनी गट हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत की तरफ इशारा करते हैं।

    बैलेंस डाइट, प्रोबायोटिक्स और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए आंतों को सेहतमंद रखा जा सकता है और फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं भी काफी हद तक दूर की जा सकती हैं। प्रोबायोटिक्स के साथ डाइट में फाइबर, प्रीबायोटिक्स की भी मात्रा बढ़ाएं। नियमित रूप से योग व एक्सरसाइज करें और तनाव से दूर रहें। 

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