अगले बरस जल्दी आने का वादा कर विदा हुए Lalbaugcha Raja, तस्वीरों में देखें उनके 90 साल की झलक
दस दिनों की धूमधाम के बाद आज यानी अनंत चतुर्दशी के मौके पर सभी बप्पा को विदाई देने के लिए तैयार है। देश के अलग-अलग हिस्सों में गणपति विसर्जन की धूम देखने को मिल रही है। इसी क्रम में मुंबई के Lalbaugcha Raja भी विदा लेने के लिए निकल चुके हैं। इस मौके पर देखते हैं लालबागचा राजा (Navsacha Ganpati) की साल 1934 से लेकर आज तक की कुछ झलकियां।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पूरे देश में हर तरफ गणपति विसर्जन (ganesh visarjan 2024) की धूम देखने को मिल रही है। चारों तरफ "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयकारे से गूंज रहे हैं। दस दिनों बप्पा की सेवा करने के बाद अब लोग नम आंखों से उन्हें विदा कर रहे हैं। हर साल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) के दस दिन बाद धूमधाम से गणेश विसर्जन किया जाता है। खासकर महाराष्ट्र में इस पर्व की अलग ही धूम रहती है। हर साल गणेशोत्सव के मौके पर सपनों की नगरी मुंबई (Mumbai) में भगवान गणेश के कई सारे पंडाल लगाए जाते हैं। हालांकि, इन सभी में लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja 2024) यानी लालबाग के राजा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। हर साल यहां धूमधाम के साथ गणपति बप्पा (Navsacha Ganpati) को विराजमान किया जाता है।
दस दिनों तक लालबाग के राजा (Lalbaugcha Raja Live) का आशीर्वाद देने के बाद अब लोग भगवान को विदा करने के लिए तैयार है। मुंबई के इस पंडाल की शुरुआत 90 साल पहले यानी 1934 में हुई है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja Darshan 2024) के उन लुक्स की तस्वीर बताएंगे, जिसे शायद ही आपने कभी कहीं देखा होगा। आइए तस्वीरों में देखते हैं 90 साल में कितना बदल गया लालबाग के राजा का स्वरूप-
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साल 1934
यह इस पंडाल का पहला साल था, जब लालबाग के राजा को पहली बार स्थापित किया गया। साल 1934 में स्थापित हुई भगवान गणेश की यह मूर्ति काफी हद तक श्रीहरि विष्णु की तरह नजर आ रही है। ब्लैक एंड व्हाइट यह तस्वीर लालबागचा राजा की पहली तस्वीर है।
साल 1944
अपनी शुरुआत के दस साल बाद यानी साल 1944 में भगवान गणेश में राजा के स्वरूप में नजर आए थे। हाथों में गदा और चक्र में श्री गणेश सिंहासन पर बैठे बेहद मनोरम नजर आ रहे हैं। लालबागचा राजा का यह स्वरूप आपने शायद ही कभी देखा होता।
साल 1954
साल 1954 में लालबागचा राजा में विराजमान गणपति बप्पा साधु में वेश में नजर आए थे। साधु के वस्त्र और रुद्राक्ष के आभूषण पहने श्री गणेश का यह स्वरूप काफी मनमोहक है।
साल 1964
इस साल लालबागचा राजा के पंडाल में कई तरह की झलकियां देखने को मिली। साल 1964 में विराजमान भगवान गणेश के इस पंडाल की तस्वीर में भारत की सियासत और महाभारत का रणक्षेत्र नजर आ रहा है। साथ ही बप्पा हाथों गदा और चक्र लिए विश्राम करते नजर आ रहे हैं।
साल 1974
साल 1974 में लगे पंडाल की तस्वीर में मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की झलक देखने को मिली। इसमें भगवान गणेश एक बार फिर गदा और चक्र लिए नजर आ रहे हैं। साथ ही उनके पास शिवाजी महाराज और अंग्रेजी अफसर दिखाई दे रहा है।
साल 1985
इसके दस साल बाद यानी साल 1985 तक लालबागचा राजा स्वरूप बदलने लगा। यह तस्वीर इसी साल विराजमान मूर्ति की है, जो अब रंगीन नजर आ रही है। साथ ही इसमें भगवान सिर्फ अपने सिंहासन पर गदा लिए बैठे नजर आ रहे हैं।
साल 1994
इस साल बैठे गणेश जी चार भुजाओं में गदा और चक्र लिए नजर आ रहे हैं। अपने सिंहासन पर विराजमान बप्पा सच में लालबाग के राजा लग रहे हैं।
साल 2004
21वीं की शुरुआत के साथ ही लालबागचा राजा के स्वरूप और शृंगार में आधुनिकता झलकने लगी। साल 2004 में स्थापिक उनकी इस मूर्ति में यह अंतर साफ दिखाई दे रहा है।
साल 2014
साल 2014 में लालबागचा राजा का स्वरूप पूरी तरह बदल गया और इसमें तकनीक के साथ ही आधुनिकता भी झलकने लगी। इस साल विराजमान बप्पा की मूर्ति में भगवान हाथों में चक्र की जगह फरसा लिए नजर आ रहे हैं।
साल 2024
इस साल भी बप्पा की मूरत हर साल की ही तरह बेहद खूबसूरत और मनमोहक है। इस साल लालबागचा राजा में स्थापित भगवान गणेश गदा और फरसा के साथ हाथों में चक्र लिए भी नजर आए। गणेश चतुर्थी के मौके पर विघ्नहर्ता के इन रूपों को दर्शन करने के बाद अगर आप भी उनकी भक्ति से सराबोर हो गए हैं, तो कहें गणपति बप्पा मोरया!
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