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    घी और दूध से ऊबकर एक पहलवान ने बना दी थी ये खास मिठाई, दिलचस्प है डोडा बर्फी का इतिहास

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 02:58 PM (IST)

    भारत के हर राज्य, हर शहर और हर गली में आपको कोई न कोई खास मिठाई जरूर मिल जाएगी, लेकिन जब बात बर्फी की आती है, तो हर इलाके की अपनी-अपनी खासियत होती है। कहीं मावा बर्फी प्रसिद्ध है तो कहीं बेसन बर्फी। इन्हीं में से एक है डोडा बर्फी, मगर क्या आप जानते हैं कि यह मिठाई, दरअसल एक पहलवान की रसोई से जन्मी थी?

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    हलवाई नहीं, एक पहलवान से जुड़ी है डोडा बर्फी की कहानी (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि डोडा बर्फी को बनाने की शुरुआत किसी हलवाई की दुकान में नहीं, बल्कि एक ताकतवर पहलवान की रसोई में हुई थी? जी हां, दूध और घी की डेली डाइट से ऊबकर इस पहलवान ने ऐसा मीठा 'एक्सपेरिमेंट' किया कि एक शताब्दी से ज्यादा समय बाद भी, आज हम उस मिठाई को डोडा बर्फी के नाम से जानते हैं। दरअसल, इस अनोखी और दिलचस्प कहानी के पीछे 113 साल का इतिहास छिपा है (Dodha Barfi History), जो बताता है कि कैसे बोरियत ने एक शानदार मिठाई को जन्म दिया।

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    Doda burfi

    जब पहलवान बना हलवाई

    यह कहानी है 1912 की। उस समय पंजाब के सरगोधा जिले (जो अब पाकिस्तान में है) में रहते थे एक पहलवान- लाला हंसराज विग। रोजाना कुश्ती की तैयारी, कड़ा अभ्यास और भारी-भरकम डाइट उनके दिनचर्या का हिस्सा थी। दूध, घी, मेवे- यही उनका भोजन था। मगर कहते हैं ना, एक जैसा खाना खाते-खाते कोई भी ऊब जाता है। हंसराज भी कुछ नया करना चाहते थे।

    खानपान के शौकीन हंसराज ने एक दिन खुद ही किचन संभाल लिया। उन्होंने दूध में मलाई, घी और चीनी मिलाई, और उसे धीमी आंच पर पकाना शुरू किया। थोड़ी देर बाद उसमें कटे हुए मेवे डाल दिए। जब यह मिश्रण गाढ़ा होकर ठंडा हुआ, तो जो बनी- वह थी डोडा बर्फी। स्वाद ऐसा कि जिसने भी चखा, बस दीवाना हो गया।

    स्वाद में शाही, सेहत में बेमिसाल

    डोडा बर्फी सिर्फ मीठी नहीं, सेहत से भरपूर भी है। इसमें दूध और घी शरीर को जरूरी फैट्स, मिनरल्स और एनर्जी देते हैं। मेवों से मिलते हैं फाइबर और विटामिन ई, जो त्वचा और दिल दोनों के लिए फायदेमंद हैं। यही वजह है कि यह मिठाई पहलवानों की ताकत और स्वाद दोनों का मेल मानी जाती है।

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    भारत-पाक बंटवारे में साथ भारत आई रेसिपी

    1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद हंसराज विग का परिवार सरगोधा से भारत आ गया और पंजाब के कोटकपूरा शहर में बस गया। यहीं उन्होंने अपनी मिठाई की दुकान खोली- रॉयल डोडा हाउस। धीरे-धीरे उनकी बनाई हुई डोडा बर्फी पंजाब ही नहीं, पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हो गई।

    आज भी विग परिवार इस रेसिपी को एक विरासत की तरह संभाले हुए है। कहते हैं कि असली स्वाद अब भी वैसा ही है जैसा सौ साल पहले था। यही कारण है कि रॉयल डोडा बर्फी अब सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोगों का दिल जीत रही है।

    पूरी दुनिया बनी इस मिठाई की फैन

    विग परिवार की मिठाई अब पंजाब के करीब 40 शहरों में बिकती है। इतना ही नहीं, उनका डोडा अमेरिका तक पहुंच चुका है। रॉयल डोडा बर्फी के 100 साल पूरे होने पर इसे व्हाइट हाउस तक भेजा गया था, जहां इसकी खूब तारीफ हुई।

    आज कई बड़े ब्रांड्स डोडा बर्फी बनाते हैं। इनकी कीमत करीब 1000-1500 रुपये प्रति किलो तक जाती हैं, लेकिन पारंपरिक रॉयल डोडा का स्वाद अब भी सबसे खास माना जाता है।

    डोडा बर्फी की कहानी बताती है कि किसी स्वादिष्ट चीज के पीछे कभी-कभी मेहनत ही नहीं, बल्कि संयोग भी होता है। एक पहलवान की रसोई में बना यह प्रयोग आज भारत की मिठास का प्रतीक बन गया है। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि एक सदी पुरानी परंपरा और दिल को छू लेने वाली कहानी है।

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