कोलकाता की दुर्गा पूजा में दिखता है आस्था, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम
कोलकाता की दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि उससे कहीं बढ़कर है। इसे सिटी ऑफ जॉय में तैयार होने वाले थीम-आधारित पंडालों के कारण एक अनूठी कला और संस्कृति का रूप माना जाता है। ये पंडाल लोगों को अपनी ओर खींचते हैं और उनमें उत्साह भरते हैं साथ ही महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी देते हैं।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था, ‘बंगाल जो आज सोचता है, भारत वह कल सोचता है।’ देश-दुनिया में विख्यात कोलकाता की दुर्गापूजा के पंडाल उनके इस कथन को चरितार्थ करते हैं। ये पंडाल अपनी अद्वितीय थीम व अद्भुत निर्माण कला से जनजीवन में आनंद का नवसंचार ही नहीं करते, बल्कि मानस पटल पर सामाजिक उत्तरदायित्व, समावेशिता व जागरूकता की अमिट छाप छोड़ते हैं।
बांस, कपड़े, थर्माकोल, रंगों से निर्मित होने वाले इन पंडालों में रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, राजा राजमोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, महर्षि अरविंद, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसे बंगाल के मनीषियों का चिंतन, मनन व दर्शन जीवंत हो उठता है। ये लोगों को हंसाते हैं, रुलाते हैं, भावनाओं में बहाते हैं, देश-दुनिया का हाल-हकीकत बताते हैं, सपनों की दुनिया में ले जाते हैं, सुनहरे भविष्य की आस जगाते हैं, बंगाल की समृद्ध कला-संस्कृति व उसकी वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हैं।
ये ताजमहल से बुर्ज खलीफा तक की सैर भी कराते हैं। दुनियाभर में गहरा रहे संकटों को लेकर खबरदार करते हैं। अधिकारों का एहसास कराते हैं और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना भी सिखाते हैं। देवी पक्ष के आगमन की पावन बेला में कोलकाता के पंडाल फिर सजने लगे हैं। हरेक दुर्गोत्सव कमेटी अभिनव थीम के साथ लोगों का मन मोहने की तैयारियों में जुटी हुई है।
कहीं ‘रंग’ से दंग तो कहीं ‘शब्द’ से स्तब्ध
हर रंग खुद में एक भावना समेटे है। इनमें प्रेम की गरमाहट है, विरोध की आग है, दृढ़ विश्वास और साहस है और आशा की चमक भी है। रंग जीवन की धड़कन हैं। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी अपनी थीम ‘दृष्टिकोण’ से रंगों में निहित भावनाओं को पंडाल रूपी कैनवस में उकेरने में जुटी है। पूजा समिति के संयुक्त सचिव सायनदेब चटर्जी बताते हैं, ‘हम चाहते हैं कि लोग देखें, कैसे रंग न केवल देवी दुर्गा के स्वरूप बल्कि हमारे सोच को भी आकार देते हैं। हमारा पंडाल रंगों की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाएगा। हम रंगों को न केवल दृश्यात्मक आनंद बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति की गहन भाषा के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।’
वहीं बागुईहाटी रेल पुकुर यूनाइटेड क्लब ‘शब्दो’ (शब्द) थीम पर आकर्षक पंडाल गढ़ रहा है, जो प्रकृति व रोजमर्रा की जिंदगी की लुप्त होतीं उन ध्वनियों की ओर ध्यान केंद्रित करेगी, जो कभी हमारे अस्तित्व को परिभाषित करती थीं। पूजा समिति के सदस्य गौरव बिश्वास बताते हैं, ‘हमारी थीम केवल कलात्मक रचना नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है। पक्षियों व प्रकृति की ध्वनियां, जो कभी हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग थीं, अनियंत्रित शहरीकरण के कारण लुप्त होती जा रही हैं। हम समाज को स्मरण कराना चाहते हैं कि ये आवाजें पर्यावरण की धड़कन हैं। अगर हम आज नहीं जागे तो कल की दुनिया खामोश हो जाएगी। पंडाल में पक्षी की 20 फुट ऊंची प्रतिकृति तैयार कर गहरा संदेश बिखेरा जाएगा।’
रुद्राक्ष से तैयार हो रहा पंडाल
अभिनव थीम के लिए विख्यात चेतला अग्रणी का पंडाल एक करोड़ 26 लाख रुद्राक्ष से तैयार हो रहा है। क्लब के कर्णधार फिरहाद हकीम, जो बंगाल के शहरी विकास मंत्री व कोलकाता के मेयर भी हैं, बताते हैं, ‘ पंडाल में उपयोग किए जा रहे रुद्राक्ष मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, कंबोडिया व नेपाल के अलावा वाराणसी व उत्तरकाशी से मंगवाए गए हैं। पंडाल का निर्माण फरवरी से ही शुरू हो गया था। बंगाल के बांकुड़ा, पुरुलिया, बीरभूम समेत विभिन्न जिलों के करीब 200 कारीगर इस अद्भुत पंडाल को अंतिम रूप देने में दिनरात जुटे हुए हैं।’
एआइ के पहलू दर्शाएगा पंडाल
जगत मुखर्जी पार्क ने इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को थीम के रूप में चुना है। पूजा कमेटी के सहायक सचिव सौरव चटर्जी इस बारे में बताते हैं, ‘हम एआइ के अच्छे व बुरे, दोनों पहलुओं को दिखाने का प्रयास करेंगे। साथ में यह भी संदेश देंगे कि एआइ का उपयोग कैसे करना है, यह हम पर निर्भर करता है। हमें मशीनों पर राज करना है, न कि मशीनों को हम पर राज करने देना है। पंडाल के निर्माण में बेकार हो चुके डेस्कटाप व लैपटॉप का बड़े परिमाण में इस्तेमाल किया जा रहा है।’
युद्ध में फंसे लोगों को भी किया जाएगा याद
बेहला फ्रेंड्स के पंडाल में इजरायली हमले के बाद गाजा के विनाशकारी दृश्यों व वहां के लोगों की नारकीय स्थिति को दर्शाया जाएगा। पूजा आयोजकों ने कहा कि पूजा के आनंद में उन लोगों के दर्द को भूलना उचित नहीं है। आखिरकार हम सभी इंसान हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।