कुंभ मेले से कैसे अलग है महाकुंभ, जानें दोनों आयोजनों में प्रमुख अंतर
13 जनवरी से प्रयागराज की पवित्र नगरी पर महाकुंभ का आयोजन होने वाला है। यह हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और अहम आयोजन है जिसे आस्था का पर्व भी कहा जाता है। हालांकि कई लोग कुंभ और महाकुंभ के बीच अक्सर कन्फ्यूज हो जात हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कुंभ और महाकुंभ के बीच का अंतर।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में इस समय महाकुंभ की रौनक देखने को मिल रही है। आस्था का यह महापर्व इस साल प्रयागराज की पवित्र धरती पर लगने वाला है। यह हिंदू धर्म का सबसे अहम आयोजन माना जाता है, जो हर बाहर साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
इसलिए खास है कुंभ मेला
इस भव्य मेले में देश ही नहीं दुनियाभर से लाखों तीर्थयात्री और भक्त एक साथ जमा होकर संगम तट पर आस्था ही डुबकी लगाते हैं। प्रयागराज में कुंभ मेला संगम किनारे लगता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। इस मेले की जड़े हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इस दौरान लोगों को अपने पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष मिलने का एक मौका मिलता है। इस मेले में कई ऐसे आयोजन होते हैं, जो लोगों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
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आमतौर पर हर 12 साल में कुंभ का आयोजन किया जाता है, लेकिन प्रयागराज की धरती पर इस साल 2025 में महाकुंभ आयोजित हो रहा है। बहुत कम लोग ही कुंभ और महाकुंभ के बीच का अंतर जानते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कुंभ और महाकुंभ के बीच का अंतर-
महाकुंभ और कुंभ में अंतर
महाकुंभ मेला: यह आयोजन 144 साल में एक बार होता है और इसे सभी कुंभ मेलों में सबसे पवित्र माना जाता है। आगामी महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक प्रयागराज में होने वाला है।
कुंभ मेला: कुंभ मेला हर 3 साल में मनाया जाता है और यह चार स्थानों पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है, जिसमें हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज शामिल हैं। हर एक जगह एक चक्र में कुंभ मेले की मेजबानी करता है और इस दौरान यह ध्यान रखा जाता है कि हर एक जगह पर हर 12 साल में एक बार कुंभ मेले का आयजोन जरूर किया जाए।
कहां लगता है महाकुंभ और कुंभ मेला
महाकुंभ मेला: महाकुंभ मेले का आयोजन मुख्य रूप से प्रयागराज में ही किया जाता है। यहां संगम तट पर इस मेले को आयोजित किया जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। इस भव्य आयोजन में कुंभ मेले की तुलना में ज्यादा लोग आते हैं।
कुंभ मेला: यह मेला चार पवित्र जगहों हरिद्वार (गंगा), उज्जैन (शिप्रा), नासिक (गोदावरी), और प्रयागराज (गंगा-यमुना-सरस्वती) के तट पर लगता है। इन सभी स्थलों का अपना विशेष महत्व और उससे जुड़े अनुष्ठान हैं।
महाकुंभ और कुंभ मेले का आध्यात्मिक महत्व
महाकुंभ मेला: महाकुंभ को सतातन धर्म में सबसे अहम और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस आयोजन में भाग लेने से पापों से छुटकारा और मोक्ष जैसे कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। इस दौरान किया गया पवित्र स्नान विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है।
कुंभ मेला: कुंभ मेले का भी अपना अलग आध्यात्मिक महत्व होता है, लेकिन महाकुंभ की तुलना में इसे कम शक्तिशाली माना जाता है। हालांकि, बावजूद इसके लोग यहां पर भी आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।
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