सदियों से होली पर स्वाद घोल रही है गुजिया, जानिए कैसे बनी यह रंगों के त्योहार की पहचान
होली के मौके पर गुजिया जरूर बनाई जाती है। जिस तरह रंगों के बिना होली अधूरी है उसी तरह गुजिया के बिना भी यह त्योहार फीका है। हर साल होली के मौके पर इस मिठाई को खासतौर पर बनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर होली पर इसे बनाने की परंपरा कैसे शुरू हुई। अगर नहीं तो आइए जानते हैं गुजिया का इतिहास (Gujiya recipe history)।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों हर तरफ होली की रौनक देखने को मिल रही है। रंगों का यह त्योहार हर साल धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। हंसी-खुशी के इस त्योहार पर हर घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। गुजिया (Holi Gujiya tradition) इन्हीं में से एक है, जिसके बिना होली का पर्व अधूरा माना जाता है।
यह भारत में बनने वाली एक लोकप्रिय मिठाई है, जिसे आमतौर पर होली के मौके पर मनाया जाता है। यह कई लोगों की पसंदीदा मिठाई होती है, जिसे स्वाद जीभ को बेहद लुभाता है। आप भी होली पर गुजिया बड़े चाव से खाते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस स्वादिष्ट मिठाई को बनाने की शुरुआत कैसे हुई और क्यों इसे होली के मौके (Gujiya cultural significance) पर ही बनाया जाता है। अगर नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं गुजिया (Gujiya history) का लंबा और दिलचस्प इतिहास-
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कहां से आई गुजिया?
हर साल होली के मौके पर गुजिया बनाई जाती है। साथ ही इसका भोग भी लगाया जाता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में लोकप्रिय यह मिठाई असल में भारतीय नहीं है। यह तुर्किए के रास्ते भारत पहुंची थी और फिर धीरे-धीरे देशभर में मशहूर हो गई। दरअसल, कई इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि गुजिया तुर्किए की फेमस मिठाई बकलावा (Baklava) से प्रेरित है।
बकलावा को मैदे की कई परतों के बीच ड्राई फ्रूट्स, चीनी और शहद की फिलिंग भरकर बनाया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि बकलावा सिर्फ शाही परिवारों में ही बनाया जाता था। इसी मिठाई की तर्ज पर भारत में गुजिया भी शुरुआत हुई। इतिहासकारों की मानें तो गुजिया का जिक्र सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मिलता है, जब इसे धूप में सुखाकर खाया जाता था। बाद में बदलते समय के साथ इसमें कई एक्सपेरिमेंट किए गए और इसका वर्तमान स्वरूप सामने आया। हालांकि, इसकी उत्पत्ति को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है।
भारत में सबसे पहले कहा बनाई गई गुजिया?
बात करें भारत में इसे सबसे पहले बनाए जाने की, तो ऐसा माना जाता है कि गुजिया सबसे पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड बनाई गई थी। बाद में यह राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश के रास्ते पूरे देश में मशहूर होती चली गई। यह भी कहा जाता है कि सबसे पहले बुंलेलखंड में ही मैदे और खोया गुजिया बनाई गई थी।
होली और गुजिया का कनेक्शन?
ये तो हुई होली के इतिहास की बात। अब जानते हैं कैसे शुरू हुई होली पर गुजिया खाने का चलन। मान्यताओं के मुताबिक होली पर गुजिया बनाने की परंपरा वृंदावन से शुरू हुई। यह मौजूद राधा रमण मंदिर में सबसे पहले गुजिया का भोग लगाया गया था। सन् 1542 में बना यह मंदिर देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और कहा जाता है कि यही पर सबसे पहले होली के दिन यानी फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण को आटे की लोई में चाशनी भरकर भोग लगाया था। इसके बाद से ही होली पर गुजिया बनाने की परंपरा शुरू हुई।
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