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    क्या मेनोपॉज के बाद बढ़ जाता है डिप्रेशन का खतरा? इन 6 लक्षणों से करें इसकी पहचान

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 01:08 PM (IST)

    45-50 की उम्र के बीच महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं। ऐसा मेनोपॉज की वजह से होता है। इस दौरान हार्मोन्स में काफी बदलाव आते हैं। हार्मोन्स में हो रहे बदलाव के कारण कुछ महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा भी रहता है। आइए जानें पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन के लक्षण (Post Menopausal Depression Symptoms) कैसे होते हैं।

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    पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन की पहचान कैसे करें? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दि्ल्ली। महिलाओं में 45-55 वर्ष की उम्र के बीच मेनोपॉज शुरू होता है। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का लेवल कम होने लगता है, जिससे कई शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। कई महिलाएं इस स्टेज में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन (Depression After Menopause) भी अनुभव करती हैं।

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    जी हां, हार्मोन्स में होने वाले बदलाव की वजह से कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के बाद डिप्रेशन का रिस्क बढ़ जाता है। इसे "पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन" कहा जाता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसे समय रहते पहचानना और इलाज कराना जरूरी है। आइए जानें किन लक्षणों (Post Menopausal Depression Symptoms) से इसका पता लगा सकते हैं।

    पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन के लक्षण कैसे होते हैं?

    लगातार उदासी, निराशा या चिड़चिड़ापन

    महिलाएं बिना किसी खास वजह के उदास या निराश महसूस करने लगती हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या मन का भारी होना इसके सामान्य संकेत हैं।

    भूख में बदलाव

    कुछ महिलाओं को बिल्कुल भूख नहीं लगती, जबकि कुछ ज्यादा खाने लगती हैं। वजन का अचानक बढ़ना या घटना भी डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।

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    नींद की समस्या

    कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा नींद आती है, तो कुछ इनसोम्निया से परेशान हो जाती हैं। रात में बार-बार नींद टूटना या सुबह जल्दी उठ जाना भी डिप्रेशन से जुड़ा है।

    थकान और एनर्जी की कमी

    शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाएं हमेशा थका हुआ महसूस करती हैं। छोटे-छोटे काम करने में भी आलस या मन न लगना इसका लक्षण है।

    पसंदीदा गतिविधियों में रुचि खोना

    जिन कामों को करने में पहले मजा आता था, अब उनमें दिलचस्पी नहीं रहती। सामाजिक मेलजोल से कटने लगना या अकेले रहने की इच्छा बढ़ना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।

    फैसले लेने में कठिनाई

    फोकस करने में परेशानी, याददाश्त कमजोर होना या छोटे-छोटे फैसले लेने में दिक्कत होना भी पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन का हिस्सा है।

    पोस्ट मेनोपॉजल डिप्रेशन के कारण

    • हार्मोनल बदलाव- एस्ट्रोजन का लेवल गिरने से सेरोटोनिन हार्मोन प्रभावित होता है।
    • नींद की कमी- हॉट फ्लैशेस और नींद न आने की समस्या मूड को खराब करती है।
    • तनाव- बच्चों का घर छोड़ना, बुढ़ापा या पारिवारिक जिम्मेदारियों का तनाव डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकता है।
    • पुरानी बीमारियां- डायबिटीज, हाई बीपी या हड्डियों की कमजोरी भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करती है।

    इलाज और बचाव के उपाय

    • डॉक्टर से सलाह लें- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या एंटीडिप्रेसेंट दवाएं मददगार हो सकती हैं।
    • नियमित एक्सरसाइज- योग, वॉकिंग या डांस जैसी एक्टिविटीज एंडोर्फिन हार्मोन बढ़ाती हैं।
    • हेल्दी डाइट- ओमेगा-3, विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर फूड्स को डाइट में शामिल करें।
    • मेडिटेशन और रिलैक्सेशन- स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए ध्यान और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
    • सोशल कनेक्शन- दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं, अपने इमोशन्स शेयर करें।

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    Source: 

    John Hopkins: https://www.hopkinsmedicine.org/health/wellness-and-prevention/can-menopause-cause-depression