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    रिसर्च- रात 11 बजे के बाद सोने की आदत डालती है रोग प्रतिरोधक क्षमता और नई चीजें सीखने की क्षमता पर सीधा असर

    अगर आप नाइट शिफ्ट या फिर मोबाइल टीवी में लगे रहने के चलते अपनी नींद पूरी नहीं कर रहे हैं तो आप अपनी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। नींद की कमी सीधा हमारे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इससे नई चीजें सीखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।

    By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Tue, 07 May 2024 04:22 PM (IST)
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    नींद की कमी से सेहत को होने वाले नुकसान

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी और जल्द सफलता की चाह में लोग अपनी नींद से समझौता कर रहे हैं। इसके अलावा मोबाइल, टीवी और दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल भी नींद में बाधा बन रहा है। अगर आपको लग रहा है ये बहुत ही नॉर्मल है, तो आपको बता दें कि इसके कारण हमारी सर्केंडियन रिदम बिगड़ रही है। जिसका असर हमारी फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ पर भी पड़ रहा है।

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    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जनरल मेडिकल साइंस के अनुसार, नॉर्मली सूर्य और अंधेरे कई प्रतिक्रिया के रूप में यह रिदम 24 घंटे का चक्र चलाती है, लेकिन लेट नाइट सोने से यह सर्कल डिस्टर्ब हो जाता है।

    हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, सर्केंडियन रिदम प्रभावित होने का सीधा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। साथ ही साथ इससे नई चीज़ें सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

    लेट नाइट काम के चलते देर से सोने में गुरुग्राम, चेन्नई सबसे आगे

    लेट नाइट काम के प्रेशर के चलते देर से सोने के मामले में चेन्नई, गुरुग्राम और इसके बाद हैदराबाद का नंबर आता है। वेकफिट द्वारा द ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड नाम से जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है कि 58% भारतीय रात 11 बजे के बाद सोते हैं। वहीं देर सेसोने के पीछे एक बड़ी वजह मोबाइल पर लगे रहना है। एक अलग रिसर्च में सामने आया है कि 88% भारतीय सोने से पहले अपना फोन चलाते ही हैं। यह संख्या 2019 में 62% थी। वहीं 54% सोशल मीडिया की लत के चलते नींद नहीं ले पाते।

    बिगड़ती लाइफस्टाइल और महानगरों में नाइट शिफ्ट के चलते नींद की समस्या बढ़ती जा रही है। हाल-फिलहाल भारत की लगभग 30% आबादी नींद की समस्या से जूझ रही है। अनुमान है आने वाले सालों से यह संख्या और बढ़ सकती है। 

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    Pic credit- freepik