पंजाब नहीं, बल्कि इस राज्य से शुरू हुआ था 'कढ़ी' का सफर; खांसी-जुकाम में आज भी मानते हैं रामबाण
भारतीय खानपान की विविधता में कढ़ी एक ऐसा व्यंजन है जिसे हर कोई पसंद करता है। दही और बेसन से बनी यह कढ़ी न सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है लेकिन अगर आप भी इसे अब तक पंजाब की देन मानते आए हैं तो आज आपकी यह गलतफहमी दूर हो जाएगी। यहां हम आपको कढ़ी का इतिहास (History Of Kadhi) बताने जा रहे हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। History Of Kadhi: हर किसी की जुबान पर किसी न किसी ऐसी डिश का स्वाद जरूर चढ़ा होता है जिसे वे कभी भी खा सकते हैं। इसी तरह कई लोग कढ़ी के शौकीन होते हैं, जिनके लिए यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक फीलिंग की तरह है। दही और बेसन से बनी यह स्वादिष्ट डिश भारत में चावल और रोटी के साथ परोसी जाती है। दिलचस्प बात यह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में कढ़ी को अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और सुगंध भी अलग-अलग देखने को मिलती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि भारत के किस राज्य से इसे बनाने की शुरुआत (Kadhi Origin State) हुई थी और इतिहास आखिर कैसा रहा है।
कहां से आई कढ़ी?
भारत की विविधता का जायका हमें हर मोड़ पर मिलता है। खासकर, हमारे देश की पाक कला में यह खासियत साफ देखने को मिलती है। एक ही व्यंजन, जैसे कढ़ी, देश के अलग-अलग हिस्सों में बिल्कुल अलग स्वाद और रूप ले लेती है। पंजाबी कढ़ी महाराष्ट्रियन कढ़ी से जितनी अलग है, उतनी ही राजस्थानी कढ़ी इन दोनों से अलग है, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इस स्वादिष्ट व्यंजन की शुरुआत कहां से हुई?
कई लोगों का मानना है कि कढ़ी जैसा शाही व्यंजन राजस्थान के शाही घरानों से ही निकला होगा और यह बात काफी हद तक सही भी लगती है। हालांकि, इतिहासकारों के अनुसार, कढ़ी की उत्पत्ति राजस्थान में हुई थी और बाद में यह गुजरात और सिंध तक फैल गई। हर क्षेत्र के लोगों ने अपने स्थानीय मसालों और सामग्री के साथ इस व्यंजन में अपनी अलग पहचान दी।
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मक्के के आटे से बेसन तक का सफर
शेफ कुणाल बताते हैं कि कढ़ी की शुरुआत एक पारंपरिक व्यंजन के रूप में हुई थी जब घरों में दूध की अधिकता होती थी। दूध से मक्खन निकालने के बाद बची छाछ का इस्तेमाल करके एक खास व्यंजन तैयार किया जाता था। शुरूआत में, इस व्यंजन में मक्के का आटा मिलाया जाता था, लेकिन समय के साथ बेसन ज्यादा लोकप्रिय हो गया और देश भर में कढ़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होने लगा। आज, कढ़ी में बेसन और छाछ दो मेन इंग्रेडिएंट हैं, लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों में इसके स्वाद और तड़के में काफी विविधता देखने को मिलती है।
सेहत के लिए भी लाजवाब है कढ़ी
कढ़ी, भारत का एक लोकप्रिय व्यंजन है जो न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। आइए जानते हैं कढ़ी खाने के फायदे।
- पोषक तत्वों से भरपूर: कढ़ी मुख्य रूप से बेसन (चने का आटा) और छाछ से बनाई जाती है। बेसन में प्रोटीन, गुड फैट, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट और फोलेट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं, छाछ वजन घटाने, इम्युनिटी बढ़ाने और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: कढ़ी में मौजूद बेसन कोलेजन फॉर्मेशन को बढ़ावा देता है और इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं। नियमित रूप से कढ़ी का सेवन करने से आपकी त्वचा और बाल हेल्दी रहते हैं।
- पाचन तंत्र के लिए गुणकारी: कढ़ी आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करती है।
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: कढ़ी खाने से ब्लड प्रेशर को काबू रखने में मदद मिलती है।
- सर्दी-जुकाम से राहत दिलाए: बेसन गर्म होता है और कढ़ी में इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे हल्दी और काली मिर्च एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं। इसलिए, सर्दी-जुकाम में कढ़ी खाना काफी फायदेमंद होता है।
- सर्दियों का कंफर्ट फूड: कढ़ी सर्दियों में खाने के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है। यह शरीर को गर्म रखती है और सर्दी के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाती है।
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