Intermittent Fasting करने वालों के लिए बुरी खबर! दिल की बीमारी से मौत का खतरा हो जाता है दोगुना
आजकल वजन कम करने और हेल्दी रहने के लिए Intermittent Fasting का चलन काफी बढ़ गया है। इसे टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग भी कहते हैं। हालांकि इसे अक्सर वजन घटाने ब्लड प्रेशर कम करने और शरीर को बेहतर बनाने के लिए फायदेमंद माना जाता है पर हाल ही में हुई एक नई स्टडी ने इस तरीके पर कुछ गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल फिटनेस की दुनिया में Intermittent Fasting का नाम खूब सुनने को मिलता है। बहुत से लोग इसे वजन घटाने, ब्लड शुगर कंट्रोल करने या शरीर को डिटॉक्स करने के तरीके के रूप में अपनाते हैं, लेकिन हाल ही में आई एक नई स्टडी ने इस पॉपुलर डाइट ट्रेंड को लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने रखे हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है दिन में एक तय समय तक खाना और बाकी समय पूरी तरह उपवास रखना। कुछ लोग 12 घंटे खाते हैं और 12 घंटे उपवास रखते हैं, तो कुछ 10 घंटे का “ईटिंग विंडो” चुनते हैं। सबसे ज्यादा चर्चा 16:8 पैटर्न की होती है, जिसमें लोग 16 घंटे का उपवास रखते हैं और सिर्फ 8 घंटे के भीतर खाना खाते हैं।
स्टडी का दावा
जर्नल Diabetes and Metabolic Syndrome में छपी हालिया रिसर्च के मुताबिक, जो लोग रोजाना सिर्फ 8 घंटे से कम समय तक खाते हैं, उनमें दिल की बीमारी से मौत का खतरा 135 प्रतिशत ज्यादा पाया गया। इसका मतलब यह है कि लगातार 16 घंटे उपवास रखने वाले लोगों में हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी बीमारियों से मौत की संभावना दोगुनी हो सकती है।
यह नतीजे करीब 19,000 अमेरिकी वयस्कों पर किए गए सर्वे (US National Health and Nutrition Examination Survey) के आंकड़ों पर आधारित हैं।
क्या सिर्फ दिल की बीमारी पर असर?
इस अध्ययन में इंटरमिटेंट फास्टिंग का कैंसर या अन्य कारणों से मौत पर कोई खास असर नहीं मिला, लेकिन दिल और आर्टरीज से जुड़ी बीमारियों में इसका खतरा लगातार देखा गया, चाहे लोगों को नस्ल, आर्थिक स्थिति या जीवनशैली के हिसाब से अलग-अलग समूहों में क्यों न बांटा गया हो।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और नुकसान
अब तक की रिसर्च बताती रही हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से:
- वजन कम हो सकता है
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल में मदद मिलती है
- सूजन (Inflammation) कम हो सकती है
- शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल बेहतर हो सकते हैं
लेकिन दूसरी ओर लंबे समय तक इसे फॉलो करने से:
- पोषण की कमी
- चिड़चिड़ापन और सिरदर्द
- ज्यादा भूख और थकान
- डाइट को लंबे समय तक न निभा पाने जैसी समस्याएं भी सामने आई हैं।
शोधकर्ताओं की चेतावनी
स्टडी के प्रमुख लेखक विक्टर वेन्जे झोंग का कहना है कि अभी इंसानों पर लंबी अवधि के अध्ययन मौजूद नहीं हैं, इसलिए सिर्फ दिल की सेहत या लंबी उम्र के लिए 16 घंटे का उपवास करना खतरनाक हो सकता है। यानी लोग बिना पूरी जानकारी के इसे लगातार सालों तक न अपनाएं।
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Source:
Diabetes and Metabolic Syndrome: Clinical Research and Reviews: https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S1871402125000967
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