Heart Attack: क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक के ख़तरे के बारे में बता सकता है एक ब्लड टेस्ट?
Heart Attack पिछले 2 सालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। आप ऐसे कई सिलेब्ज़ को जानते होंगे जिनकी हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट की वजह से मौत हुई है।आज हम बता रहे हैं ब्लड टेस्ट के बारे में जो हार्ट अटैक के जोखिम के बारें में बताता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Heart Attack: कॉमेडियन और एक्टर राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) का कुछ समय पहले दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हुआ। करीब 42 दिनों की लड़ाई के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें जिम में वर्कआउट करने के बाद कार्डियेक अरेस्ट हुआ था। पिछले दो सालों में कई सिलेब्ज़ ने दिल के दौरे की वजह से अपनी जान गंवाई है। जिसकी वजह से दिल के दौरे को लेकर चिंता बढ़ी है। इससे पहले हम कई सालों तक यही मानते थे कि जो इंसान फिट है और रोज़ाना एक्सरसाइज़ करता है, उसके दिल की सेहत भी अच्छी होगी। हालांकि, ज़्यादातर सिलेब्ज़ जिनकी दिल के दौरे की वजह से मौत हुई, वे सभी फिट और हेल्दी थे, साथ ही रोज़ वर्कआउट भी कर रहे थे।
जिसके बाद सवाल उठता है कि क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे दिल के दौरा के ख़तरे के बारे में जाना जा सके? जवाब है हां! ऐसा एक ब्लड टेस्ट है, जिससे दिल से जुड़ी समस्या का पता चल सकता है। इस टेस्ट का नाम है कार्डियो-सी रिएक्टिव प्रोटीन (hs CRP)।
क्या है कार्डियो-सी रिएक्टिव प्रोटीन (hs CRP) टेस्ट?
कार्डियो-सी रिएक्टिव प्रोटीन को हाई सेंसिटिव सी-रिएक्ट्ल प्रोटीन (hs CRP) भी कहा जाता है, जो एक आसान सा ब्लड टेस्ट है। CRP, एक इंफ्लामेटरी मार्कर है, जिसका मतलब है कि शरीर में अगर कहीं भी इन्फेक्शन है, तो इससे रक्त में सीआरपी का स्तर बढ़ जाता है। hs CRP मानक CRP से अधिक संवेदनशील है। अगर स्वस्थ व्यक्ति में, hs CPR का स्तर ज़्यादा है, तो यह एक अलार्म है कि व्यक्ति को भविष्य में हृदय धमनियों में रुकावट, दिल का दौरा, अचानक दिल का दौरा, स्ट्रोक या हाथों और पैरों की धमनियों में ब्लॉकेज होने की अधिक संभावनाएं हैं।
40 की उम्र के बाद ज़रूरी हो जाती है स्क्रीनिंग
40 की उम्र के बाद हर किसी को साल में एक बार दिल की सेहत की जांच ज़रूर करानी चाहिए। जिसमें किडनी, लिवर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल के लिए ब्लड टेस्ट होना चाहिए, सीने का एक्स-रे, ईसीजी, एकोकार्डियोग्राफी और ज़रूरत पड़ने पर ट्रेडमिल टेस्ट भी होना चाहिए। अगर व्यक्ति उच्च जोखिम की श्रेणी में आता है, जिसका मतलब है कि अगर उनके परिवार में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, स्मोकिंग, अत्यधिक शराब का सेवन या मोटापे का इतिहास है। खासतौर पर अगर व्यक्ति में हृदय रोग के लक्षण हैं, जैसे सीने में दर्द या बेचैनी और सांस फूलना आदि, उन्हें 40 साल की उम्र से पहले ही इन परीक्षणों के लिए जाना चाहिए और हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।