दिल की सेहत का हाल बताने में मदद करते हैं ये 5 टेस्ट, हार्ट डिजीज का वक्त रहते चल सकता है पता
अगर दिल से जुड़ी समस्याओं का वक्त रहते पता लगा लिया जाए तो बेहतर इलाज (Medical Tests for Heart) और जान बचाने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसमें कुछ मेडिकल टेस्ट काफी मददगार साबित होते हैं। ये दिल से जुड़ी छिपी हुई समस्याओं के बारे में पता लगाने में मदद करते हैं जिससे डॉक्टर बेहतर इलाज कर पाते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह समझना जरूरी है कि हार्ट हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। दिल से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं होती हैं, जो अंदर छिपी रहती हैं और धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती हैं। अगर इन समस्याओं का वक्त पर पता न लगाया जाए (Heart Disease Diagnosis), तो ये घातक साबित हो सकती हैं।
ऐसे में समय रहते इनका पता लगाने के लिए कुछ खास टेस्ट (Test to Identify Heart Disease) बहुत मददगार साबित होते हैं। इन टेस्ट की मदद से दिल का हाल बेहतर पता लग पाता है और अगर कोई समस्या होती भी है, तो उसका समय से इलाज करने में भी मदद मिलती है। आइए जानें इन टेस्ट के बारे में।
इकोकार्डियोग्राम
इकोकार्डियोग्राम एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड टेस्ट है, जो दिल की संरचना और फंक्शन की बेहतर तस्वीर दिखाता है। इस टेस्ट में साउंड वेव्स का इस्तेमाल करके दिल की रियल टाइम इमेज बनाई जाती हैं। यह टेस्ट दिल के वाल्व, हार्ट चेंबर की दीवारों की मोटाई, दिल की पम्प करने की क्षमता, और हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन किसी भी तरह की अनियमितता का पता लगाने में मदद करता है।
स्ट्रेस टेस्ट
स्ट्रेस टेस्ट यह जांचता है कि फिजिकल एक्सरसाइज के दौरान आपका दिल कैसा परफॉर्म करता है। इस टेस्ट के दौरान, मरीज को ट्रेडमिल पर चलने या जॉग करने के दौरान उसके दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी, ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट की निगरानी की जाती है। यह टेस्ट कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट बीट में अनियमितता, और फिजिकल एक्सरसाइज के लिए दिल की सहनशीलता का पता लगाने में मददगार है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
यह एक बेहद आसान और पेन फ्री टेस्ट है, जो दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है। त्वचा पर छाती, हाथ और पैरों पर इलेक्ट्रॉड्स लगाए जाते हैं, जो दिल की इलेक्ट्रिकल इमपल्स को ग्राफ के रूप में दिखाता है। यह टेस्ट हार्ट एरिथमिया, दिल की मांसपेशियों में ब्लड फ्लो में कमी, हार्ट अटैक और हार्ट डिसऑर्डर जैसी समस्याओं का पता लगा सकता है।
एंकल-ब्रेशियल इंडेक्स टेस्ट
यह टेस्ट पेरिफरल आर्टरी डिजीज का पता लगाने के लिए किया जाता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें पैरों की आर्टरीज में सिकुड़न हो जाती है, जिससे दिल पर ज्यादा दबाव पड़ सकता है। इस टेस्ट में, बांह और टखने में ब्लड प्रेशर की तुलना की जाती है। यदि एड़ियों का ब्लड प्रेशर बांह की तुलना में काफी कम है, तो यह पेरिफरल आर्टरी डिजीज का संकेत हो सकता है, जो हार्ट डिजीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है।
एंजियोग्राफी
कोरोनरी एंजियोग्राफी दिल की आर्टरीज की एक्स-रे इमेजिंग दिखाता है। इसमें एक कैथेटर को कमर या कलाई की आर्टरी के जरिए दिल तक पहुंचाया जाता है और एक डाई इन्जेक्ट किया जाता है। इससे एक्स-रे पर आर्टरीज की साफ तस्वीर दिखाई देता है। यह टेस्ट आर्टरीज में ब्लॉकेज का पता लगाने का सबसे बेहतर तरीका माना जाता है और यह दिखा सकता है कि ब्लड सर्कुलेशन में कहां और कितनी रुकावट है।
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