6 तरह के कैंसर का कारण बन सकता है Bloom Syndrome, आखिर क्या है ये बीमारी? 7 लक्षणों से करें पहचान
ब्लूम सिंड्रोम एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है जो शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में धीमी वृद्धि चेहरे की बनावट में बदलाव और धूप के प्रति संवेदनशीलता शामिल हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों में कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। जेनेटिक परीक्षण से इस बीमारी के खतरे का पता लगाया जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे शरीर को सही तरह से काम करने के लिए कई सिस्टम का सही होना बहुत जरूरी है। कभी-कभी कुछ लोग ऐसी बहुत ही गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होते हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है। ऐसी ही एक बीमारी है ब्लूम सिंड्रोम (Bloom Syndrome)। हालांकि ये बीमारी बहुत कम लोगों में पाई जाती है। दुनिया भर में इसके मामले गिने-चुने ही हैं।
इनमें सबसे आम है कद यानी कि हाइट का छोटा रह जाना। वहीं चेहरे और कान की बनावट में बदलाव, बार-बार इंफेक्शन होना और धूप से तुरंत असर पड़ना शामिल है। धीरे-धीरे बढ़ती उम्र के साथ ये स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। इसके लक्षण भी अलग-अलग लोगों में अलग तरह से सामने आते हैं। ब्लूम सिंड्रोम को लेकर जानकारी रखना जरूरी है ताकि समय रहते सही देखभाल और जरूरी जांचें की जा सकें। आज हम आपको Bloom Syndrome के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
ब्लूम सिंड्रोम क्या है?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, ब्लूम सिंड्रोम एक रेयर जेनेटिक बीमारी है, जो शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करती है। इस बीमारी वाले लोगों में संक्रमण (इंफेक्शन), बहुत धीमी वृद्धि (ग्रोथ), धूप से होने वाली समस्या और कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसे ब्लूम-टोरे-माचेसेक सिंड्रोम और कॉन्जेनिटल टैलेंजिएक्टैटिक एरिथेमा (Bloom-Torre-Machacek syndrome and congenital telangiectatic erythema) भी कहा जाता है।
कैसे करता है प्रभावित?
ब्लूम सिंड्रोम से पीड़ित लोग छोटे कद के हो सकते हैं। उनका चेहरा पतला, कान बड़े और आवाज तेज यानी कि हाई-पिच वाली हो सकती है। साथ ही इनमें कुछ बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे-
- COPD (फेफड़ों से जुड़ी बीमारी)।
- बार-बार होने वाले इंफेक्शन।
- इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज।
- धूप में निकलने पर रैशेज पड़ना।
इन कैंसर का खतरा ज्यादा
इस बीमारी से कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा होता है, खासकर कम उम्र में। कई बार एक से ज्यादा कैंसर भी हो सकते हैं। जिन कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है, उनमें शामिल हैं-
- विल्म्स ट्यूमर
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर
- ल्यूकेमिया
- लिम्फोमा
- ओस्टियोसारकोमा (हड्डियों का कैंसर)
- स्किन कैंसर (खासकर स्क्वैमस सेल कैंसर)
ब्लूम सिंड्रोम क्यों होता है?
ब्लूम सिंड्रोम एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें BLM जीन ठीक से काम नहीं कर पाता है। हर माता-पिता अपने बच्चे को BLM जीन की एक-एक कॉपी देते हैं। अगर दोनों माता-पिता की इस जीन में बदलाव (mutation) है, तो बच्चे में एक में से चार (25%) संभावना रहती है कि उसे ब्लूम सिंड्रोम हो।
ब्लूम सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण हैं-
- चेहरे, जबड़े और कान की बनावट में बदलाव।
- हार्मोन और इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याएं।
- ग्रोथ में देरी और सीखने में कठिनाई हाेना।
- धूप से बहुत ज्यादा समस्या होना (सन सेंसिटिविटी)।
- बार-बार इंफेक्शन, खासकर कान और फेफड़ों में।
- जन्म से या जन्म के बाद ग्रोथ में समस्या।
- त्वचा पर रेशैज पड़ना या दाने निकलना
ब्लूम सिंड्रोम को कैसे रोका जा सकता है?
चूंकि ये एक जेनेटिक बीमारी है तो इसे रोका नहीं जा सकता है। लेकिन कंसीव करने से पहले, आप और आपके पार्टनर जेनेटिक टेस्ट करा सकते हैं। इससे पता चल सकता है कि आप दोनों के जीन में बदलाव (mutation) है या नहीं।
यह भी पढ़ें- क्या सोयाबीन खाने से बढ़ता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
यह भी पढ़ें- Colon Cancer vs Irritable Bowel Syndrome: दोनों के लक्षण एक जैसे, पर बीमारियां अलग; कैसे करें पहचान
Source-
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/24484-bloom-syndrome
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।