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    हार्ट ब्रेक भी बना सकता है दिल को कमजोर, हल्के में न लें ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के ये लक्षण

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 03:24 PM (IST)

    हर किसी का कभी न कभी दिल जरूर टूटता है। लेकिन कई बार ये इमोशनल आघात इतना गहरा हो जाता है कि व्यक्ति ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) का शिकार हो सकता है। इसके लक्षण काफी हद तक हार्ट अटैक जैसे ही नजर आते हैं लेकिन यह एक बिल्कुल अलग समस्या है। हाल ही में एक स्टडी में इसके इलाज के तरीके से जुड़ी अहम बात सामने आई है।

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    घातक साबित हो सकता है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल टूटना कोई फिल्मी बात नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडीशन है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome), जिसे ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी भी कहते हैं, एक ऐसी दिल से जुड़ी समस्या है, जिसमें किसी इमोशनल स्ट्रेस के कारण दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

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    इसके लक्षण (Broken Heart Syndrome Symptoms) लगभग हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, जैसे- सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और थकान। इसके प्रभाव काफी गंभीर होते हैं कि इसके कारण व्यक्ति की समय से पहले मौत का खतरा दोगुना हो जाता है। लेकिन एक स्टडी में पता चला है कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से उबरने में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) काफी मददगार साबित हो सकता है। आइए जानें कैसे।

    CBT कैसे काम करती है?

    CBT एक साइकोथेरेपी है, जो इस सिद्धांत पर काम करती है कि हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार आपस में जुड़े हुए हैं। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की अहम वजह इमोशनल स्ट्रेस है, जो न केवल दिमाग पर, बल्कि शारीरिक रूप से दिल पर भी असर डालता है। CBT इसी आघात से उबरने में मदद करती है। इस स्टडी में देखा गया कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मरीजों में 12 हफ्ते CBT के बाद दिल की काम करने की क्षमता में काफी सुधार देखने को मिला।

    ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से उबरने में CBT कैसे मदद करता है?

    • नेगेटिव ख्यालों के साइकिल को तोड़ना- किसी स्ट्रेसफुल घटना के बाद व्यक्ति के मन में ‘मैं अकेला हूं’, ‘सब कुछ खत्म हो गया है’ जैसे नेगेटिव विचार आने लगते हैं। CBT इन्हें पहचानने और उनकी सच्चाई को लॉजिक की मदद से चेक करने में मदद करता है।
    • स्ट्रेस मैनेजमेंट- CBT के जरिए मरीज को अलग-अलग तकनीकें सिखाकर इमोशनल स्ट्रेस को मैनेज करने में मदद करती है। इनमें डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकें शामिल हैं। ये स्ट्रेस के फिजिकल इफेक्ट, जैसे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
    • भावनाओं को प्रोसेस करना और उनसे निपटना- थेरेपी एक सुरक्षित माहौल देती है, जहां मरीज अपने दर्द, डर और गुस्से जैसी मुश्किल भावनाओं को जाहिर कर सकता है। एक ट्रेंड थेरेपिस्ट इन इमोशन्स को समझने और उनसे हेल्दी तरीके से निपटने का रास्ता दिखाता है।
    • नजरिया बदलना- ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का अनुभव अपने आप में डरावना हो सकता है। CBT मरीज को इस स्थिति को समझने, इसके शारीरिक लक्षणों और इमोशनल ट्रिगर्स के बीच के कनेक्शन जानने में मदद करती है। यह उन्हें भविष्य में तनाव से निपटने और रिलैप्स के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

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    Source: 

    • British Heart Foundation: https://www.bhf.org.uk/what-we-do/news-from-the-bhf/news-archive/2025/august/talking-therapy-boosts-recovery-from-broken-heart-syndrome