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    दीवाली पर क्यों बनती है जिमीकंद की सब्जी? जानें इसका धार्मिक महत्व

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 05:19 PM (IST)

    दीवाली पर जिमीकंद की सब्जी बनाने की परंपरा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह जड़ वाली सब्जी लगातार बढ़ती है। मान्यता है कि यह कभी खराब नहीं होती, इसलिए मां लक्ष्मी को भोग लगाकर सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। जिमीकंद स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

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    दीवाली पर जिमीकंद: क्यों है यह खास और क्या हैं इसके फायदे? (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीवाली हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह 5 दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। रोशनी का यह त्योहार इस साल 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दीवाली के दौरान कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इस दिन खासतौर पर जिमीकंद की सब्जी बनाई जाती है। 

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    यह एक पुरानी परंपरा है, जो भारत के कई हिस्सों में निभाई जाती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे दीवाली के दिन क्यों बनाई जाती है जिमीकंद की सब्जी और क्या है इसे बनाने का महत्व-

    जिमीकंद की सब्जी क्यों बनाई जाती है?

    जिमीकंद एक जड़ वाली सब्जी है, जिसे ओल, सूरन या हाथी पैर रतालू के नाम से भी जाना जाता है। दीवाली के दिन इसे खासतौर से बनाया जाता है। इस सब्जी को बनाने के परंपरा मुख्य रूप से भारत के दो राज्यों पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फॉलो की जाती है। वहीं, ज्यादातर कायस्थ और ब्राह्मण समुदाय के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीवाली के दिन जिमीकंद की सब्जी बनाना बेहद शुभ होता है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

    इसलिए शुभ होता है जिमीकंद बनाना

    इस सब्जी को बनाना कई वजहों से महत्वपूर्ण माना जाता है। जिमीकंद एक जड़ वाली सब्जी होती है और जड़ होने की वजह से यह लगातार बढ़ता है, जो समृद्धि का प्रतीक होता है। दरअसल, जिमीकंद की कटाई के बाद अगर इसका कुछ हिस्सा मिट्टी में रह जाए, तो यह आसानी से उग जाता है, जो बताता है कि यह ग्रोथ का प्रतीक है। 

    इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि जिमीकंद की सब्जी कभी खराब नहीं होती। इसलिए दीवाली के मौके इसकी सब्जी बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाते हैं और उनसे यह प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह जिमीकंद की सब्जी कभी खराब नही होती और हमेशा यह बढ़ता-फूलता है, उसकी तरह हमारा जीवन में भी खूब तरक्की और समृद्धि आए।

    जिमीकंद खाने के फायदे

    धार्मिक महत्व के अलावा जिमीकंद वैज्ञानिक दृष्टि से भी काफी अहम होता है। इसे खाने से सेहत को कई सारे फायदे मिलते हैं। यह एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जिसकी वजह से इसे खाने से इम्युनिटी बढ़ती है। साथ ही इसमें कई सारे विटामिन, मिनरल, फैट, प्रोटीन, पोटेशियम और घुलनशील फाइबर होते हैं, तो शरीर से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से राहत दिलाते हैं। साथ ही सूरन हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी मदद करता है।