टिफिन वापस नहीं आएगा भरा! बच्चों को पालक-बथुआ खिलाने का ये 'सीक्रेट' तरीका जान लें, मां भी खुश और बच्चे भी
सर्दी का मौसम जब तरह-तरह की सब्जियों और फलों से भर जाती है हमारी थाली। बच्चों तक कैसे सही मात्रा और मजेदार तरीके से पहुंचे पोषण कि उन्हें मिले इम्यूनि ...और पढ़ें

बच्चों को पालक-बथुआ खिलाने का आसान तरीका (Picture Credit- AI Generated)
आरती तिवारी, नई दिल्ली। इन दिनों दिल्ली की प्रिया बहुत खुश हैं क्योंकि उनके पांच साल के बेटे का टिफिन अब स्कूल से पूरा खाली होकर आता है। यहां दोगुणी खुशी यह भी है कि वे इन दिनों संतुष्ट हैं कि बेटा बिना किसी नखरे के ही पालक, बथुआ जैसी हरी सब्जियों से बनी रोटियां और बाजरा, गुड़ के बने लड्डू रोज खा रहा है। सर्दी का यही तो फायदा होता है। वह मौसम जब बीमार पड़ने की आशंका ज्यादा हो तो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी ज्यादा विकल्प प्रकृति स्वयं उपलब्ध कराती है। यह मौसम साथ लेकर आता है हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और श्रीअन्न की सौगात। बच्चों और किशोरों के विकास के लिए यह समय विशेष पोषणयुक्त भोजन के विकल्प दे जाता है।
हर डाइट में सेहत के साथी
आईसीएमआर-एनआइएन द्वारा भारतीयों के लिए जारी की गई डाइटरी गाइडलाइंस, 2024 के अनुसार, रोज कम से कम 400 ग्राम सब्जियां और 100 ग्राम फल खाने चाहिए। सब्जियां और श्रीअन्न आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी, एंटीआक्सीडेंट जैसे माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स होते हैं जो बच्चों की सेहत और इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। बच्चों को हर चीज कुछ रचनात्मक तरीके से ही खिलाई जा सकती है तो उनकी डाइट में इस मौसम में आने वाली सब्जियां और श्रीअन्न शामिल करने के लिए विविध तरीके अपना सकते हैं।
जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों को मल्टीग्रेन आटे में गूंथकर उससे रंगीन पराठा, पूरी या रोटी बना सकते हैं। दाल में पालक, बथुआ, सोया, मेथी भी डालकर उसे पोषक तत्वों से भरपूर बना सकते हैं। सब्जियों का भरवां पराठा भी बच्चों को पसंद आता है। हरा-भरा कबाब, चौलाई की टिक्की वगैरह भी बेहतर विकल्प बन जाते हैं। नाश्ते में गाजर, चुकंदर और हरी सब्जियों से बनी रंगीन इडली, अप्पे आदि बना सकते हैं। तो वहीं रागी पैनकेक, रागी हलवा, गाजर हलवा भी इस मौसम में दे सकते हैं।
मजेदार है मीठा भोजन
खाने के बाद कुछ मीठा खाने की इच्छा में कई बार अतिरिक्त कैलोरी भी चली जाती है। मगर सर्दी का मौसम इस मामले में भी सहायक ही होता है। श्रीअन्न, गुड़, सूखे मेवे आदि के लड्डू इस आवश्यकता को अच्छी सेहत के साथ पूरी करते हैं। माता-पिता बच्चों और टीनएजर्स दोनों के खाने में श्रीअन्न (रागी, बाजरा, ज्वार), घी और गुड़ जैसी गर्माहट देने वाली भारतीय चीजें शामिल कर सकते हैं। श्रीअन्न ग्लूटन फ्री होते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, कोलेस्ट्राल कम करने में भी मदद कर सकते हैं।
इन्हें मल्टीग्रेन रोटी के तौर पर रोज के खाने में आसानी से शामिल किया जा सकता है। नाश्ते के समय मेवे और श्रीअन्न के साथ प्रोटीन से भरपूर लड्डू भी बच्चों को दे सकते हैं। मूंगफली की चिक्की भी सेहत का अच्छा साथी होती है। बेक्ड बाजरे के चिप्स भी एक हेल्दी स्नैक विकल्प हो सकते हैं। हालांकि यह भी ध्यान रखें कि खाने का कैलोरी काउंट बच्चों की एक्टिविटी लेवल के हिसाब से हो, अन्यथा उनमें आलस बढ़ जाता है।
काफी है थोड़ी सी धूप
कभी-कभी माता-पिता सोचते हैं कि इस मौसम में बच्चों को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए वे उन्हें सप्लीमेंट्स तक दे देते हैं। यह प्रवृत्ति कई बार टीनएजर में भी देखने को मिलती है। इस पीढ़ी के बच्चे इंटरनेट मीडिया पर देखादेखी करके तमाम तरह की दवा का सेवन करने लगते हैं। इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स (आइएपी) बचपन और टीनएज में विटामिन डी सप्लीमेंट के नियमित और बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के सेवन के विरोध में सलाह देती है। आइएपी के अनुसार इस उम्र में विटामिन डी की अनुमानित औसत जरूरत (400-600 आइयू/दिन) धूप और खाने-पीने की चीजों से पूरी की जा सकती है। बेहतर होगा कि बच्चों को 30-45 मिनट धूप में रखें। इस दौरान उन्हें खेलने-कूदने के लिए भी प्रेरित करें ताकि शारीरिक तौर पर भी वे एक्टिव रहें।
गर्म पेय करेंगे दोगुणी मदद
सर्दियों में प्यास कम लगती है। यूं तो पानी का कोई विकल्प नहीं मगर सही हाइड्रेशन सुनिश्चित करने के लिए सूप, शोरबा या हर्बल चाय जैसे गर्म पेय पदार्थ भी बच्चों को देने चाहिए। बेहतर होगा कि आप बच्चों को समय-समय पर पानी पीने का रिमांइडर दें। पानी में नींबू, सेब, दालचीनी, गाजर, संतरा, तुलसी डालकर डिटाक्स वाटर भी तैयार कर सकते हैं। यह स्वादिष्ट भी लगेगा और सेहत के लिए लाभदायक रहेगा। घर पर तैयार फ्रूट जूस, स्मूदी, माल्ट, गोल्डन लाटे, केसर-हल्दी दूध दें।

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