मैसूर पाक के नाम को लेकर क्यों मचा है इतना बवाल... क्या 'पाक' शब्द का पाकिस्तान से है कोई लेना-देना?
भारत में मिठाइयों का इतिहास जितना पुराना है उतना ही रोचक भी। हर मिठाई सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि एक परंपरा और संस्कृति की पहचान होती है। ऐसी ही एक मिठाई है- मैसूर पाक लेकिन हाल ही में इसका नाम विवादों में घिर गया है (Mysore Pak Name Controversy)। दरअसल जयपुर के कुछ दुकानदारों ने इसका नाम बदलकर मैसूर श्री रखने की बात कही है। आइए जानें।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मैसूर पाक के नाम को लेकर सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा (Mysore Pak Name Controversy) काफी तेज है। जयपुर के कुछ दुकानदारों का मानना है कि 'राष्ट्रभक्ति' की भावना का सम्मान करने के मकसद से इस मिठाई का नाम 'मैसूर श्री' रखने की बात कही गई है। जी हां, दशकों से दक्षिण भारत की शान रही मैसूर पाक अब कुछ जगहों पर 'मैसूर श्री' के नाम से बेची जा रही है। राजस्थान के जयपुर शहर की कुछ जानी-मानी मिठाई की दुकानों में ऐसा देखने को मिला है।
दुकानदारों का कहना है कि यह बदलाव एक राष्ट्रभक्ति की भावना से प्रेरित है। हाल ही में हुए आतंकी हमलों और ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य एक्शन के बाद, कुछ लोगों को 'पाक' शब्द से पाकिस्तान की याद आने लगी (Is Pak in Mysore Pak related to Pakistan)। इसी वजह से उन्होंने 'आम पाक' को 'आम श्री', 'गोंद पाक' को 'गोंद श्री' और 'मैसूर पाक' को 'मैसूर श्री' बना दिया। हालांकि, सवाल उठता है कि क्या सच में इसके नाम में शामिल 'पाक' शब्द का पाकिस्तान से कोई लेना-देना है (Mysore Pak meaning of Pak)? आइए जानें।
क्या है 'पाक' शब्द का मतलब?
'मैसूर पाक' नाम में 'पाक' का मतलब (Mysore Pak Real Meaning) पाकिस्तान नहीं, बल्कि पाक कला या पाक विधि से है। कन्नड़ भाषा में 'पाका' शब्द का अर्थ होता है- पकाना या फिर चाशनी बनाना। मिठाई बनाते समय जो चिपचिपी शक्कर की चाशनी तैयार की जाती है, उसे ही 'पाका' कहा जाता है। इसलिए "मैसूर पाक" का मतलब हुआ- मैसूर में बनी शुद्ध चाशनी वाली मिठाई। यह नाम मिठाई की जगह और उसकी पाक विधि दोनों को दर्शाता है।
इसके अलावा, 'पाक' शब्द की जड़ें फारसी से भी जुड़ी हैं, जहां इसका अर्थ होता है 'मिठाई' या 'पवित्र'। हिंदी और कन्नड़ में यह किसी पकवान या खासकर मीठे व्यंजन के लिए इस्तेमाल होता है जिसे बनाने में चाशनी का इस्तेमाल होता है। इसलिए 'मैसूर पाक' नाम न केवल ऐतिहासिक, बल्कि भाषाई के लिहाज से भी पूरी तरह सही है।
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मैसूर पाक की कहानी
बीसवीं सदी की शुरुआत में जब मैसूर (अब मैसुरु) पर वाडियार वंश के राजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ का शासन था, तब इस मिठाई का जन्म हुआ। उनके अम्बा विलास महल की रसोई बहुत बड़ी थी, जहां काकासुरा मडप्पा नाम के एक रॉयल कुक ने एक दिन बेसन, घी और शक्कर को मिलाकर एक नई मिठाई तैयार कर दी। बता दें, जब राजा ने इसे चखा, तो वे मंत्रमुग्ध हो गए और मिठाई का नाम पूछने पर मडप्पा कुछ न बोले, तो राजा ने खुद ही कहा- "इसे मैसूर पाक कहो!" इस तरह यह मिठाई एक शाही रसोई से निकलकर हर आम घर की थाली तक पहुंच गई।
आज भी जिंदा है विरासत
मडप्पा का परिवार आज भी मैसुरु में अपनी पारंपरिक मिठाई की दुकान चला रहा है और उनका कहना है कि 'मैसूर पाक' नाम में बदलाव करना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने जैसा है। नाम को लेकर हाल ही में खड़े विवाद को उन्होंने सही जानकारी की कमी और शब्दों की सतही व्याख्या बताया है।
कैसे बनता है मैसूर पाक?
मैसूर पाक की रेसिपी आपको पढ़ने में भले ही आसान लगे, लेकिन इसमें उतनी ही कारीगरी की जरूरत होती है। इसे बनाने के लिए मुख्य रूप से तीन चीजें चाहिए होती हैं- बेसन (चना आटा), देसी घी और शक्कर।
पहले देसी घी को मीडियम आंच पर गर्म किया जाता है, फिर उसमें धीरे-धीरे बेसन डालकर हलवाई लगातार चलाते हुए भूनते हैं। दूसरी ओर शक्कर को पानी में घोलकर एक तार की चाशनी बनाई जाती है। फिर बेसन-घी का मिश्रण इस चाशनी में डालकर लगातार मिक्स किया जाता है। जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए और किनारे छोड़ने लगे, तब इसे एक ग्रीसिंग की गई ट्रे में डालकर ठंडा होने देते हैं। ठंडा होने के बाद इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है। बता दें, अच्छी तरह बना मैसूर पाक मुंह में डालते ही पिघल जाता है और यही इसकी पहचान है।
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