क्या आप जानते हैं भारतीय थाली तक कैसे पहुंची चटनी? मुगल बादशाह शाहजहां से है इसका दिलचस्प कनेक्शन
चटनी का सफर जितना जायकेदार है उतना ही शाही भी! बता दें यह कहानी सिर्फ मिर्च-मसालों की नहीं बल्कि मुगल काल के एक हकीम की सूझबूझ की है जिसने भारतीय व्यंजनों को एक ऐसा अनमोल तोहफा दिया जो सदियों से हमारी थाली का शान बना हुआ है। आइए आपको बताते हैं इसका दिलचस्प इतिहास (Chutney History) और मुगल बादशाह शाहजहां से इसका कनेक्शन।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी भारतीय थाली में रंगत और स्वाद घोलने वाली चटनी आखिर कहां से आई? यह सिर्फ मिर्च, मसाले और जड़ी-बूटियों का मिश्रण नहीं, बल्कि इसका एक बेहद दिलचस्प और शाही इतिहास (Chutney History) है, जो सीधा मुगल बादशाह शाहजहां से जुड़ा है! जी हां, वही शाहजहां जिन्होंने ताजमहल बनवाया था।
अक्सर हम सोचते हैं कि चटनी हमेशा से हमारी रसोई का हिस्सा रही है, लेकिन इसका भारतीय थाली तक का सफर काफी रोमांचक है। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं इस मजेदार कहानी (Origin of Chutney) के बारे में।
पेट दर्द से जन्मी चटनी की परंपरा
कहते हैं कि एक बार मुगल बादशाह शाहजहां गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे। उन्हें पेट में तेज दर्द था और किसी भी शाही व्यंजन से उन्हें आराम नहीं मिल रहा था। ऐसे में, उनके हकीम और वैद्य परेशान थे क्योंकि कई तरह के इलाज किए गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इस दौरान, शाहजहां को कुछ ऐसा खाने की सलाह दी गई जो हल्का हो, आसानी से पच जाए और उनके पेट के लिए फायदेमंद हो। साथ ही, उसमें औषधीय गुण भी हों। तब दरबार के एक हकीम ने विभिन्न जड़ी-बूटियों, ताजी सब्जियों और मसालों को मिलाकर एक पेस्ट बनाने का सुझाव दिया। इस पेस्ट में पुदीना, धनिया, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च और कुछ खास मसालों का इस्तेमाल किया गया था, जिन्हें पीसकर तैयार किया गया।
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यहीं से हुई 'चटनी' की शुरुआत
यह खास पेस्ट, जिसे स्वाद और औषधीय गुणों का बेहतरीन मिश्रण कहा जा सकता है, शाहजहां को परोसा गया। हैरानी की बात यह थी कि इसे खाने के बाद बादशाह को न सिर्फ स्वाद पसंद आया, बल्कि उन्हें पेट दर्द से भी काफी राहत मिली। धीरे-धीरे, यह पेस्ट बादशाह की रोजमर्रा की खुराक का हिस्सा बन गया।
शाही रसोई से आम आदमी की थाली तक
जब कोई चीज बादशाह को पसंद आ जाए, तो वह भला आम जनता से दूर कैसे रह सकती है? धीरे-धीरे, यह औषधीय और स्वादिष्ट पेस्ट, जिसे 'चटनी' नाम दिया गया, शाही रसोई से निकलकर आम लोगों की रसोई तक पहुंच गया। लोगों ने अपनी पसंद और उपलब्धता के अनुसार इसमें बदलाव किए। कहीं इसमें टमाटर मिलाया गया, कहीं इमली, तो कहीं नारियल। हर क्षेत्र में अपनी खास चटनी तैयार होने लगी।
आज, भारत के हर कोने में अनगिनत प्रकार की चटनियां मिलती हैं- मीठी, खट्टी, तीखी, नमकीन। चाहे ढोकले के साथ हरी चटनी हो, समोसे के साथ लाल चटनी या डोसे के साथ नारियल की चटनी, हर चटनी का अपना एक अलग स्वाद और कहानी है।
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