हार्ट अटैक के खतरे को करना है कम? कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह पर आज ही कराएं 5 टेस्ट
क्या आप जानते हैं कि दिल की बीमारी अक्सर 'दबे पांव' आती है? कई बार व्यक्ति को तब तक पता ही नहीं चलता कि उसका दिल खतरे में है, जब तक कि हार्ट अटैक या स ...और पढ़ें

हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचने के लिए डॉ. जैक वुल्फसन की 5 खास सलाह (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल दिल की बीमारियां दुनिया भर में एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। अक्सर ये बीमारियां 'साइलेंट' होती हैं, यानी इनके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक कि बहुत देर न हो जाए, लेकिन घबराएं नहीं। अमेरिका के एरिजोना स्थित मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. जैक वुल्फसन, जिनके पास 16 साल से ज्यादा का एक्सपीरिएंस है, उन्होंने हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए 5 ऐसे टेस्ट (Tests to Prevent Heart Attack Risk) बताए हैं जो हर एडल्ट को कराने चाहिए।

हाई-सेंसिटिविटी सी-रिएक्टिव प्रोटीन
डॉ. वुल्फसन के अनुसार, यह शरीर में सूजन का पता लगाने वाला एक जरूरी मार्कर है। उनका कहना है, "जब शरीर में सूजन होती है, तो खतरा बढ़ जाता है।" अगर आप इस टेस्ट के जरिए सूजन की असली वजह को खोज लेते हैं और उसे ठीक करते हैं, तो आप दिल की बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस टेस्ट
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस आपकी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और कार्डियक रिस्क को बढ़ा सकता है। डॉ. वुल्फसन बताते हैं कि वे अपने क्लिनिक में इसके लिए एक यूरिन टेस्ट की सुविधा देते हैं, जो एक होम टेस्ट किट भी हो सकता है। यह टेस्ट समय के साथ आपकी सेहत में हो रहे सुधार को ट्रैक करने का एक बेहतरीन तरीका है।
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Lp(a) टेस्ट
यह एक जेनेटिक लिपिड पार्टिकल टेस्ट है। डॉ. वुल्फसन बताते हैं कि जब इसका स्तर बढ़ा हुआ होता है, तो खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि इसे दवाओं के बिना भी कंट्रोल किया जा सकता है। यह जानना बेहद जरूरी है कि आपका शरीर जेनेटिक रूप से किस स्थिति में है।
होमोसिस्टीन टेस्ट
यह टेस्ट आपके शरीर में विटामिन-बी के स्तर और मिथाइलेशन की प्रक्रिया को समझने का एक तरीका है। मिथाइलेशन हार्मोन, ग्लूटाथियोन और न्यूरोट्रांसमीटर बनाने के लिए जरूरी है। डॉ. वुल्फसन के मुताबिक, अगर यह बढ़ा हुआ है तो इसका मतलब है कि शरीर में विटामिन-बी की समस्या है। उन्होंने बताया कि इसे 'बाइसन ऑर्गन कॉम्प्लेक्स' (जिसमें विटामिन-बी का सही अनुपात होता है) के जरिए सुधारा जा सकता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड टेस्ट
डॉ. वुल्फसन जोर देकर कहते हैं, "जितना ज्यादा ओमेगा-3 का स्तर होगा, खतरा उतना ही कम होगा।" वे सलाह देते हैं कि लोगों को बार-बार 'कोरोनरी सीटी स्कैन' या रेडिएशन वाले टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे अक्सर अनावश्यक तनाव और दवाइयों का दौर शुरू हो जाता है। इसके बजाय, ओमेगा-3 का सही स्तर बनाए रखना ज्यादा फायदेमंद है।
सही खानपान और लाइफस्टाइल है जरूरी
डॉ. वुल्फसन का मानना है कि 'कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम स्कैन' जैसे टेस्ट में रेडिएशन होता है और वे आपको सेहत में सुधार ट्रैक करने का मौका नहीं देते। इसके विपरीत, ऊपर बताए गए 5 टेस्ट आपको यह देखने में मदद करते हैं कि आपका खानपान, लाइफस्टाइल और मानसिकता बदलने से आपकी सेहत में कितना सुधार हो रहा है।

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