क्या आप जानते हैं कि गुलाब जामुन असल में ईरान से आया? पढ़ें इस स्वादिष्ट मिठाई का दिलचस्प इतिहास
गुलाब जामुन एक ऐसी मिठाई है जिसमें सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि इतिहास संस्कृति और विरासत की भी मिठास छिपी है। चाहे यह ईरान से आया हो या भारत में जन्मा हो आज यह हमारे दिलों का हिस्सा बन चुका है। आइए यहां आपको बताते हैं कि कैसे यह साधारण-सी मिठाई आज दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुकी है और इसकी जड़ें कहां पाई जाती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Gulab Jamun History: गुलाब जामुन, एक ऐसी मिठाई है जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। चाहे कोई त्योहार हो, शादी-ब्याह की खुशी हो या फिर किसी खास मौके की मिठास, गुलाब जामुन हर मौके पर अपनी मौजूदगी से खुशियों को और भी खास बना देता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्वादिष्ट मिठाई भारत में कब और कैसे आई? इसका नाम "गुलाब जामुन" क्यों पड़ा? क्या सच में इसका जन्म भारत में नहीं, बल्कि कहीं और हुआ था? आइए, आज हम आपको बताते हैं इस चाशनी में डूबी मिठाई का ऐसा इतिहास, जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा।
कहां से आया गुलाब जामुन?
गुलाब जामुन का इतिहास हमें ईरान और तुर्की जैसे पश्चिमी एशियाई देशों की ओर ले जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, गुलाब जामुन की जड़ें फारसी (ईरानी) मिठाइयों में मिलती हैं। 13वीं सदी के आसपास पर्शिया (मौजूदा ईरान) की एक लोकप्रिय मिठाई थी "लुकमत अल-कादी" या "लुकमा" – जो आटे की छोटी-छोटी गोलियां होती थीं, जिन्हें घी में तलकर शहद या चाशनी में डुबोया जाता था।
जब मुगल भारत आए, तो अपने साथ वे न सिर्फ कला, संस्कृति और स्थापत्य लाए, बल्कि अपने व्यंजन और मिठाइयां भी लाए। इन्हीं में से एक था गुलाब जामुन जैसा व्यंजन, जिसे बाद में भारतीय स्वाद और शैली के अनुसार ढाला गया।
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नाम में भी है इतिहास की मिठास
"गुलाब जामुन" नाम अपने आप में ही दिलचस्प है। इसमें "गुलाब" शब्द का मतलब है गुलाब की खुशबू (जो आमतौर पर चाशनी में डाले गए गुलाब जल से आती है), और "जामुन" शब्द का उपयोग इस मिठाई के रंग और आकार की तुलना जामुन फल से करने के लिए हुआ।
तो नाम का ये मेल हुआ कुछ ऐसा – चाशनी में भीगा हुआ जामुन जैसा दिखने वाला गोला, जिसमें गुलाब की महक हो।
भारत में कैसे बना हर दिल अजीज?
जब मुगलों ने इस मिठाई को भारत में पेश किया, तो यहां के कारीगरों ने इसे स्थानीय स्वाद, सामग्री और तकनीक के साथ नए रूप में ढाल दिया। खोया (मावा), मैदा, और इलायची जैसे भारतीय तत्वों के साथ गुलाब जामुन बना एक नया ही अनुभव।
धीरे-धीरे यह मिठाई पूरे उत्तर भारत में लोकप्रिय हो गई और फिर पूरे देश में फैल गई। आज यह भारत के हर कोने में बनाई और खाई जाती है- उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक, और मिठाई की दुकानों से लेकर घरों के रसोईघरों तक।
हर राज्य की अपनी शैली
भारत में गुलाब जामुन की कई अलग-अलग किस्में देखने को मिलती हैं।
- काला जामुन – थोड़े ज्यादा भूरे तले गए गुलाब जामुन, जिनका स्वाद थोड़ा गाढ़ा और अनोखा होता है।
- ब्रेड गुलाब जामुन – जब मावे की जगह ब्रेड का इस्तेमाल होता है, खासकर घरों में।
- पनीर गुलाब जामुन – पूर्वी भारत में खास पनीर से बनाए गए गुलाब जामुन।
- सूजी के गुलाब जामुन – जिनमें मावे की बजाय सूजी का प्रयोग किया जाता है।
दुनियाभर में फैल चुकी है यह मिठाई
आज के समय में गुलाब जामुन सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। विदेशों में बसे भारतीयों की वजह से यह मिठाई अब यूएसए, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों के मिठाई बाजारों में भी अपनी जगह बना चुकी है। यहां तक कि कई देशों के लोग, जो भारतीय नहीं हैं, वे भी इस मिठाई के दीवाने बन गए हैं।
क्या आप जानते हैं?
- गुलाब जामुन को अक्सर "भारतीय डोनट" भी कहा जाता है, क्योंकि यह तला जाता है और फिर मीठी चाशनी में डुबोया जाता है।
- कई लग्जरी रेस्टोरेंट्स में अब गुलाब जामुन को नए अवतारों में भी परोसा जा रहा है- जैसे गुलाब जामुन चीजकेक, गुलाब जामुन आइसक्रीम, गुलाब जामुन हलवा और यहां तक कि गुलाब जामुन शॉट्स!
गुलाब जामुन एक ऐसी मिठाई है जिसमें सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और विरासत की भी मिठास छिपी है। चाहे यह ईरान से आया हो या भारत में जन्मा हो, आज यह हमारे दिलों का हिस्सा बन चुका है।
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