आज से 6 साल पहले आई थी 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती, एक वायरस ने थाम दी थी पूरी दुनिया की रफ्तार
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से शुरू हुई कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने दुनिया को बदल दिया। यह वायरस हवा और सतहों से तेजी से फैला, जिससे वैश्विक लॉकडाउन, सीमा बंदी और मेडिकल सर्विसेस पर भारी दबाव पड़ा। कोरोना महामारी के जख्म आज भी हरे हैं। यह महामारी लाखों लोगों को निगल गई और आज भी कई लोग लॉन्ग कोविड के लक्षणों से जूझ रहे हैं।

6 साल पहले शुरू हुई थी कोविड-19 की त्रासदी (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया ने आज से ठीक छह साल पहले एक ऐसी महामारी की शुरुआत देखी थी, जिसने मानव इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में पहला कोविड-19 (COVID-19) का केस मिला था। शुरुआत में यह एक सामान्य वायरल इन्फेक्शन की तरह लगा, लेकिन कुछ ही हफ्तों में यह वायरस इतनी तेजी से फैला कि दुनिया के लगभग हर देश में इसके मामले दिखाई देने लगे।
स्थिति इतना भयानक रूप (COVID-19 Pandemic) ले चुकी थी कि देखते ही देखते सभी देशों को लॉकडाउन लगाना पड़ा, सीमाएं बंद करनी पड़ीं और लोगों को घरों में कैद होने की स्थिति आ गई।
कैसे फैली महामारी?
कोविड-19 संक्रमण हवा में मौजूद छोटे कणों के जरिए तेजी से फैलता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, बोलने या छींकने पर वायरस आसपास के लोगों तक पहुंच जाता है। यही कारण था कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों में संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा हो जाता है। मेडिकल स्टडीज ने यह भी दिखाया कि वायरस सतहों पर कुछ समय तक एक्टिव रह सकता है, जिससे संक्रमण का दायरा और भी व्यापक हो गया।
हालांकि, शुरुआत में इस बारे में लोगों के पास काफी कम जानकारी थी और कोविड को लोग गंभीरता से भी नहीं ले रहे थे। इसके कारण इन्फेक्शन तेजी से फैला और कुछ ही महीनों में दुनिया भर में अस्पतालों पर दबाव बढ़ने लगा। इमरजेंसी वार्ड मरीजों से भर गए, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी होने लगी और कई देशों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। महामारी ने यह साफ कर दिया कि दुनिया किसी भी बड़े स्वास्थ्य संकट के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी।

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कोविड-19 के लक्षण
कोविड-19 के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग तरीके से दिखाई दिए। शुरुआती लक्षण साधारण फ्लू जैसे होते-
- बुखार
- सूखी खांसी
- गले में खराश
- सिरदर्द
- स्वाद और गंध का चले जाना
गंभीर मामलों में मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती, फेफड़ों में इन्फेक्शन बढ़ जाता और कई लोगों को ICU तक पहुंचाना पड़ता।
हालांकि लाखों लोग ठीक हो गए, लेकिन बहुत से लोग आज भी लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं, जिसमें लगातार थकान, सांस फूलना, दिल की धड़कन बढ़ना और ब्रेन फॉग जैसे लक्षण बने रहते हैं।
लॉकडाउन और वैश्विक कदम
2020 में दुनिया के लगभग हर देश ने वायरस की चेन तोड़ने के लिए सख्त लॉकडाउन लगाए। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और बाजार बंद हो गए। सिर्फ जरूर सामान की दुकानें, जैसे मेडिकल स्टोर और किराने की दुकानें ही खोल सकते थे बाकी पूरा मार्केट बंद कर दिया गया। लोग महीनों तक घरों से बाहर नहीं निकल सके। सार्वजनिक परिवहन रोक दिया गया। सभी देशों ने अपने-अपने बॉडर बंद कर दिए और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
दुनिया की अर्थव्यवस्था रुक गई, करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं और लाखों लोग मानसिक तनाव से जूझने लगे। कई लोग जो अपने घरों से दूर थे, वे अकेले अपने कमरे में रहने पर मजबूर हो गए। लॉकडाउन के अकेलेपन ने लोगों की मानसिक स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाया।
साथ ही, मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल और सामाजिक दूरी जैसी सावधानियां रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गईं।
वैक्सीन बनने तक की दौड़
महामारी को रोकने की सबसे बड़ी कोशिश में दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने में जुट गए। रिकॉर्ड समय में कई वैक्सीन विकसित हुईं, जैसे- कोविशील्ड, कोवैक्सिन, फाइजर और मॉडर्ना। वैक्सीनेशन ड्राइव ने करोड़ों लोगों की जान बचाई और गंभीर इन्फेक्शन के खतरे को कम किया। यह मानव इतिहास की सबसे तेज और सबसे बड़ी वैक्सीन मुहिम बन गई।
कोविड-19 ने दिया दुनिया को सबक
महामारी ने दुनिया को स्वास्थ्य, स्वच्छता और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व का नया एहसास कराया। इसने साबित किया कि कोई भी देश अकेले किसी वैश्विक संकट का सामना नहीं कर सकता, बल्कि सहयोग और जागरूकता ही ऐसी चुनौतियों से निपटने का तरीका है। कोविड-19 का यह फ्लैशबैक हमें याद दिलाता है कि मानवता कितनी बड़ी परीक्षा से गुजरी है और यह भी कि सामूहिक एकजुटता और विज्ञान मिलकर किसी भी संकट से उबरने की ताकत रखते हैं।

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