Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ram Navmi 2025: श्रीराम चखें श्रीखंड-पंजीरी, रामनवमी के हर पकवान की है अपनी दास्तान

    Updated: Sun, 06 Apr 2025 09:06 AM (IST)

    सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र में नवसंवत्सर से लेकर श्रीरामनवमी तक अद्भुत उल्लास रहता है। नासिक में गोदावरी नदी के किनारे अवस्थित पंचवटी हो या नागपुर में रामटेक श्रीराम वनवास से गहरा संबंध रखने वाले इस राज्य की विशेष उत्सव रसोई और प्रसाद का स्वाद लेकर आई हैं शेफ माधुरी उगांवकर। आइए जानते हैं रामनवमी पर तैयार किए गए व्यंजनों की कहानी।

    Hero Image
    Ram Navmi 2025: रामनवमी से जुड़े हर पकवान की है अपनी एक कहानी (Picture Courtesy: Freepik)

    माधुरी उगांवकर, नई दिल्ली। हमारे त्योहार प्रकृति के साथ कदमताल करने का तरीका सिखाते हैं। चैत्र माह में बदलते मौसम की शुरुआत होती है आठ दिनों के व्रत के साथ और आज है श्रीरामनवमी। यह व्रत-उपवास आपने इसलिए किया ताकि पुराने आहार-व्यवहार से शुद्धि होकर नए मौसम के अनुसार आहार के लिए शरीर को तैयार कर सकें। इस प्रकार चैत्र नवरात्र से लेकर श्रीरामनवमी तक की यह अवधि सिर्फ नए साल का स्वागत करने के बारे में नहीं, यह जीवन, समृद्धि और भोजन द्वारा हमारी मेज पर लाई गई छोटी-छोटी खुशियों का आभार मनाने का भी संदेश देती है। इस दौरान तैयार किए गए प्रत्येक व्यंजन में एक कहानी होती है, जो हमें प्रकृति, परंपरा और स्वास्थ्य से जोड़ती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कभी नीम-नीम, कभी शहद-शहद

    जहां गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में हर किसी को नीम की कोंपल और गुड़ के मिश्रण का सेवन करना होता है तो वहीं आज श्रीरामनवमी के दिन जगह-जगह प्रसाद में मिलेगी सुंठवड़ा और धनिया पंजीरी। उत्तर भारतीय पाठक धनिया पंजीरी से तो भलीभांति परिचित होंगे और सुंठवड़ा भी कोई अनजान चीज नहीं, यह सूखी अदरख (सोंठ), नारियल के लच्छों, काजू-बादाम से तैयार पंजीरी सदृश मिठाई है। नासिक का प्रसिद्ध कालाराम मंदिर हो या छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास स्वामी द्वारा स्थापित गोमाय मंदिर, सुंठवड़ा और धनिया पंजीरी यहां चार प्रमुख पर्वों श्रीरामनवमी, दत्तजयंती, हनुमान जयंती और जन्माष्टमी में बनाई-बांटी जाती है।

    यह भी पढ़ें: भगवान श्री राम के ये 5 मंदिर हैं बेहद खास, इस रामनवमी पर जरूर करें दर्शन

    इन परंपराओं के पीछे आयुर्वेद की मान्यताएं भी हैं। नीम की नई-ताजी पत्तियां खून को साफ करती हैं और गुड़ पाचन में सहायता करता है, जो इसे बदलते मौसम के लिए दिन की आदर्श शुरुआत बनाता है। सोंठ और धनिया के साथ भी ऐसी ही विशेषताएं हैं। इसी तरह इस दौरान बनने वाली गुड़ और दाल से भरी नरम, मीठी रोटी पूरणपोली सिर्फ उत्सव का व्यंजन नहीं है, यह गर्मजोशी, समृद्धि और साझा करने की खुशी की याद दिलाती है। देसी घी से तैयार पूरणपोली त्वचा के रूखेपन को दूर करती है और प्रोटीन से भरपूर दाल इसे स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी बनाती है।

    मसालों का सही अनुपात

    कोई भी त्योहारी भोजन मसालेदार स्वाद के बिना पूरा नहीं होता। साबूदाना, आलू, मूंगफली और मसालों से बने कुरकुरे पकौड़े नवमी की सुबह लोकप्रिय नाश्ता हैं। आज के दिन अधिसंख्य मराठी घरों में बनने वाली मसालेदार आलू-भाजी और धनिया से भरपूर कोथिंबीर वड़ी कुरकुरेपन, स्वाद और पोषण का सही संतुलन प्रदान करती है। इसे सरसों के दाने, करी पत्ते और अन्य मसालों के सही अनुपात के साथ तैयार करके परोसा जाता है। यह बनने में आसान तो है ही, साथ ही बच्चे हों या बड़े, हर किसी की पसंदीदा होती है। सच कहूं तो साबूदाना से बनने वाले इस व्यंजन का पूरे नौ दिन भरपूर सेवन किया जाता है। इस दौरान साबूदाना वड़ा भी खूब पसंद किया जाता है।

    समृद्धि के सुनहरे दाने

    चैत्र की इस त्योहारी थाली में केसर भात का अपना अलग स्थान है। इसमें पड़ने वाली केसर से इन चावलों की रंगत ही बदल जाती है। यह हर दिल को सुहाती है, साथ ही इसकी सुनहरी रंगत समृद्धि को भी आमंत्रित करती प्रतीत होती है। अपनी समृद्ध सुगंध और हल्की मिठास के साथ यह व्यंजन मन को तृप्त कर देता है। तो वहीं श्रीखंड स्वाद के साथ सेहत की ठंडक देने के लिए उपयुक्त होता है। आज के दिन कई बड़े मंदिरों में कुरकुरी पूरियों और आलू-भाजी के साथ परोसा जाने वाला यह मलाईदार, केसर-युक्त दही प्रसाद के स्वाद को दिव्य कर देता है। सर्वसिद्ध है कि यह बढ़ती गर्मी में शरीर को ठंडक पहुंचाता है और प्रोबायोटिक्स से भरपूर होता है, इसलिए इसका सेवन आपके लिए काफी लाभदायक हो जाता है!

    यह भी पढ़ें: प्रभु राम के जीवन से सीखें ये 5 बातें, सफलता और खुशहाली चूमेगी कदम